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Bihar Assembly Election 2025 : महागठबंधन में दरार ! कई सीटों पर कांग्रेस और राजद के उम्मीदवार आमने-सामने; BJP ने पूछे यह सवाल

Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन की दरार सामने आई। कई सीटों पर कांग्रेस और राजद के उम्मीदवार आमने-सामने, गठबंधन की मजबूती पर उठ रहे सवाल।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 17 Oct 2025 10:15:25 AM IST

Bihar Assembly Election 2025 : महागठबंधन में दरार ! कई सीटों पर कांग्रेस और राजद के उम्मीदवार आमने-सामने; BJP ने पूछे यह सवाल

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Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन की सीट बंटवारे की स्थिति ने राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी है। इस बार चुनाव दो चरणों में होने हैं, लेकिन महागठबंधन के भीतर कई सीटों पर स्पष्टता नहीं है। कांग्रेस और राजद के बीच कई क्षेत्रों में उम्मीदवार आमने-सामने खड़े हैं, जिससे गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठने लगे हैं। भाजपा प्रवक्ता नीरज कुमार ने इसको लेकर  महागठबंधन पर तंज कसा है और इसे ‘कच्ची मिट्टी का घड़ा’ बताते हुए गठबंधन की कमजोर स्थिति की ओर इशारा किया है।


उन्होंने कहा कि कई सीटों पर महागठबंधन के भीतर तनाव साफ नजर आ रहा है। कहलगांव में कांग्रेस के प्रवीण कुशवाहा और राजद के रजनीश यादव आमने-सामने हैं। बछवारा सीट पर कांग्रेस के गरीबदास और सीपीआई के अवधेश राय में मुकाबला है। वैशाली में कांग्रेस के संजीव कुमार और राजद के अजय कुशवाहा के बीच सीधी टक्कर तय हो चुकी है। जाले में कांग्रेस के नौशाद और राजद के ऋषि मिश्रा, जबकि चनपटिया में कांग्रेस के अभिषेक रंजन और राजद की उम्मीदवार सौरव कुमार की पत्नी मैदान में हैं। लालगंज और घोसी सीटों पर भी स्थिति समान है, जिससे गठबंधन की मजबूती पर बड़ा सवाल उठ रहा है।


वैशाली विधानसभा सीट इस बार विशेष रूप से ध्यान खींच रही है। यहां कांग्रेस और राजद आमने-सामने हैं। कांग्रेस के संजीव कुमार ने 15 नवंबर को नामांकन दाखिल किया, जबकि राजद के अजय कुशवाहा 17 नवंबर को अपना नामांकन करेंगे। इस स्थिति ने कार्यकर्ताओं को असमंजस में डाल दिया है और आम जनता में भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।


दरअसल, महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर पहले ही तनाव था। दोनों दलों ने अपने उम्मीदवारों को सिंबल देकर किसी तरह समझौता करने की कोशिश की, लेकिन इसका असर देखने को नहीं मिला। कांग्रेस उम्मीदवार संजीव कुमार ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी परिस्थिति में समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं। अगर राजद के अजय कुशवाहा उनके सामने आते हैं, तो सीधे मुकाबले से बचना मुश्किल होगा।


राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस तरह की दरारें महागठबंधन की चुनावी रणनीति को कमजोर कर सकती हैं। गठबंधन की कमजोर स्थिति भाजपा के लिए अवसर बन सकती है, जो इसे चुनाव प्रचार में जोर-शोर से उपयोग कर सकती है। इससे महागठबंधन के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भी भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।


कांग्रेस और राजद दोनों ही दल इस समय अपने-अपने उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। लेकिन यदि गठबंधन के भीतर इस तरह की दरारें बनी रहीं, तो यह न केवल सीटों पर उनकी पकड़ कमजोर कर सकती हैं, बल्कि विरोधी दलों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती हैं। यह स्थिति बिहार की राजनीतिक तस्वीर को और पेचीदा बनाती है, जहां गठबंधन की मजबूती और एकजुटता की परीक्षा सबसे अधिक होने वाली है।


इस चुनाव में महागठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वह अपनी अंदरूनी खींचतान को सुलझाकर अपने उम्मीदवारों के बीच समन्वय बनाए। अन्यथा, एनडीए इस राजनीतिक कमजोरी का भरपूर फायदा उठा सकती है। वैसे भी, विधानसभा चुनाव में गठबंधन की ताकत केवल उम्मीदवारों की संख्या पर नहीं बल्कि उनके बीच सामंजस्य और रणनीति पर भी निर्भर करती है।


इस स्थिति में बिहार के मतदाता भी यह देख रहे हैं कि कौन सा गठबंधन अधिक संगठित और मजबूत है। महागठबंधन के भीतर की दरारें और कांग्रेस-राजद की सीधी टक्कर भाजपा के लिए एक प्रचार का जरिया बन सकती हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर इस दरार को समय रहते नहीं सुधारा गया, तो इसका असर महागठबंधन की चुनावी सफलता पर सीधे पड़ेगा।


बहरहाल, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन की चुनौतियां सिर्फ विरोधी दलों से नहीं बल्कि अपने ही अंदरूनी मतभेदों से भी हैं। कांग्रेस और राजद की सीधी टक्कर और सीट बंटवारे में विवाद इसे और जटिल बना रहे हैं। ऐसे में गठबंधन की रणनीति और उम्मीदवारों की एकजुटता ही इस चुनाव में उनकी सफलता की कुंजी होगी।