1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 15 Nov 2025 10:32:37 AM IST
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Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने एक बार फिर सीमांचल में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने कई सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 5 पर विजय हासिल कर ली। यह प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि सीमांचल के वोटरों के बीच पार्टी की पकड़ पिछले चुनाव की तरह इस बार भी कायम रही है।
पार्टी का यह प्रदर्शन न सिर्फ संगठन के विस्तार को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में AIMIM की जनाधार बढ़ाने की रणनीति कितनी कारगर रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी एआईएमआईएम ने 14 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2025 में जबकि सीटों की संख्या बढ़ाई गई, जीत की संख्या समान रहने के बावजूद पार्टी ने अपने वोट प्रतिशत में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है।
सीमांचल में ओवैसी का प्रभाव बरकरार
एआईएमआईएम की जीतें मुख्य रूप से सीमांचल क्षेत्र में केंद्रित रही हैं, जहां मुस्लिम आबादी अधिक है। इन इलाकों में लंबे समय से यह माना जाता रहा है कि मुख्यधारा की पार्टियाँ स्थानीय जरूरतों, विकास और समस्याओं को हल्के में लेती रही हैं। एआईएमआईएम ने ठीक इसी मुद्दे को पकड़कर अपने लिए एक मजबूत आधार तैयार किया।
इस चुनाव में जीतने वाले पांचों उम्मीदवार सीमांचल के ही विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों से आए हैं। चुनावी नतीजे बताते हैं कि पार्टी की पैठ सिर्फ बरकरार नहीं रही, बल्कि कुछ क्षेत्रों में और मजबूत हुई है। जीतने वाले उम्मीदवार और उनके क्षेत्र
जोकीहाट (50) – मोहम्मद मुर्शिद आलम
जोकीहाट सीट हमेशा से AIMIM के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती रही है। इस बार मोहम्मद मुर्शिद आलम ने जोरदार मुकाबले में जीत हासिल की। उन्होंने विकास, शिक्षा और स्थानीय रोजगार के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया था, जिसका उन्हें स्पष्ट लाभ मिलता दिखा।
बहादुरगंज (52) – मो. तौसीफ आलम
बहादुरगंज में मो. तौसीफ आलम की जीत पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि है। यह सीट 2020 में भी AIMIM का गढ़ साबित हुई थी। तौसीफ आलम ने अपनी साफ़ छवि और क्षेत्र में की गई सक्रियता के बल परमतदाताओं का भरोसा जीता।
कोचाधामन (55) – मो. सरवर आलम
कोचाधामन सीट से मो. सरवर आलम की विजय बताती है कि AIMIM का संगठन यहाँ मजबूत है। यह क्षेत्र अक्सर राजनीतिक रूप से उपेक्षित महसूस करता रहा है, और एआईएमआईएम ने इसे पूरी तरह भुनाया।
अमौर (56) – अख्तरुल ईमान
अख्तरुल ईमान AIMIM के सबसे मजबूत नेताओं में से एक माने जाते हैं। अमौर उनकी पुरानी सीट रही है और उन्होंने इस बार भी प्रभावशाली जीत दर्ज की। ईमान की गिनती उन नेताओं में की जाती है जिनकी लोकप्रियता व्यक्तिगत स्तर पर भी काफी है।
बायसी (57) – गुलाम सरवर
बायसी सीट से गुलाम सरवर की जीत को सीमांचल में पार्टी की मजबूती का प्रतीक माना जा रहा है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और सड़क विकास जैसे मुद्दों को अपने अभियान का मुख्य हिस्सा बनाया था।
AIMIM की रणनीति कैसे आई काम
AIMIM ने इस चुनाव में अपने प्रचार को पूरी तरह स्थानीय मुद्दों तक सीमित रखा। पार्टी का फोकस था पिछड़े इलाकों का विकास, युवाओं को शिक्षा और रोजगार, मेडिकल सुविधाओं में सुधार, और मुस्लिम समुदाय की राजनीतिक आवाज़ को मजबूत करना। इसके अलावा, पार्टी ने सोशल मीडिया और जमीनी स्तर पर प्रचार के आधुनिक तरीकों को अपनाया, जिससे युवा मतदाता बड़ी संख्या में प्रभावित हुए। अन्य दलों के लिए संकेत
सीमांचल में AIMIM की लगातार सफलता अन्य दलों के लिए चिंताजनक संकेत है राजद और कांग्रेस यहां वर्षों से हावी रहे हैं, लेकिन AIMIM के उभरने से उनकी वोट बैंक में सेंध लग रही है। एनडीए भी इन इलाकों में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन AIMIM की पकड़ उनके लिए चुनौती बनी हुई है। 2025 के चुनाव नतीजों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सीमांचल की राजनीति अब पहले जैसी नहीं रही। मतदाता अब पारंपरिक दलों से हटकर नए विकल्पों को परख रहे हैं, और AIMIM उनमें एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरी है।
ओवैसी का राजनीतिक संदेश
चुनाव परिणामों के बाद ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी सिर्फ मुसलमानों की नहीं, बल्कि "हक और न्याय" के लिए लड़ने वाली पार्टी है। उन्होंने कहा कि एआईएमआईएम बिहार के हर दबे-कुचले वर्ग की आवाज़ बनकर उभरेगी।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का परिणाम AIMIM के लिए बड़ी उपलब्धि है। सीमांचल के पांचों सीटों पर जीत से पार्टी ने यह संदेश दिया है कि वह सिर्फ एक क्षेत्रीय दल नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में एक प्रभावशाली शक्ति बनकर उभर रही है। यदि पार्टी इसी तरह अपना जनाधार बढ़ाती रही, तो आने वाले चुनावों में इसका प्रभाव और भी व्यापक हो सकता है।
जोकीहाट (50) – मोहम्मद मुर्शिद आलम
बहादुरगंज (52) – मो. तौसीफ आलम
कोचाधामन (55) – मो. सरवर आलम
अमौर (56) – अख्तरुल ईमान
बायसी (57) – गुलाम सरवर