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Bihar News: कोर वोटर्स से दूर होती BJP... टिकट देने में कंजूसी से 'ब्राह्मण' समाज का भरोसा डगमगाया, सर्वे में PK की तरफ झुकाव के रिपोर्ट

बिहार BJP के कोर वोटर माने जाने वाले ब्राह्मण समाज में असंतोष बढ़ रहा है। उचित प्रतिनिधित्व न मिलने और टिकट बंटवारे में उपेक्षा के चलते यह वर्ग भाजपा को लेकर असहज है. इस समाज के नए वोटरों का प्रशांत किशोर की तरफ झुकाव देखा जा रहा है.

1st Bihar Published by: Viveka Nand Updated Sun, 28 Sep 2025 09:49:48 AM IST

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- फ़ोटो Google

Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भाजपा मगध और शाहाबाद इलाके से करीब-करीब साफ हो गई थी. तमाम कोशिशों के बाद भी महागठबंधन को परास्ता करना एनडीए के लिए संभव नहीं हुआ. मिथिला -चंपारण ने भाजपा और एनडीए की प्रतिष्ठा बचाई थी. यह इलाका बीजेपी की गढ़ मानी जाती है. अगड़ी जाति भाजपा के कोर वोटर्स माने जाते हैं. हालांकि धीरे-धीरे भारतीय जनता पार्टी कोर वोटरों से दूर होती जा रही है. जो वोटर कांग्रेस को छोड़कर भाजपा के साथ आए, बीजेपी उन्हें मजबूर वोटर मान रही है.


भारतीय जनता पार्टी प्रत्येक चुनाव में लालू-राबड़ी राज का भय दिखाती है, ताकि अगड़ी जाति का वोट आसानी से मिल जाय. दूसरी तरफ भाजपा नेतृत्व अगड़ी जाति के प्रतिनिधित्व को सीमित कर रहा है. टिकट देने में कंजूसी दिखाई जा रही है. लिहाजा भाजपा के कोर वोटर्स नाराज और निष्क्रिय होते जा रहे. अगड़ी जाति के वोटरों में असंतोष के बीच प्रशांत किशोर चुनावी मैदान में कूद गए हैं. लिहाजा अगड़ी जाति का रूझान जनसुराज की तरफ बढ़ते दिखाई दे रहा है. भारतीय जनता पार्टी ने जो आंतरिक सर्वे कराया है, उसमें भी इस बात की पुष्टि हो रही है. 


बात ब्राह्मण समाज की...भाजपा को वोट एकमुश्त पर उचित प्रतिनिधित्व नहीं 

बात करेंगे, भाजपा के कोर वोटर्स माने जाने वाले ब्राह्मण समाज की. यह समाज बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है. इस समाज का कांग्रेस से मोह भंग हुआ और भाजपा से जुड़ाव. कई चुनावों से इस समाज का एकमुश्त वोट भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में जाते रहा है. भाजपा इस समाज के वोट को अपना वोट मानती है. नेतृत्व को लगता है कि यह वर्ग कहीं नहीं जायेगा. ऐसा इसलिए क्यों कि विपक्ष में राजद है. चुनाव के समय भाजपा लालू-राबड़ी राज का भय दिखाकर आसानी से एकमुश्त वोट ले लेती है. कई चुनावों से ऐसा ही देखने को मिल रहा है. अब नेतृत्व टिकट देने में डंडी मारने लगा है. जिन वोटरों के बूते भाजपा ताकत बनकर ऊभरी, प्रभाव बढ़ा, उस वर्ग को ही किनारा लगाया जाने लगा है. जिसमें ब्राह्मण समाज भी है. आरोप लगता है कि भारतीय जनता पार्टी इस समाज का एकमुश्त वोट लेती है, पर उचित प्रतिनिधित्व नहीं देती. 


2020 में भाजपा के टिकट पर पांच कैंडिडेट चुनाव जीते 

बात 2020 विधानसभा चुनाव की कर लेते हैं. भारतीय जनता पार्टी ने 2020 के चुनाव में ब्राह्मण समाज को 11 टिकट दिया. इनमें से 7 कानकुब्ज ब्राह्मण, जबकि चार मैथिल ब्राह्मण को उम्मीदवार बनाया गया. भाजपा के गढ़ माने जाने वाले मिथिला के सभी चारो उम्मीदवार चुनाव जीत गए. वहीं कानकुब्ज 7 ब्राह्मण उम्मीदवारों में सिर्फ 1 प्रत्याशी की जीत हुई। जो यह बता रहा है कि मिथिला में भाजपा का प्रभाव अधिक है. मिथिला में इस वर्ग का प्रभुत्व है, 


लिहाजा सभी चारो उम्मीदवार चुनाव जीत गए. हालांकि जिस इलाके में भाजपा का प्रभाव है, वहां इस वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलता . ब्राह्मण समाज की भाजपा नेतृत्व से शिकायत रहती है कि,सत्ता में उचित हिस्सेदारी दी जाय. प्रशांत किशोर की तरफ बढ़ते रूझान के बीच हाल ही में राजधानी में गोपनीय तौर पर ब्राह्मण समाज की एक बैठक हुई.जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। 


2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कुल 11 उम्मीदवार ब्राह्मण समाज से दिया. इनमें रोहित पांडेय को भागलपुर, रिंकी रानी पांडेय को भभुआ, मिथिलेश तिवारी-बैकुंठपुर, परशुराम चौबे-बक्सर, सुनील मणी तिवारी-गोविंदगंज, मुन्नी देवी-शाहपुर और राजेश्वर राज को काराकाट से उम्मीदवार बनाया गया.इनमें सिर्फ 1 प्रत्याशी सुनील मणी तिवारी-गोविंदगंज चुनाव जीते, बाकी सभी को हार का सामना करना पड़ा. वहीं मिथिला इलाके से चार कैंडिडेट---आलोक रंजन झा-सहरसा, विनोद नारायण झा-बेनीपट्टी, नीतीश मिश्रा-झंझारपुर और मुरारी मोहन झा को केवटी से मैदान में उतारा गया . मिथिला के मैदान में उतरे भाजपा के चारो कैंडिडेट चुनाव जीत गए थे. 


सवर्ण समाज की बात करें तो भाजपा ने 2020 के विधानसभा चुनाव में भूमिहार समाज से 15 प्रत्याशी मैदान में उतारे, जिसमें 8 की जीत हुई। राजपूत समाज से लड़े 21 ,जीते 18 कैंडिडेट और कायस्थ समाज के तीन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया और तीनों जीत गए।