1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 28 Sep 2025 02:28:55 PM IST
सिद्धार्थ पटेल गो बैक - फ़ोटो FILE PHOTO
BIHAR NEWS : बिहार विधानसभा चुनाव की आहट तेज हो चुकी है। माना जा रहा है कि अगले महीने चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है। ऐसे में राज्य की सियासत में हलचल बढ़ गई है। आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले सत्तारूढ़ दल के विधायक अपने-अपने क्षेत्रों में पेंडिंग योजनाओं को तेजी से पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी लगातार जिलों का दौरा कर रहे हैं। लेकिन इन दौरों में उन्हें जनता की नाराजगी और स्थानीय विधायकों के खिलाफ विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
इसी कड़ी में रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वैशाली जिले के गोरौल प्रखंड के हरसेर गांव पहुंचे थे। यहां उन्होंने कई योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। साथ ही एसपीएस कॉलेज परिसर में आयोजित जन संवाद कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया। लेकिन कार्यक्रम खत्म होने के बाद अचानक माहौल बिगड़ गया। जैसे ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी गाड़ी की ओर बढ़े, उसी समय आम लोगों के बीच से नारेबाजी शुरू हो गई।
नारेबाजी का सीधा निशाना स्थानीय विधायक सिद्धार्थ पटेल थे। लोग जोर-जोर से "सिद्धार्थ पटेल गो बैक" के नारे लगाने लगे। लोगों का कहना था कि विधायक ने क्षेत्र की समस्याओं को हल करने में कोई रुचि नहीं दिखाई। विकास कार्य अधूरे पड़े हैं और जनता की अपेक्षाओं को पूरा नहीं किया गया है। इस दौरान उपस्थित सुरक्षाकर्मी सतर्क हो गए और माहौल को संभालने की कोशिश की, लेकिन लोगों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा था।
जानकारी के मुताबिक, जैसे ही डिप्टी सीएम अपनी गाड़ी तक पहुंचे, नारेबाजी और तेज हो गई। लोगों ने उनके सामने भी विधायक के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। भीड़ ने जोरदार तरीके से प्रदर्शन किया और हंगामे के चलते सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा करना पड़ा। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिना किसी प्रतिक्रिया के गाड़ी में बैठकर रवाना हो गए, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है।
वैशाली में विधायक के खिलाफ हुए इस विरोध को चुनावी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। यह साफ संकेत है कि जनता के असंतोष का असर चुनावी परिणामों पर भी पड़ सकता है। चुनाव से ठीक पहले इस तरह का विरोध स्थानीय विधायक के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। विपक्ष भी इस मौके को भुनाने से पीछे नहीं हटेगा और सत्तारूढ़ दल की अंदरूनी नाराजगी को चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश करेगा।
सत्तारूढ़ जेडीयू और बीजेपी गठबंधन फिलहाल चुनावी तैयारियों में जुटा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों को अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूती से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन जनता का यह विरोध बताता है कि केवल कागज पर योजनाएं पास करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि जमीनी स्तर पर काम की जरूरत है।
विशेषज्ञों का मानना है कि विधानसभा चुनाव नजदीक आते-आते ऐसे विरोध के मामले और बढ़ सकते हैं। मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में यदि स्थानीय विधायक का विरोध सामने आता है, तो इसका सीधा असर चुनावी समीकरणों पर पड़ना तय है। फिलहाल वैशाली की यह घटना राज्य की राजनीति में चर्चा का बड़ा विषय बन चुकी है और देखना होगा कि जेडीयू नेतृत्व इस नाराजगी को दूर करने के लिए क्या कदम उठाता है।