1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sat, 18 Oct 2025 07:02:22 PM IST
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Bihar Election 2025: बिहार में छपरा के मढ़ौरा विधानसभा सीट से चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) की प्रत्याशी सीमा सिंह के बाद महागठबंधन के एक प्रमख दल के उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया है हालांकि इस प्रत्याशी का नामांकन रद्द होने से कांग्रेस के मन में लड्डू जरुर फूट रहे हैं।
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में समस्तीपुर जिले की रोसड़ा विधानसभा सीट पर बुधवार को नामांकन पत्रों की जांच के दौरान सीपीआई (CPI) के उम्मीदवार लक्ष्मण पासवान का नामांकन तकनीकी त्रुटि के कारण रद्द कर दिया गया। निर्वाचन पदाधिकारी ने बताया कि प्रपत्र 26 में गलती होने की वजह से यह कार्रवाई की गई। रोसड़ा सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है।
इस सीट से महागठबंधन के दो घटक दल कांग्रेस और सीपीआई ने अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, क्योंकि दोनों पार्टियों के बीच सीट को लेकर कोई समझौता नहीं हो सका था। लक्ष्मण पासवान को 16 अक्टूबर को पार्टी सिंबल मिला था और उन्होंने 17 अक्टूबर को नामांकन दाखिल किया था। नामांकन रद्द होने के बाद लक्ष्मण पासवान ने निर्वाचन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा कि निर्वाचन पदाधिकारी ने सुबह 11 बजे तक फॉर्म में सुधार कर जमा करने को कहा था, और उन्होंने समय से पहले संशोधित फॉर्म जमा कर भी दिया था। इसके बावजूद उनका नामांकन यह कहकर अस्वीकृत कर दिया गया कि फॉर्म में अब भी त्रुटियां हैं। उनके नामांकन रद्द होने से महागठबंधन की स्थिति रोसड़ा सीट पर कमजोर मानी जा रही है।
पहले ही कांग्रेस और CPI के बीच फ्रेंडली फाइट की स्थिति बनी हुई थी। अब CPI के बाहर होने से कांग्रेस को कुछ लाभ मिल सकता है, लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं में असंतोष देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लक्ष्मण पासवान की दलित और मजदूर वर्ग में अच्छी पकड़ थी और उनके बाहर होने से इन वोटों पर असर पड़ सकता है।
नामांकन रद्द होने के बाद CPI समर्थकों और स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखने को मिली। उनका कहना है कि यह फैसला चुनाव आयोग को पुनर्विचार करना चाहिए। कई लोगों का आरोप है कि लक्ष्मण पासवान को जानबूझकर बाहर किया गया ताकि अन्य दल को फायदा मिल सके। CPI की जिला इकाई आगे की रणनीति पर विचार कर रही है।
वहीं, निर्वाचन पदाधिकारी ने साफ किया कि सभी नामांकन पत्रों की जांच पूरी पारदर्शिता के साथ की गई है। किसी भी उम्मीदवार के साथ भेदभाव नहीं हुआ। जहां आवश्यक दस्तावेजों की कमी या त्रुटि पाई गई, उन नामांकनों को नियमों के अनुसार रद्द किया गया। उन्होंने कहा कि यह एक तकनीकी मामला है, जिसमें कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं हुआ।