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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 08 Nov 2025 11:24:42 AM IST
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Tejashwi Yadav : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार प्रचार का अंदाज पूरी तरह बदल गया है। पहले जहां चुनावी दौरे साइकिल, जीप या पैदल यात्राओं से किए जाते थे, वहीं अब राजनीति का केंद्र आसमान बन गया है। नेताओं की रैलियों और सभाओं तक पहुंचने के लिए रोजाना 23 हेलिकॉप्टर बिहार की हवा चीरते नजर आ रहे हैं। इन उड़ानों पर राजनीतिक दल हर दिन करीब 2.5 करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं। यानी एक महीने में सिर्फ हेलिकॉप्टरों पर 40 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो चुका है।
चुनाव आयोग और विमानन एजेंसियों से मिली जानकारी के अनुसार, 16 अक्टूबर से 7 नवंबर के बीच पार्टियों ने हेलिकॉप्टर किराया, टैक्स और चालक दल की व्यवस्था पर भारी रकम खर्च की है। प्रति हेलिकॉप्टर किराया औसतन 10 से 11 लाख रुपए प्रतिदिन है। खर्च का यह पैमाना किसी बड़े कॉर्पोरेट आयोजन से कम नहीं दिखता।
सबसे ज्यादा उड़ानें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हिस्से में हैं। भाजपा ने 12 हेलिकॉप्टर किराये पर लिए हैं और रोजाना लगभग 1.5 करोड़ रुपए सिर्फ इन पर खर्च कर रही है। पार्टी की रणनीति साफ है—कम समय में अधिक से अधिक जिलों में रैलियां। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, जेपी नड्डा और शिवराज सिंह चौहान जैसे शीर्ष नेता लगातार बिहार में प्रचार कर रहे हैं।
एनडीए गठबंधन इस चुनावी “हवाई जंग” में सबसे आगे है। कुल 14 हेलिकॉप्टरों में से 12 भाजपा और 2 जदयू के पास हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हेलिकॉप्टर की खासियत है कि वह छोटे हेलीपैड पर आसानी से उतर सकता है, जिससे उनकी यात्राएं अधिक सुगम हो जाती हैं। जदयू अध्यक्ष ललन सिंह और अन्य नेता भी इन्हीं हेलिकॉप्टरों से सभाओं में पहुंचते हैं।
विपक्षी खेमे में भी उड़ानों की रफ्तार कम नहीं। राजद ने दो हेलिकॉप्टर किराये पर लिए हैं—एक तेजस्वी यादव के लिए आरक्षित है, जो दिनभर में 10 से 12 रैलियां कर रहे हैं। तेजस्वी की प्रचार गति ने एनडीए को सीधी चुनौती दी है। दूसरा हेलिकॉप्टर पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। इस बार तेजस्वी को चुनावी हवा का सबसे तेज़ यात्री माना जा रहा है। तेज प्रताप यादव भी इस बार अपने स्तर पर स्वतंत्र उड़ानें भर रहे हैं। जनशक्ति जनता दल के बैनर तले वे गांव-गांव हवाई रास्ते से पहुंच रहे हैं और अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
पटना एयरपोर्ट इस पूरे चुनावी माहौल का “कमांड सेंटर” बन गया है। रोजाना 4 से 5 चार्टर्ड प्लेन देश के बड़े नेताओं को लेकर यहां उतरते हैं, जहां से वे सीधे हेलिकॉप्टर से अपने गंतव्यों की ओर रवाना हो जाते हैं। एक अर्थ में देखा जाए तो अब बिहार का चुनाव अभियान हवा में चलता है—धरती पर बस भाषण देना बाकी रह गया है।
हेलिकॉप्टर राजनीति का इतिहास भी बिहार से गहराई से जुड़ा है। 1957 के विधानसभा चुनाव में पहली बार रामगढ़ के राजा कामाख्या नारायण सिंह ने रूस से दो हेलिकॉप्टर मंगवाकर प्रचार किया था, जिसने उस दौर में सनसनी फैला दी थी। उस समय कांग्रेस में सिर्फ जवाहरलाल नेहरू ही हवाई यात्रा करते थे। बाद में राजा चंद्रचूड़ प्रसाद सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार के.बी. सहाय के लिए विमान भेजा था, लेकिन तकनीकी खराबी से योजना अधूरी रह गई।
समय के साथ प्रचार का स्वरूप बदलता गया—बैलगाड़ी और साइकिल से शुरू हुआ यह सफर अब करोड़ों की हवाई दौड़ तक पहुंच गया है। 2025 के बिहार चुनाव ने यह साफ कर दिया है कि राजनीति अब सिर्फ जमीन पर नहीं, बल्कि आसमान में भी अपने पंख फैला चुकी है।