1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 15 Nov 2025 12:55:12 PM IST
बिहार चुनाव रिजल्ट 2025 - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में एक दिलचस्प और अहम पहलू यह रहा कि पूरे राज्य में सिर्फ एक ही राजनीतिक पार्टी को 1 करोड़ से अधिक वोट मिले। यह आंकड़ा न सिर्फ उस पार्टी की जनस्वीकृति को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि बिहार की राजनीतिक दिशा किस ओर बढ़ रही है। इस बार जातीय समीकरण, चेहरे, गठबंधन की रणनीति और जमीन पर किए गए अभियान सबने मिलकर वोट शेयर को नई संरचना दी।
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने एकतरफा जीत दर्ज की, जबकि महागठबंधन बुरी तरह धराशायी हो गया। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ, जिसके प्रदर्शन को पार्टी अंदरूनी स्तर पर "चिंताजनक" माना जा रहा है। कांग्रेस महज 6 सीटों पर सिमट गई, जिससे पार्टी की केंद्रीय राजनीति से लेकर प्रदेश संगठन तक हड़कंप मचा हुआ है। हार की गंभीरता को समझते हुए अब पार्टी शीर्ष नेतृत्व सीधे समीक्षा में जुट गया है।
इसी कड़ी में दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गई है। बैठक में राहुल गांधी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल सहित चुनाव प्रबंधन से जुड़े अहम नेता शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक यह समीक्षा बैठक अब तक की सबसे गंभीर बैठकों में से एक है, जिसमें हार के कारणों, प्रत्याशी चयन, गठबंधन रणनीति और संगठनात्मक कमजोरियों पर चर्चा हो रही है। पिछली बार जहां कांग्रेस ने 19 सीटें जीती थीं, वहीं इस बार उसका प्रदर्शन लगभग तीन गुना खराब रहा है।
कांग्रेस ने इस चुनाव में 61 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन सिर्फ 6 ही जीत पाए। प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार अपनी सीट कुटुम्बा से हार गए, वहीं विधायकों के नेता शकील अहमद खान को जदयू उम्मीदवार दुलाल चंद्र गोस्वामी ने 18,368 वोटों से हराया। जो नेता जीत हासिल कर पाए सुरेंद्र प्रसाद (वाल्मीकि नगर), अभिषेक रंजन (चनपटिया), मनोज विश्वास (फॉर्ब्सगंज), मनोज विश्वास (फॉर्ब्सगंज),मनोज विश्वास (फॉर्ब्सगंज), अबिदुर रहमान (अररिया), मोहम्मद कमरूल होदा (किशनगंज) और मनोहर प्रसाद सिंह (मनिहारी) उनमें शामिल हैं।
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि गठबंधन में सीट बंटवारा, कमजोर उम्मीदवार चयन, जमीनी कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी और राष्ट्रीय नेतृत्व की सीमित सक्रियता पार्टी की हार के प्रमुख कारण बने। हार के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि बिहार का चुनाव परिणाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और चुनाव आयोग की “संगठित वोट चोरी” का परिणाम है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस संविधान की रक्षा और लोकतंत्र बचाने के अपने अभियान को और मजबूती से जारी रखेगी।" जयराम रमेश के बयान के बाद राजनीतिक हलकों में बहस गरम हो गई है। हालांकि चुनाव आयोग पहले ही ऐसे आरोपों को खारिज कर चुका है।
विश्लेषकों का कहना है कि यह हार कांग्रेस के लिए सिर्फ एक चुनावी झटका नहीं बल्कि जमीन पर कमजोर होते संगठन की बड़ी चेतावनी है। पार्टी को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों और 2029 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार इकाई को पूरी तरह पुनर्गठित करना होगा। पार्टी के अंदर रणनीति यह भी बन रही है कि राज्य स्तर पर गठबंधन राजनीति में कांग्रेस अपनी bargaining power कैसे बचाए रखे और grassroots पर नए चेहरे कैसे तैयार किए जाएं।