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भाई साहब ये कैसी शराबबंदी? पुलिस और शराब माफिया की गठजोड़ के खुलासे के बाद थानेदार सस्पेंड

थाने में जब्त शराब को नष्ट करने के बजाय शराब तस्कर को बेचा जा रहा था। जिसके बाद कार्रवाई करते हुए अवैध शराब विनिष्टीकरण में शामिल ठेकेदार और बेला थाने के मुंशी को हिरासत में लिया गया और थानेदार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।

1st Bihar Published by: MANOJ KUMAR Updated Wed, 12 Mar 2025 03:25:10 PM IST

BIHAR POLICE

शराबबंदी का सच - फ़ोटो GOOGLE

MUZAFFARPUR: बिहार में करीब 9 साल से पूर्ण शराबबंदी लागू है। राज्य में इस कानून को कड़ाई से लागू कराने की जिम्मेदारी पुलिस को दी गयी है। पुलिस की टीम आए दिन शराब से जुड़े धंधेबाजों के खिलाफ अभियान चला रही है। इस दौरान कड़ी शराब तस्कर अभी तक पकड़े भी गये हैं वही शराब की बड़ी खेप भी आए दिन पकड़े जा रहे हैं। वही कभी-कभी पुलिस की मिलीभगत की बात भी सामने आती है। ताजा मामला बिहार के मुजफ्फरपुर से सामने आई है।  


होली पर्व में ज्यादा पैसे कमाने के उद्धेश्य तस्कर बिहार में शराब  ला रहे हैं और पकड़े भी जा रहे हैं। लेकिन इसी क्रम में मुजफ्फरपुर से अजीबोगरीब मामला सामने आया है जहां अवैध शराब माफिया और पुलिस के गठजोड़ का खुलासा हुआ है। मामला है कि मुजफ्फरपुर के बेला थाना में निर्धारित किए गए समय के अनुसार अवैध शराब विनष्टीकरण कराया जा रहा था तभी अचानक बेला थाना के धीरनपट्टी में अवैध शराब के खेप होने की सूचना पुलिस को मिली। सूचना मिलते ही पुलिस की टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अवैध शराब की खेप को बरामद कर लिया। इस दौरान पुलिस ने एक व्यक्ति को घटनास्थल से हिरासत में लिया जिससे पूछताछ करने के दौरान पुलिस भी हक्के-बक्के रह गई। 


उसने बताया कि यह शराब कहीं और से नहीं बल्कि बेला थाना से ही बेचने के लिए लाया गया था। पुलिस ने तत्काल अवैध शराब विनष्टीकरण में शामिल ठेकेदार और बेला थाना में कार्यरत निजी मुंशी को हिरासत में ले लिया और कार्य में लापरवाही बरतने वाले बेला थानेदार को निलंबित किया गया। वही सिटी एसपी विश्वजीत दयाल ने पूरे मामले पर कहा कि पूरे घटनाक्रम का पुलिस कराई से पूछताछ करेगी जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। लेकिन अब सवाल उठता है कि शराबबंदी वाले बिहार में शराब को जब विनष्टीकरण करना है तो मजिस्ट्रेट की निगरानी में पुलिस की टीम विनष्टिकरण की प्रक्रिया करती है।


 इतना ही नहीं पूरे कार्यक्रम का वीडियोग्राफी कराया जाता है तो ऐसे में सिर्फ एक को दोषी कैसे ठहराया जा सकता है इसमें शामिल और लोगों की कुंडली क्या पुलिस कंगाल पाएगी? यह कहने से गुरेज नहीं होना चाहिए कि शराबबंदी वाले बिहार में मुजफ्फरपुर में पुलिस और शराब कारोबारी के बीच गठजोड़ का खुलासा हुआ है। अब देखना होगा की कार्रवाई की रडार कहां तक जाती है और क्या कुछ हो पता है?