BSEB: उच्च तकनीक से लैस होगा बिहार बोर्ड, 1952 तक के पुराने सर्टिफिकेट होंगे ऑनलाइन, केमिकल ट्रीटमेंट से सुरक्षित होंगी डिग्रियां

BSEB: दशकों पुराने वे प्रमाण पत्र, जो समय के साथ पीले पड़ चुके हैं और छूते ही टूटने लगते हैं, अब इतिहास बनकर नष्ट नहीं होंगे बल्कि डिजिटल भविष्य का हिस्सा बनने जा रहे हैं। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) ने अपने पुराने अभिलेखों को सुरक्षित रखने..

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 20 Dec 2025 12:57:31 PM IST

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बिहार विद्यालय परीक्षा समिति - फ़ोटो GOOGLE

BSEB: दशकों पुराने वे प्रमाण पत्र, जो समय के साथ पीले पड़ चुके हैं और छूते ही टूटने लगते हैं, अब इतिहास बनकर नष्ट नहीं होंगे बल्कि डिजिटल भविष्य का हिस्सा बनने जा रहे हैं। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) ने अपने पुराने अभिलेखों को सुरक्षित रखने और आधुनिक तकनीक के जरिए संरक्षित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। बोर्ड ने न सिर्फ 1980 तक के रिकॉर्ड सुरक्षित कर लिए हैं, बल्कि अब 1952 तक के प्रमाण पत्रों को संरक्षित और डिजिटल करने की तैयारी शुरू कर दी है।


1980 तक का डाटा सुरक्षित, अब उससे पुराने रिकॉर्ड पर फोकस

बिहार बोर्ड के अनुसार वर्ष 1980 तक के सभी उपलब्ध अभिलेखों को सुरक्षित करते हुए उनका डिजिटलीकरण पूरा कर लिया गया है। हालांकि इससे पहले के दस्तावेज अत्यंत नाजुक अवस्था में हैं। कई प्रमाण पत्र इतने पुराने हो चुके हैं कि उन्हें छूते ही कागज टूटने लगता है। इसी कारण बोर्ड ने इन्हें सीधे स्कैन करने के बजाय पहले वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित करने का निर्णय लिया है, ताकि दस्तावेजों को नुकसान न पहुंचे।


केमिकल ट्रीटमेंट से बढ़ेगी दस्तावेजों की उम्र

पुराने प्रमाण पत्रों को संरक्षित करने के लिए विशेष केमिकल से उनकी सफाई की जाएगी। इसके बाद उन्हें सावधानीपूर्वक लैमिनेशन प्रक्रिया से गुजारा जाएगा, जिससे कागज की मजबूती बढ़े और उसकी उम्र लंबी हो सके। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रक्रिया के बाद ये दस्तावेज कम से कम अगले 50 वर्षों तक सुरक्षित रह सकते हैं। चूंकि पुराने समय में प्रमाण पत्र हाथ से लिखे जाते थे, इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि केमिकल के संपर्क में आने से स्याही न फैले और न ही धुंधली पड़े।


बोर्ड के पास 1952 तक के सर्टिफिकेट उपलब्ध

बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया कि समिति के पास वर्ष 1952 तक के प्रमाण पत्र उपलब्ध हैं। बोर्ड का लक्ष्य है कि जितने भी पुराने अभिलेख सुरक्षित किए जा सकते हैं, उन्हें चरणबद्ध तरीके से संरक्षित किया जाए। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया ठीक उसी तरह अपनाई जा रही है, जैसे अभिलेखागार में प्राचीन पांडुलिपियों को सुरक्षित किया जाता है। साथ ही यह भी आकलन किया जा रहा है कि किस अवधि के प्रमाण पत्रों की मांग अधिक है, ताकि उसी आधार पर प्राथमिकता तय की जा सके।


डिजिटल प्लेटफॉर्म पर एक क्लिक में मिलेगा प्रमाण पत्र

संरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी प्रमाण पत्रों को स्कैन कर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया जाएगा। इसके बाद प्रमाण पत्र जारी करना और उनका सत्यापन बेहद आसान और पारदर्शी हो जाएगा। छात्रों और पूर्व परीक्षार्थियों को अब पुराने रिकॉर्ड के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे, क्योंकि प्रमाण पत्र एक क्लिक पर उपलब्ध हो सकेंगे।


छात्रों के लिए बड़ी राहत

डिजिटलीकरण की इस पहल से बिहार बोर्ड न केवल अपनी ऐतिहासिक शैक्षणिक धरोहर को सुरक्षित कर रहा है, बल्कि उन हजारों छात्रों की वर्षों पुरानी समस्या का भी समाधान कर रहा है, जिन्हें पुराने प्रमाण पत्रों के सत्यापन में परेशानी होती थी। हाईटेक होते बिहार बोर्ड की यह पहल आने वाले समय में शिक्षा व्यवस्था को अधिक भरोसेमंद, पारदर्शी और आधुनिक बनाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।