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Bihar Election 2025 : बिहार चुनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सम्राट चौधरी के नामांकन रद्द करने को लेकर सुनाया बड़ा फैसला, जानिए क्या आया आदेश

बिहार चुनाव 2025 के अंतिम चरण से पहले डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ दायर अयोग्यता याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि न्यायालय का समय बर्बाद न करें।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 10 Nov 2025 11:38:10 AM IST

Bihar Election 2025 : बिहार चुनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सम्राट चौधरी के नामांकन रद्द करने को लेकर सुनाया बड़ा फैसला, जानिए क्या आया आदेश

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Supreme Court : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के अंतिम चरण से ठीक एक दिन पहले राज्य की सियासत में एक बड़ी कानूनी हलचल मच गई थी। डिप्टी सीएम और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को चुनाव में अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की। यह मामला काफी चर्चाओं में रहा, लेकिन अब इस पर अदालत ने साफ फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए सम्राट चौधरी को बड़ी राहत दी है।


दरअसल, हैदराबाद निवासी एक व्यक्ति ने सम्राट चौधरी के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपने चुनावी हलफनामों में उम्र और जन्मतिथि से संबंधित गलत जानकारी दी है। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि वर्ष 1995 में जब सम्राट चौधरी पर एक आपराधिक मामला दर्ज हुआ था, तब उन्होंने अदालत में खुद को 15 वर्ष का नाबालिग बताया था, जबकि 1999 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने हलफनामे में 25 वर्ष से अधिक आयु का उल्लेख किया।


इसी के साथ याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि सम्राट चौधरी ने 2020 और 2025 के विधानसभा चुनावों में भी अपनी उम्र को लेकर गलत जानकारी दी है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से यह मांग की थी कि सम्राट चौधरी का नामांकन रद्द किया जाए, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और चुनाव आयोग को जांच के आदेश दिए जाएं।


आज इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की बेंच ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि “न्यायालय का समय बेवजह बर्बाद न करें।” कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता के आरोपों में कोई ठोस आधार नहीं है और यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित प्रतीत होता है। अदालत ने याचिकाकर्ता को अपना आरोप पत्र वापस लेने का निर्देश दिया और केस को सिरे से खारिज कर दिया।


इस फैसले के बाद बीजेपी खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई है। पार्टी नेताओं ने इसे “सत्य और न्याय की जीत” बताया है। बीजेपी प्रवक्ताओं का कहना है कि यह याचिका चुनावी माहौल को प्रभावित करने और सम्राट चौधरी की छवि को नुकसान पहुंचाने के मकसद से दायर की गई थी। अदालत के फैसले ने साफ कर दिया कि विपक्ष केवल अफवाहों और झूठे आरोपों का सहारा ले रहा था।


बीजेपी नेताओं ने कहा कि सम्राट चौधरी ने हमेशा संविधान और कानून के दायरे में रहकर राजनीति की है। यह फैसला यह भी साबित करता है कि जनता और न्यायपालिका दोनों ही सच के साथ खड़ी हैं। पार्टी के कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर लिखा—“सत्य की जीत हुई, झूठ की हार।”


उधर, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला चुनाव से ठीक पहले आने के कारण बीजेपी के लिए मनोबल बढ़ाने वाला साबित होगा। सम्राट चौधरी न सिर्फ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ एनडीए के प्रमुख चेहरे भी हैं। ऐसे में उनके खिलाफ उठे कानूनी विवाद का निपटारा बीजेपी के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।


बिहार में चुनावी माहौल इस समय अपने अंतिम चरण में है। 11 नवंबर को अंतिम चरण का मतदान होना है, जबकि 14 नवंबर को मतगणना होगी। इस चरण में बिहार की 122 सीटों पर मुकाबला है और लगभग आधे राज्य के मतदाता वोट डालेंगे। अब जब अदालत ने सम्राट चौधरी के पक्ष में फैसला सुना दिया है, बीजेपी इसे चुनावी मुद्दे के रूप में जनता तक ले जाने की तैयारी में है।


वहीं विपक्षी दलों ने इस फैसले पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वे इसे “कानूनी तकनीकी आधार पर मिला लाभ” बता रहे हैं। हालांकि, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ऐसे फैसले का सीधा असर मतदाताओं की धारणा पर पड़ता है, खासकर तब जब मामला किसी बड़े नेता से जुड़ा हो।


अब सबकी नजरें 11 नवंबर के मतदान और 14 नवंबर की मतगणना पर टिकी हैं। इस कानूनी मोड़ के बाद देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की सत्ता की कुर्सी किसके हाथ में जाती है—एनडीए के या महागठबंधन के। लेकिन इतना तय है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने सम्राट चौधरी और बीजेपी को चुनावी अखाड़े में एक बड़ा मनोवैज्ञानिक फायदा जरूर दिला दिया है।