ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Politics: बिहार चुनाव से पहले रीतलाल यादव को एक और झटका, पत्नी रिंकू कुमारी के खिलाफ केस दर्ज; जानिए.. पूरा मामला Bihar Politics: बिहार चुनाव से पहले रीतलाल यादव को एक और झटका, पत्नी रिंकू कुमारी के खिलाफ केस दर्ज; जानिए.. पूरा मामला Success Story: बिहार की बेटी ने UPSC इंटरव्यू में दिया ऐसा जवाब कि पैनल भी मुस्कुरा उठा, कड़ी मेहनत के दम पर बनीं IAS अधिकारी Tejashwi Yadav tweet : तेजस्वी यादव ने PM मोदी से कर दी बड़ी अपील कहा - अपने भाषण में आरा के जंगलराज का जरूर करें जिक्र Bihar Weather Update: बिहार में चुनाव प्रचार पर मौसम की मार, उड़ान नहीं भर पा रहे नेताओं के हेलिकॉप्टर; कई रैलियां रद्द Bihar Weather Update: बिहार में चुनाव प्रचार पर मौसम की मार, उड़ान नहीं भर पा रहे नेताओं के हेलिकॉप्टर; कई रैलियां रद्द LPG Price 1 November 2025: LPG सिलेंडर के दाम घटे, बिहार चुनाव से पहले उपभोक्ताओं को मिली राहत Election 2025 Bihar : BJP के स्टार प्रचारक पवन सिंह मैदान में उतरे, पत्नी के लिए प्रचार करने के सवाल पर साधी चुप्पी; खेसारीलाल को लेकर दिया यह जवाब Bihar News: बिहार में निगरानी विभाग की सख्ती जारी, अब इस जिले में इंजीनियर और लाइनमैन रिश्वत लेते धराए Mokama Murder : 'फेफड़े फट गए और हड्डी टूट गई ...', दुलारचंद यादव हत्याकांड का पोस्टमार्टम कॉपी आया सामने, जानिए घटना के दिन की एक-एक बात

दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा के केस में नहीं होगी पति या ससुराल वालों की गिरफ्तारी: सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, कई अहम निर्देश दिये

अब दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा के मामलों में तुरंत गिरफ्तारी नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि IPC 498A के तहत दर्ज मामलों में दो महीने की शांति अवधि रहेगी, जिसमें पति और ससुराल वालों की गिरफ्तारी नहीं की जा सकेगी.

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 23 Jul 2025 05:29:43 PM IST

DELHI

सुप्रीम कोर्ट का आदेश - फ़ोटो GOOGLE

DELHI: दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा के केस-मुकदमे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में पुलिस केस करने वाली महिला के पति या ससुरालवालों को तत्काल गिरफ्तार न करे. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों को लेकर कई अहम दिशा निर्देश भी दिये हैं. 


दो महीने तक गिरफ्तारी नहीं 

देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना के मामलों को लेकर ये फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि इन मामलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो साल पहले ही अपना फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट का वह फैसला सही है औऱ उसे पूरे देश में अपनाया जाना चाहिये. 


सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा है कि भारतीय दंड संहिता(IPC) की धारा 498A के तहत दर्ज मामलों में पुलिस आरोपियों को दो महीने तक गिरफ्तार न करे. कोर्ट ने कहा कि जब कोई महिला अपने ससुराल वालों के खिलाफ 498A के तहत घरेलू हिंसा या दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराए तो पुलिस वाले उसके पति या उसके रिश्तेदारों को दो महीने तक गिरफ्तार न करे. कोर्ट ने दो महीने की अवधि को शांति अवधि कहा है. 


महिला आईपीएस अधिकारी को कहा- माफी मांगो

सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला IPS अधिकारी से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान ये फैसला सुनाया है. महिला आईपीएस अधिकारी ने अपने पति औऱ ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज कराया था. कोर्ट ने उन आरोपों को गलत मानते हुए उस महिला अधिकारी को उससे अलग हुए पति और उसके रिश्तेदारों के उत्पीड़न के लिए अखबारों में माफीनामा प्रकाशित कर माफी मांगने का भी आदेश दिया है.


दो माह तक पुलिस कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी

दरअसल 2022 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा के मामलों को लेकर आदेश जारी किया था. इसके मुताबिक, अगर घरेलू हिंसा और देहज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज हो तो पुलिस को दो महीने तक पति या पति के परिवार वालों की गिरफ्तारी नहीं करने का आदेश दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि था कि केस दर्ज होने के बाद 2 महीने का समय ‘शांति अवधि’ होगी. हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498ए के तहत दर्ज मामलों को पहले उस जिले की परिवार कल्याण समिति (FWC) को निपटारे के लिए भेजा जाना चाहिए. परिवार कल्याण समिति को इस विवाद को सुलझाने के लिए दो महीने का समय दिया जाना चाहिये  और इस दौरान यानी पहले के दो महीनों तक पुलिस कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगी.


सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में लागू करने को कहा

देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मंगलवार को इन दिशानिर्देशों को पूरे भारत में लागू करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने  ने अपने आदेश में कहा, "इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा 13 जून 2022 को क्रिमिनल रिवीजन नंबर 1126/2022 के विवादित फैसले में अनुच्छेद 32 से 38 के तहत 'आईपीसी की धारा 498ए के दुरुपयोग से बचाव के लिए परिवार कल्याण समितियों के गठन' के संबंध में तैयार किए गए दिशानिर्देश प्रभावी रहेंगे और अधिकारियों द्वारा लागू किए जाएंगे."


सुप्रीम कोर्ट ने पहले कर दिया था निरस्त

इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा जारी यह दिशानिर्देश 2017 में राजेश शर्मा एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य मामले में दिए गए फैसले पर आधारित हैं। दिलचस्प बात यह है कि 2018 में सोशल एक्शन फॉर मानव अधिकार बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ इसे संशोधित कर दिया था बल्कि इसे निरस्त भी कर दिया था. इस वजह से FWC निष्क्रिय हो गए थे. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के नये फैसले के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के दिशानिर्देश पूरे देश में लागू हो गए हैं.


FWC को भेजा जाएगा मामला

कोर्ट के आदेश के मुताबिक प्राथमिकी या शिकायत दर्ज होने के बाद, "शांति अवधि" (जो कि प्राथमिकी या शिकायत दर्ज होने के दो महीने बाद तक है) समाप्त हुए बिना, नामजद अभियुक्तों की कोई गिरफ्तारी या पुलिस कार्रवाई नहीं की जाएगी. इस "शांति अवधि" के दौरान, पुलिस के समक्ष दर्ज मामला तुरंत उस जिले में FWC को भेजा जाएगा. कोर्ट ने कहा है कि केवल वही मामले FWC को भेजे जाएँगे, जिनमें IPC की धारा 498-A के साथ-साथ, कोई क्षति न पहुँचाने वाली धारा 307 और IPC की अन्य धाराएँ शामिल हैं और जिनमें कारावास 10 वर्ष से कम है.