योगी की तरह एक्शन में दिख रहे सम्राट, गृह संभालते ही इस केस में दिया स्पीडी ट्रायल का आदेश; पुलिस ने जुटाए सबुत

बिहार में चर्चित चंदन मिश्रा हत्याकांड में पुलिस ने पांच आरोपितों के खिलाफ स्पीडी ट्रायल के लिए कोर्ट में कार्रवाई शुरू कर दी है। जांच में सीसीटीवी और एफएसएल रिपोर्ट समेत कई अहम साक्ष्य जुटाए गए हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 25 Nov 2025 08:31:21 AM IST

योगी की तरह एक्शन में दिख रहे सम्राट, गृह संभालते ही इस केस में दिया स्पीडी ट्रायल का आदेश; पुलिस ने जुटाए सबुत

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Chandan Mishra Murder Case : बिहार में गृह विभाग की जिम्मेदारी सम्राट चौधरी के हाथ में आने के बाद से पुलिस महकमा लगातार सक्रिय मोड में नजर आ रहा है। इसी कड़ी में पटना के एसीजेएम कोर्ट ने चर्चित चंदन मिश्रा हत्याकांड के पांच आरोपितों का ट्रायल दौरा सुपुदर्गी कर प्रधान जिला न्यायाधीश को भेज दिया है। यह केस स्पीडी ट्रायल के तहत चलाया जाएगा, ताकि अपराधियों को जल्दी से न्याय दिलाया जा सके।


पुलिस ने इस हत्याकांड में व्यापक जांच की है। लोक अभियोजक राजेश कुमार ने बताया कि पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, वैज्ञानिक और तकनीकी जांच, एफएसएल रिपोर्ट और अन्य अहम साक्ष्य जुटाए हैं। इस मामले के पांचों आरोपित वर्तमान में न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं।


आरोपितों में शामिल हैं:


तौशिफ राजा उर्फ बादशाह – फुलवारीशरीफ निवासी, भागलपुर


विजयकांत पाडेय उर्फ धन्नु/रुद्र पांडेय – बक्सर निवासी


सदमान हसन खान उर्फ निशु खान – राजाबाजार निवासी


हर्ष कुमार – दीघा निवासी


भीम कुमार – दीघा के माली टोला निवासी


पुलिस ने इन सभी के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने संज्ञान लिया और केस के अभिलेख प्रधान जिला न्यायाधीश को भेज दिए। मुख्य हत्याकांड की जांच अभी भी चल रही है। पारस अस्पताल में दिनदहाड़े मारे गए चंदन मिश्रा के मामले में शेरू सिंह उर्फ ओंकारनाथ सिंह मुख्य आरोपित हैं। इसके अलावा पुलिस आठ अन्य लोगों के खिलाफ भी जांच कर रही है, जिनमें शामिल हैं: बलवंत कुमार सिंह (बक्सर), रविरंजन सिंह, अभिषेक कुमार, शुभम सिंह (बेगूसराय), राजेश यादव (बक्सर), मोनू कुमार सिंह और डॉक्टर पिंटू कुमार सिंह (पारस अस्पताल)।


गौरतलब है कि यह हत्याकांड 17 जुलाई को हुआ था, जब चंदन मिश्रा अस्पताल में इलाज करा रहे थे और दिनदहाड़े घुसकर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने इस कांड में सभी साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए आरोपितों को हिरासत में लिया और मामले की पूरी जांच सुनिश्चित की।


पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के गंभीर अपराधों में तेजी से कार्रवाई कर अपराधियों को कड़ी सजा दिलाना उनकी प्राथमिकता है। गृह विभाग के सक्रिय कदमों और पुलिस की सतत जांच से यह संकेत मिल रहे हैं कि अब बिहार में कानून व्यवस्था के मामलों में तेजी और पारदर्शिता लाई जा रही है।


इस मामले की सुनवाई स्पीडी ट्रायल के तहत होगी, जिससे पीड़ित परिवार को जल्द न्याय मिलने की उम्मीद है। पुलिस और न्यायपालिका की सक्रियता इस बात का प्रमाण है कि गंभीर अपराधों में अब किसी भी तरह की ढील नहीं बरती जाएगी।