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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 13 Nov 2025 11:23:59 AM IST
बिहार चुनाव 2025 - फ़ोटो GOOGLE
Bihar election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मतदान संपन्न होने के बाद सीमावर्ती क्षेत्रों में सट्टे का खेल तेज हो गया है। बिहार की राजनीति अब केवल मतदान के मैदान तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि सट्टे के बाजार में भी अपनी किस्मत आज़मा रही है। फारबिसगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार से लेकर नेपाल के विराटनगर और पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी तक सट्टा बाजार में उत्साह चरम पर है। सटोरिए केवल हार-जीत पर ही नहीं, बल्कि उम्मीदवारों के मतों के अंतर पर भी लाखों रुपये का दांव लगा रहे हैं।
पहले लोग आईपीएल और क्रिकेट मैचों पर दांव लगाते थे, लेकिन अब व्यापार और युवा वर्ग राजनीतिक सट्टे में सक्रिय हो चुके हैं। मोबाइल एप्स और ऑनलाइन ग्रुप्स के माध्यम से युवा वोटरों और व्यवसायियों की सक्रिय भागीदारी देखी जा रही है। फारबिसगंज और विराटनगर में सैकड़ों युवाओं के मोबाइल फोन पर यह राजनीतिक ट्रेडिंग हो रही है।
सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रशासन की निगरानी बढ़ा दी गई है, लेकिन नेपाल और बंगाल की खुली सीमा के कारण भूमिगत सट्टा नेटवर्क को रोकना मुश्किल साबित हो रहा है। स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि सटोरिए जनादेश से पहले ही धनादेश की योजना बना रहे हैं और जनता का फैसला ईवीएम में बंद रहते हुए भी हार-जीत के दांव खेल रहे हैं।
सट्टा बाजार के रुझानों के अनुसार एनडीए को 125-135 सीटें, जबकि इंडिया गठबंधन को 100-120 सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि एनडीए के “200 पार” के दावे पर सट्टा बाजार में उत्साह कम है। इसके विपरीत, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव की सीटों को “हॉट सीट” मानते हुए मतों के अंतर पर भारी सट्टा खेला जा रहा है।
फारबिसगंज में भाजपा और कांग्रेस, अररिया में कांग्रेस-जदयू, नरपतगंज में भाजपा-राजद, और धमदाहा में जदयू-राजद प्रत्याशियों पर भारी दांव लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा सहरसा, मधेपुरा और कटिहार की सीटों पर भी उच्च मूल्य दांव खेले जा रहे हैं।
नेपाल के विराटनगर में मारवाड़ी अतिथि सदन और पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में राजनीतिक सट्टे की बड़ी मंडी सज चुकी है। राजस्थान और बिहार के कुछ व्यापारी इस अवैध सट्टा कारोबार में सक्रिय हैं। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे सटोरियों की खैर नहीं है, जो पकड़ में आएंगे उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। फारबिसगंज एसडीपीओ मुकेश कुमार साहा ने बताया कि प्रशासन की निगरानी सीमा पर भी कड़ी है।
सीमावर्ती क्षेत्रों में सट्टे की यह गतिविधि मतदाता और चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता के लिए चुनौती है। हालांकि, जनता का निर्णय 14 नवंबर को खुलेगा, जो कि बिहार की राजनीति की असली दिशा तय करेगा। इस बीच प्रशासन और पुलिस लगातार सट्टा और अवैध गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं।