ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar Election 2025: राजद प्रत्याशी की मुश्किलें बढ़ीं, CAPF पर हमला करने के आरोप में कैंडिडेट सहित 20 लोगों पर FIR दर्ज Bihar Election 2025: स्ट्रॉन्ग रूम में ऐसे लॉक हुईं EVM, RJD ने लगाया आरोप; जानें कितनी है सच्चाई? Tejashwi Yadav : बैलगाड़ी से निकल कर हैलिकौप्टर पर पहुंचे नेता जी, हर दिन 2.5 करोड़ का हो रहा खर्च; कौन सी पार्टी सबसे आगे Dularchand Yadav murder : मोकामा में रिजल्ट आने तक नहीं मिलेगी कोई ढील, दुलारचंद को लगी गोली का खोखा अब तक नहीं हुआ बरामद; SP को मिला यह निर्देश Bihar Elections 2025: दांव पर कई दिजज्जों की साख, इन तीन सीटों पर सबसे बड़ा महादंगल ; जानिए कौन -कौन हैं मैदान में Indian Railways : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को दी चार नई वंदे भारत ट्रेनों की सौगात, विकास और आत्मनिर्भर भारत की ओर बड़ा कदम Bihar News: बिहार के यात्रियों के लिए रेलवे की विशेष व्यवस्था, अब दर्जनों ट्रेनों में मिलेगी यह महत्वपूर्ण सुविधा Bihar Election 2025: पहले चरण की बंपर वोटिंग के बाद BJP पर संकट! मोदी के करीबी मंत्री ने कर दिया क्लियर, कौन होगा CM? Bihar Election 2025 : बिहार चुनाव में बदल गया पहले फेज का वोटिंग परसेंटेज, ECI ने दिया नया डेटा; जानिए क्या है नया आकड़ा Bihar News: बिहार के इस स्टेशन पर यात्रियों की भारी भीड़, रेलवे ने की होल्डिंग एरिया की व्यवस्था

Bihar Elections 2025: दांव पर कई दिजज्जों की साख, इन तीन सीटों पर सबसे बड़ा महादंगल ; जानिए कौन -कौन हैं मैदान में

Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में कई विधानसभा क्षेत्र इस बार बेहद हाईवोल्टेज बने हुए हैं, लेकिन गया टाउन, सासाराम और चैनपुर तीन सीटें ऐसी हैं, जहां सियासी पारा सबसे ज्यादा गर्म है। इन सीटों पर कुल 22-22 उम्मीदवार...

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 08 Nov 2025 10:36:57 AM IST

Bihar Election 2025

बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE

Bihar Elections 2025:  बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में कई विधानसभा क्षेत्र इस बार बेहद हाईवोल्टेज बने हुए हैं, लेकिन गया टाउन, सासाराम और चैनपुर तीन सीटें ऐसी हैं, जहां सियासी पारा सबसे ज्यादा गर्म है। इन सीटों पर कुल 22-22 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिससे मुकाबला न सिर्फ तगड़ा बल्कि अप्रत्याशित भी बन गया है। हर सीट पर कभी भाजपा, कभी राजद, तो कभी कांग्रेस का झंडा लहराता रहा है, लेकिन इस बार समीकरण बदल गए हैं। गठबंधनों के भीतर खींचतान और नए चेहरे चुनावी परिदृश्य को और उलझा रहे हैं।


सासाराम: जेल से लौटे राजद उम्मीदवार और हाईवोल्टेज सस्पेंस

सासाराम विधानसभा सीट इस बार सुर्खियों में है। राजद उम्मीदवार सत्येंद्र शाह, जिन्हें नामांकन के तुरंत बाद गिरफ्तार किया गया था, जेल से छूटने के बाद सक्रिय प्रचार में जुट गए हैं। यह मामला 21 साल पुराना है और उनकी गिरफ्तारी ने चुनावी माहौल में सस्पेंस बढ़ा दिया है।


2020 और 2015 में यह सीट राजद के खाते में रही थी, लेकिन इस बार मुकाबला कई गुना कठिन दिख रहा है। राजद ने अपने पुराने प्रत्याशी राजेश कुमार गुप्ता की जगह शाह को टिकट देकर चुनावी दांव खेला है। वहीं, बसपा ने अशोक कुशवाहा को मैदान में उतारा है, जो पहले जद(यू) और राजद से चुनाव जीत चुके हैं। इस बार सासाराम का रण महागठबंधन, एनडीए और तीसरे मोर्चे के प्रभाव का केंद्र बन गया है।


इस सीट पर जातीय समीकरण के साथ-साथ सहानुभूति फैक्टर भी अहम भूमिका निभा रहा है। शाह की गिरफ्तारी ने विरोधियों को निशाना बनाने का मौका दिया, जबकि राजद ने इसे “राजनीतिक उत्पीड़न” बताकर प्रचार में मुद्दा बनाया।


गया टाउन: बीजेपी का गढ़लेकिन कांग्रेस चुनौती के साथ

गया टाउन को लंबे समय से भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री प्रेम कुमार इस सीट से लगातार तीन बार जीत चुके हैं। 2010 में यह सीट भाजपा और सीपीआई के बीच मुकाबले की वजह से सुर्खियों में आई थी।


इस बार कांग्रेस ने अखौरी ओंकार नाथ को उम्मीदवार बनाकर प्रेम कुमार को कड़ी चुनौती दी है। गया की गलियों में इस चुनाव को ‘परिवर्तन बनाम परंपरा’ के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल है, जबकि कांग्रेस के लिए यह खोई हुई जमीन वापस पाने का अवसर है।


स्थानीय मुद्दे जैसे नगर निकाय की कमजोरियां, युवा बेरोजगारी और बोधगया पर्यटन क्षेत्र की उपेक्षा भी चुनावी बहस का केंद्र बन गए हैं। पिछले दशकों के रुझान बताते हैं कि भाजपा के मजबूत वोट बैंक के सामने कांग्रेस को इस बार निर्णायक रणनीति अपनानी होगी।


चैनपुर: बसपाराजद और वीआईपी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला

चैनपुर विधानसभा सीट पर मुकाबला थोड़े अलग स्वरूप का है। यहां भाजपा और कांग्रेस सीधे मैदान में नहीं हैं। मुकाबला बसपा, राजद और वीआईपी पार्टी के उम्मीदवारों के बीच है। बसपा ने धीरज सिंह को मैदान में उतारा है। राजद ने बृज किशोर और वीआईपी ने गोविंद बिंद को उम्मीदवार बनाया है।


चैनपुर की सियासी कहानी हर चुनाव में जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। इस बार बसपा ने नया प्रयोग किया है, जबकि राजद अपने पारंपरिक वोट बैंक को बनाए रखने की उम्मीद कर रही है। त्रिकोणीय मुकाबले की वजह से वोटों का बंटवारा निर्णायक होगा।


कम उम्मीदवार वाले इलाकों में भी मुकाबला उतना ही तीखा

जहां गया टाउन, सासाराम और चैनपुर में 22-22 उम्मीदवार हैं, वहीं दूसरे चरण में छह सीटें ऐसी हैं, जहां सिर्फ पांच-पांच प्रत्याशी मैदान में हैं। कम उम्मीदवारों के बावजूद मुकाबला रणनीतिक और तीखा बना हुआ है। पार्टियां इस बार गठबंधन प्रबंधन और बूथ लेवल रणनीति पर अधिक ध्यान दे रही हैं।


इस उच्च संख्या में उम्मीदवार होने से वोटों का बिखराव तय है, जिसका फायदा बड़े गठबंधनों को मिल सकता है। सासाराम और गया जैसी सीटों पर स्थानीय मुद्दे और उम्मीदवारों की छवि चुनावी गणित को निर्णायक रूप से प्रभावित करेंगे। इन तीन सीटों पर अब सबकी निगाहें टिकी हैं कि आखिर इस सियासी दंगल में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा।