1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 14 Nov 2025 06:27:58 AM IST
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बिहार विधान सभा चुनावों में एनडीए की सत्ता वापसी इस बार केवल प्रमुख पार्टियों द्वारा नहीं तय होगी बल्कि उसके सहयोगी दलों के प्रदर्शन पर भी महत्वपूर्ण निर्भरता है।
सीट-वितरण और रणनीति
एनडीए ने इस बार सीट-वितरण फॉर्मूला में अपना कुनबा बढ़ाया है। प्रमुख पार्टियाँ बीजेपी तथा जदयू को समान रूप से 101-101 सीटें दी गई हैं। जबकि सहयोगी दलों में Lok Janshakti Party (Ram Vilas) (एलजेपी RV), नेता Chirag Paswan ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया है। Rashtriya Lok Morcha (आरएलएम), नेता Upendra Kushwaha को 6 सीटें। Hindustani Awam Morcha (सेकुलर), नेता Jitan Ram Manjhi को भी 6 सीटें। इस प्रकार, इन तीन सहयोगी दलों ने कुल लगभग 41 सीटों में एनडीए के लिए चुनाव लड़ने का चुनाव किया है।
सहयोगियों पर दांव क्यों?
चिराग पासवान के नेतृत्व में एलजेपी-RV को 29 सीटें मिलने की वजह से पार्टी को इस गठबंधन में पिछली बार की तुलना में शक्तिशाली सहायक के रूप में देखा जा रहा है।उपेंद्र कुशवाहा तथा जीतन राम मांझी की पार्टियों का काम है विशेष क्षेत्रीय रूप से ओबीसी/मध्यवर्गीय वोट को एनडीए की ओर मोड़ना। यदि ये सहयोगी दल अच्छे प्रदर्शन नहीं करते, तो एनडीए को सिर्फ बीजूपार्टी-जदयू की जोड़ से बहुमत का भरोसा नहीं होगा यह एक जोखिम-मात्र नहीं बल्कि रणनीतिक चुनौतियों से भरा मामला है।
चुनौतियाँ और अवसर
चिराग पासवान ने भविष्य में उपमुख्यमंत्री पद की मांग की है यदि एनडीए को निर्णायक जीत मिले। हालांकि, एनडीए के भीतर ऊपरी स्तर पर यह संकेत भी मिला है कि चिराग को मुख्यमंत्री फेस नहीं बनाया जाएगा।एनडीए को इस बार वोट-शेयर में भी बारीकी से मुकाबला करना होगा कई एग्जिट पोल्स ने बताया है कि मुकाबला बेहद करीब है।सहयोगी दलों के लिए यह मौका है अपनी राजनीतिक पहचान मजबूत करने का और भविष्य में एनडीए के भीतर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का है।
यह स्पष्ट है कि इस चुनाव में एनडीए का मुख्य आधार सिर्फ भाजपा-जदयू का जोड़ नहीं रहेगा, बल्कि उसके सहयोगी दलों की जीत दर, क्षेत्रीय पकड़ और वोट शेयर उसकी सत्ता वापसी में निर्णायक भूमिका निभाएंगे। चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के हाथों में सिर्फ कुछ सीटें नहीं हैं — बल्कि गठबंधन के चेहरे और भविष्य का एजेंडा है।