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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 14 Oct 2025 08:02:40 AM IST
बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए खेमे में सीटों के बंटवारे का फार्मूला भले ही तय हो गया हो, लेकिन अंदरखाने की राजनीति अब गर्माती दिख रही है। भाजपा, जेडीयू और चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (रामविलास) के बीच सीट बंटवारे को लेकर जो सहमति बनी थी, उसके बाद अब भीतरखाने में टिकट वितरण को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। सूत्रों के मुताबिक, फार्मूला तो आसान था, लेकिन उसका असर जेडीयू के नेताओं पर गहरा पड़ने वाला है और यही से शुरू हुआ असली राजनीतिक खेल...।
भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एनडीए में जो फार्मूला बनाया गया 101 - 101 सीट पर जेडीयू और भाजपा उसके बाद 29 सीटों पर चिराग पासवान की पार्टी। उसको लेकर अधिक समस्या नहीं थी।लेकिन उसके बाद असली खेल शुरू हुआ। खेल कुछ तरह से शुरू हुआ की चिराग पासवान को उन सीटों का भरोसा दे दिया गया जिसमें कई सीटों पर जेडीयू के विधायक है और उसमें से कुछ लोग वर्तमान कैबिनेट में मंत्री है। ऐसे में जेडीयू को उन्हें बेटिकट करना पड़ता या फिर उनकी सीट बदलनी पड़ती जो कि उनके लिए नई समस्या पैदा करती। ऐसे में जब यह मामला एक जेडीयू के नेता नीतीश कुमार के पास लेकर पहुंचे तो उनके माथे पर पसीने आने लगे और उन्होंने आनन-फानन में अपने पार्टी के सीनियर लीडर को फोन लगाया और उन्हें साफ निर्देश दिया कि यह क्या हो रहा है और आप लोग कैसे तय कर रहे है ?
हालांकि उस नेता जी में कहा सर हम नहीं कर रहे हैं बल्कि हम तो दिल्ली वाले नेता जी को यह कहे भी कि इस पर सीएम सर तैयार नहीं होंगें। लेकिन आपके बाद वाले शायद तैयार हो गए हैं। तो उसके बारे में हमें जानकारी मिली नहीं है। इसके बाद सीएम ने उन्हें भी कॉल लगाया और उन्हें भी पूछा गया कि ऐसा क्यों? तो उनके पास फिलहाल तो कोई जवाब था नहीं उसके बाद उन्होंने उसको लेकर सहयोगी दल के सबसे बड़े नेता से बात करने को कहा। उसके बाद अब उस मामले में बड़े नेता की भागीदारी तय होने वाली हैं।
सूत्र बताते हैं कि जब बड़े नेता को इस बात की जानकारी मिली उससे पहले उनके मातृ नेतृत्व को भी इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने बिहार चुनाव की देखरेख कर रहे एक नेता को अपने पास बुलाया और कुछ मिनट की बातचीत में उन्हें कुछ निर्देश भी दिए गए और उन्हें कुछ सलाह दी गई। इतना ही नहीं उन्होंने दिल्ली को भी सलाह दिया कि इस मामले को कैसे हैंडल करना है। क्योंकि यह चीजें भाजपा के लिए यह संगठन हमेशा से करती रही है कि जब मामला अधिक फंसता है तो इनके तरफ से कोई बड़ी सलाह दी जाती है और उसके बाद मामला काफी हद तक सुलझ जाता है। यह संगठन सीधे तौर न तो कैंडिडेट तय करती है और न सीटों की संख्या तय करती है। लेकिन कुछ नाराजगी होती है कहीं हो एक अच्छे मार्गदर्शक के तौर पर ऐसी सलाह देती है कि मामला सही से पटरी पर आ जाए।
अब सूत्र यह भी बताते हैं कि वहां से मिली सलाह के बाद जेडीयू के बड़े नेता के घर रात में बैठक हुई और वहां मामले को काफी हद तक सही कर दिया गया है। वहां यह कहा गया है कि फिलहाल कैंडिडेट के नामांकन को लेकर समय नहीं है तो यदि दिल्ली से कोई नेता अचानक से बिहार आते हैं तो सही संदेश नहीं जाएगा लिहाजा फोन से ही मामले को सुलझाया जाए और पहले चरण के कैंडिडेट को उतारा जाए।चिराग पासवान की समस्या को मैं खुद हैंडल कर लूंगा। उसके बाद दूसरे चरण की सीटों के लिए मैं खुद बिहार आऊंगा और इसे सही कर दूंगा इसके लिए मुझे दो से तीन दिन का समय भी लगे तो कोई समस्या नहीं हैं। लेकिन फिलहाल समय यह नहीं है कि मैं बिहार आऊं तो मामला को यही से शॉर्ट किया जाए और वर्तमान में जो जेडीयू के जो मंत्री या कद्दावर नेता हैं उन्हें तैयारी करने को कहा जाए।
अब देखना दिलचस्प होगा कि सीट बंटवारे की इस नई रणनीति से एनडीए में तालमेल मजबूत होता है या अंदरूनी नाराजगी बढ़ती है। नीतीश कुमार के “सिंबल देने” से लेकर सीट एडजस्टमेंट के इस नए समीकरण तक, बिहार की राजनीति एक बार फिर उसी पुरानी रफ्तार में लौटती दिख रही है। जहां गठबंधन की मजबूरी, नेतृत्व की रणनीति और उम्मीदवारों की वफादारी सब कुछ एक साथ परखा जाएगा।