Bihar News: बिहार में RJD जिलाध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद मचा बवाल, इस मामले में उठा ले गई पुलिस Bihar News: नई दिल्ली से दरभंगा जा रही ट्रेन के पहिए में लगी आग, यात्रियों में मचा हड़कंप Bihar Assembly Election 2025 : बिहार में इन सीटों पर भूमिहार बनाम भूमिहार की लड़ाई,कौन करेगा किला फतह और किसका पलड़ा होगा भारी ? Bihar Election 2025: सीमांचल के लिए एक्टिव हुए PM मोदी, जनसभा कर ऐसे बढ़ाएंगे तेजस्वी और राहुल की टेंशन Dular Chand Yadav murder case : 16 घंटे रंगदारी सेल में बंद अनंत सिंह से पुलिस ने पूछे यह सवाल, जानिए बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह ने क्यों कहा - ए सर... हमर चुनवा ठीक रहतय ने Bihar News: बिहार के इस जिले में 2 पक्षों के बीच जमकर मारपीट, एक युवक गंभीर रूप से घायल Bihar Election 2025: बिहार चुनाव से पहले भारत-नेपाल बॉर्डर पूरी तरह सील, इन चीजों पर होगी कड़ी निगरानी Bihar News: बिहार में RJD और BJP समर्थकों के बीच मारपीट, 5 घायल Mokama Election : "अनंत सिंह के अरेस्ट होने के बाद NDA के 'दिग्गजों' ने संभाली मोकामा की कमान, अब पिछड़ा वोट बैंक को साधने सम्राट करेंगे रोड शो; जानिए क्या पड़ेगा असर" Success Story: “मेरा सपना तो IAS बनना है”, टैक्स डिपार्टमेंट की नौकरी के साथ की पढ़ाई, UPSC पास कर बन गई अधिकारी
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 08 May 2025 09:37:51 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Bihar News: पटना हाईकोर्ट ने बिहार के मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने उन MBBS उम्मीदवारों को अंतरिम राहत दी है, जो अपनी परीक्षा में तीन बार से ज्यादा फेल हुए थे। एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने डॉ. चक्रपाणी कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि ये राहत याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगी। ये फैसला बिहार के उन मेडिकल छात्रों के लिए बड़ी उम्मीद लेकर आया है, जो इस नियम से बाहर हो रहे थे।
बताते चलें कि, बिहार लोक सेवा आयोग ने मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था। इसमें शर्त थी कि MBBS में तीन बार से ज्यादा फेल होने वाले उम्मीदवार इस पद के लिए योग्य नहीं होंगे। याचिकाकर्ता के वकील प्रणव कुमार ने कोर्ट में दलील दी कि ये नियम उचित नहीं है और उम्मीदवारों के बीच भेदभाव पैदा करता है। उन्होंने बताया कि पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स जैसे MD या MS में ऐसी कोई पाबंदी नहीं है, तो MBBS में ऐसा करना समानता के अधिकार का उल्लंघन है। जिसके बाद कोर्ट ने इस दलील को गंभीरता से लिया।
बता दें कि, ये नियम 2013 में लागू किया गया था, जिसके तहत तीन बार से ज्यादा फेल होने वाले MBBS उम्मीदवारों को असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती से बाहर रखा जाता था। याचिकाकर्ता की ओर से प्रणव कुमार और सृष्टि सिंह ने कोर्ट में तर्क दिया कि ये कानून मनमाना है और मेडिकल शिक्षा में योग्यता को अनदेखा करता है। दूसरी ओर, राज्य सरकार के महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा कि सरकार इस नियम पर दोबारा विचार करने को तैयार है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अंतरिम राहत दी, जिससे प्रभावित उम्मीदवार अब भर्ती प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे।
केवल यही नहीं, इस फैसले ने बिहार के मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव की उम्मीद जगा दी है। कई उम्मीदवार, जिन्होंने MBBS में शुरुआती असफलताओं के बावजूद MD या MS में शानदार प्रदर्शन किया, इस नियम की वजह से भर्ती से वंचित थे। अब कोर्ट के इस आदेश ने उन्हें नया मौका दिया है। हालांकि, कोर्ट ने साफ किया कि अंतिम फैसला याचिका की सुनवाई पूरी होने के बाद ही आएगा। अगली सुनवाई 3 जुलाई 2025 को होगी।