NDA victory : मोदी के हनुमान ने बिहार में मजबूत किया एनडीए का कंधा, चिराग की पार्टी से जीतने वाले विधायकों के नाम जानें; देखें पूरी लिस्ट

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने सुगौली, गोविंदगंज, बेलसंड, कस्बा, बलरामपुर से लेकर गोविंदपुर तक जबरदस्त प्रदर्शन किया। कई नए चेहरे भारी मतों से विजयी हुए और चुनावी समीकरण बदल गए।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 15 Nov 2025 09:03:36 AM IST

NDA victory : मोदी के हनुमान ने बिहार में मजबूत किया एनडीए का कंधा, चिराग की पार्टी से जीतने वाले विधायकों के नाम जानें; देखें पूरी लिस्ट

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NDA victory : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का परिणाम अब लगभग स्पष्ट हो चुका है। इस बार के चुनाव में एनडीए ने भारी बढ़त लेते हुए कई सीटों पर जीत दर्ज की है। प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में हुए मुकाबले बेहद दिलचस्प रहे, लेकिन मतदाताओं ने एक बार फिर स्थिर शासन और विकास के नाम पर एनडीए के नेताओं पर भरोसा जताया। सुगौली से लेकर गोविंदपुर तक, कई नए चेहरे और कुछ अनुभवी नेता भारी मतों से जीतकर विधानसभा में पहुंच रहे हैं।


सुगौली सीट से एनडीए के उम्मीदवार राजेश कुमार ने शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत दर्ज की। यह सीट पिछली बार से अधिक प्रतिस्पर्धी मानी जा रही थी, लेकिन मतदाताओं ने राजेश कुमार को भरोसे का जनादेश दिया। उनके चुनाव प्रचार में स्थानीय विकास योजनाओं और सड़क-स्वास्थ्य संबंधी प्राथमिक मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया था, जिसका सीधा असर नतीजों में दिखाई दिया।


गोविंदगंज से राजू तिवारी की जीत एक तरह से पहले से तय मानी जा रही थी। उनके संगठनात्मक मजबूती और जमीनी कार्यकर्ताओं का मजबूत नेटवर्क यहां निर्णायक साबित हुआ। इस सीट पर हुई मतगणना के दौरान शुरू से ही वे बढ़त में थे और अंत में बड़ी संख्या में वोट पाकर विधायक चुन लिए गए।


बेलसंड में अमित कुमार ने कड़े मुकाबले में जीत हासिल की। बेलसंड में त्रिकोणीय मुकाबले की चर्चा पहले से थी, लेकिन अंतिम क्षणों में एनडीए का वोट मजबूत तरीके से एकजुट होता दिखा। अमित कुमार युवाओं और किसानों से जुड़े मुद्दों के लिए जाने जाते हैं, जिसका असर उनकी जीत पर साफ दिखा।


कस्बा से नितेश कुमार सिंह भी विधायक बनकर लौटे हैं। कस्बा सीट पर इस बार विकास योजनाओं के साथ-साथ कानून-व्यवस्था का मुद्दा काफी चर्चा में रहा। नितेश कुमार सिंह को ग्रामीण इलाकों से भारी समर्थन मिला, जिससे उनकी जीत और भी आसान हो गई।


पूर्वी बिहार के बलरामपुर से संगीता देवी ने भी जीत का परचम लहराया। महिला उम्मीदवार होने के नाते उन्हें महिला मतदाताओं का बड़ा समर्थन मिला। उनके सामाजिक कार्य और स्थानीय संपर्क ने उनकी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


सिमरी बख्तियारपुर से संजय कुमार सिंह ने भी इस चुनाव में अपनी राजनीतिक पकड़ साबित की। सिमरी बख्तियारपुर में पिछले कुछ वर्षों में विकास की गति को लेकर सवाल उठते रहे थे, लेकिन जनता ने इस बार बदलाव के लिए एनडीए को चुना और संजय कुमार सिंह को विधायक बनने का मौका दिया।


बोचा से बेबी कुमारी की जीत इस चुनाव की चर्चित जीतों में से एक मानी जा रही है। बेबी कुमारी का राजनीतिक अनुभव, जनता के बीच सहज पहुंच और महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर सक्रियता ने उन्हें यह सीट दिलाई।


दरौली सीट पर विष्णु देव पासवान का प्रदर्शन शानदार रहा। पासवान समुदाय का मजबूत समर्थन और संगठन की सक्रियता उनके पक्ष में गई। प्रतिस्पर्धी पार्टियां यहां अपनी पैठ मजबूत बनाने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन अंत में विष्णु देव पासवान ने निर्णायक जीत दर्ज की।


महुआ से संजय कुमार सिंह ने भी इस बार विकास और रोजगार के मुद्दों को केंद्र में रखा। महुआ सीट पर आरंभिक रुझानों में थोड़ी प्रतिस्पर्धा दिखी, लेकिन अंतिम राउंड तक आते-आते उनका अंतर काफी बढ़ गया।


इसके अलावा बखरी से संजय कुमार, परवत्ता से बाबूलाल शौर्य, नाथनगर से मिथुन कुमार, बख्तियारपुर से अरुण कुमार, चेनारी से मुरारी प्रसाद गौतम, और देहरी से राजीव कुमार रंजन सिंह ने भी जीत दर्ज की है। ओबरा सीट से प्रकाश चंद्र ने मतदाताओं का विश्वास जीता, जबकि शेरघाटी से उदय कुमार सिंह ने कड़े मुकाबले को पीछे छोड़ते हुए जीत हासिल की।


बिहार के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित रजौली से विमल राजवंशी और गोविंदपुर से विनीता मेहता एनडीए के लिए महत्वपूर्ण जीत मानी जा रही हैं। विनीता मेहता को महिला और युवा वोटरों से जबरदस्त समर्थन मिला, जिससे उनका जीत पक्का हो गया।


इन सभी जीतों के बाद स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि बिहार की जनता ने इस बार एनडीए पर भरपूर भरोसा जताया है। जहां कई सीटों पर नए चेहरे उभरकर सामने आए हैं, वहीं अनुभवी नेताओं ने भी अपना प्रभाव बनाए रखा। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ये सभी विधायक अपने-अपने क्षेत्रों में विकास, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं को लेकर जनता की उम्मीदों पर कितना खरे उतरते हैं।