Bihar Election 2025 : पहले चरण में उच्च शिक्षाधारी उम्मीदवारों का दबदबा, इंजीनियर, डॉक्टर, पीएचडी और डी-लिट शामिल; जानिए कितने पढ़े -लिखें हैं आपके नेता

बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण में एनडीए और महागठबंधन ने उच्च शिक्षाधारी उम्मीदवारों को प्रमुखता दी है। करीब 62% उम्मीदवार स्नातक या उससे अधिक योग्यताधारी हैं, जिसमें इंजीनियर, डॉक्टर, पीएचडी और डी-लिट डिग्रीधारी शामिल हैं। वहीं कुल उम्मीदवारों में 8%

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 22 Oct 2025 09:59:39 AM IST

Bihar Election 2025 : पहले चरण में उच्च शिक्षाधारी उम्मीदवारों का दबदबा, इंजीनियर, डॉक्टर, पीएचडी और डी-लिट शामिल; जानिए कितने पढ़े -लिखें हैं आपके नेता

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Bihar Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यताओं ने राजनीतिक पटल पर एक नया रोचक अध्याय जोड़ दिया है। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही गठबंधनों ने इस बार अपने उम्मीदवारों के चयन में उच्च शिक्षाधारियों को प्राथमिकता दी है। उम्मीदवारों के नामांकन पत्र और शपथ पत्रों से यह स्पष्ट हुआ कि करीब 62 फीसदी उम्मीदवार स्नातक या उससे अधिक योग्यताधारी हैं। इनमें दो दर्जन से अधिक उम्मीदवार इंजीनियरिंग और पीएचडी जैसे उच्चतर अकादमिक योग्यताओं के साथ चुनावी मैदान में उतरे हैं।


उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यताओं के आंकड़े बताते हैं कि 17 उम्मीदवारों के पास एलएलबी डिग्री है, 12 इंजीनियरिंग, 12 पीएचडी, पांच एमबीबीएस, तीन एमबीए और दो एमफिल डिग्रीधारी हैं। इसके अलावा दोनों प्रमुख गठबंधनों के कुल उम्मीदवारों में करीब आठ फीसदी ऐसे भी हैं, जिन्होंने नॉन मैट्रिक शिक्षा प्राप्त की है। इनमें सात साक्षर हैं, जबकि एक दर्जन ने केवल सातवीं, आठवीं या नौवीं तक की पढ़ाई पूरी की है। उम्मीदवारों की कुल संख्या में 24 के पास मैट्रिक, 47 के पास इंटरमीडिएट, 66 के पास स्नातक और 28 के पास स्नातकोत्तर की डिग्री है।


एमबीबीएस डिग्रीधारी उम्मीदवारों में बिहारशरीफ से भाजपा के डॉ. सुनील कुमार, बाढ़ से भाजपा के सियाराम सिंह, परसा से राजद की डॉ. करिश्मा, परबत्ता से राजद के डॉ. संजीव कुमार और महुआ से राजद के मुकेश रौशन शामिल हैं। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में लखीसराय से भाजपा के विजय कुमार सिन्हा, राजगीर से सीपीआई के विश्वनाथ चौधरी, इस्लामपुर से जदयू के रूहेल रंजन, कांटी से जदयू के अजीत कुमार, साहेबगंज से भाजपा के राजू कुमार सिंह, वैशाली के कांग्रेस के संजीव सिंह, महनार से राजद के रवींद्र कुमार सिंह, वारिसनगर से जदयू के मांजरिक मृणाल, उजियारपुर से रालोमो के प्रशांत कुमार और राजद के आलोक कुमार मेहता शामिल हैं।


इस बार के चुनाव में डी-लिट डिग्रीधारी उम्मीदवार भी चर्चा का विषय बने हैं। तारापुर से भाजपा के सम्राट चौधरी, केवटी से भाजपा के मुरारी मोहन झा और सोनपुर से राजद के रामानुज कुमार डी-लिट की डिग्रीधारी हैं। वहीं एमफिल डिग्रीधारी उम्मीदवारों में भोरे से माले के धनंजय और गौराबौराम से भाजपा के सुजीत कुमार शामिल हैं।


पीएचडी और उच्चतर डिग्रीधारी उम्मीदवारों की सूची भी लंबी है। भाजपा के डॉ. संजीव चौरसिया, राजद के डॉ. रामानंद यादव, कांग्रेस के डॉ. इंद्रदीप चंद्रवंशी, साहेबपुर कमाल से राजद के शतानंद, खगड़िया से कांग्रेस के चंदन कुमार, बिहारीगंज से राजद की रेणु कुमारी, सिंहेश्वरस्थान से जदयू के रमेश ऋषिदेव, जाले से भाजपा के जिवेश कुमार, हायाघाट से भाजपा के रामचंद्र प्रसाद, बरूराज से भाजपा के अरुण कुमार सिंह और बेनीपुर से जदयू के विनय चौधरी पीएचडी हैं। इसके अलावा बोचहा से राजद के अमर पासवान, गायघाट से जदयू की कोमल सिंह और दरभंगा से भाजपा के संजय सरावगी एमबीए डिग्रीधारी उम्मीदवार हैं।


विशेष रूप से, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी डी-लिट की उपाधि रखने वाले तीन प्रत्याशियों में से एक हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि शिक्षा और विशेषज्ञता के आधार पर उम्मीदवारों का चयन दोनों गठबंधनों के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति का हिस्सा है। उच्च शिक्षा रखने वाले उम्मीदवारों की संख्या इस बार राजनीतिक जागरूकता और प्रशासनिक क्षमता को भी चुनावी प्रक्रिया में प्रमुख बनाने का संकेत देती है।


हालांकि, कुल उम्मीदवारों में अभी भी ऐसे लोग हैं जिनकी शिक्षा नॉन मैट्रिक स्तर तक सीमित है। यह विविधता चुनावी प्रक्रिया को और अधिक व्यापक और प्रतिनिधि बनाती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि चुनाव केवल शैक्षणिक योग्यता तक सीमित नहीं है, बल्कि आम जनता के अनुभव और सामाजिक पृष्ठभूमि को भी ध्यान में रखा गया है।


इस तरह, बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण में उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता ने यह स्पष्ट किया है कि राजनीतिक दलों ने इस बार शिक्षा और विशेषज्ञता को चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा बनाया है। उम्मीदवारों में स्नातक, स्नातकोत्तर, डॉक्टर, इंजीनियर और पीएचडी जैसे उच्चतम शिक्षाधारी होने से यह चुनावी प्रतिस्पर्धा और भी रोचक और ज्ञानोन्मुख बनी हुई है। यह न केवल उम्मीदवारों की व्यक्तिगत क्षमता को दर्शाता है, बल्कि बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में शिक्षा के महत्व को भी रेखांकित करता है।