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Bihar election : बिहार को अब चाहिए Result, Respect और Rise, दुसरे फेज की वोटिंग के बीच तेजस्वी यादव का जनता से भावनात्मक संदेश; क्या वोटिंग में पड़ेगा असर

बिहार को अब Result, Respect और Rise चाहिए — तेजस्वी यादव ने जनता से कहा कि अब जुमलों का नहीं, परिणामों का समय है। बिहार के हर युवा, किसान और आम नागरिक के सपनों को साकार करने का संकल्प लिया।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 11 Nov 2025 03:00:22 PM IST

Bihar election : बिहार को अब चाहिए Result, Respect और Rise, दुसरे फेज की वोटिंग के बीच तेजस्वी यादव का जनता से भावनात्मक संदेश; क्या वोटिंग में पड़ेगा असर

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Bihar election : बिहार की राजनीति एक नए मोड़ पर खड़ी है। जनता अब भाषणों, जुमलों और खोखले वादों से आगे बढ़कर परिणाम (Result), सम्मान (Respect) और उत्थान (Rise) चाहती है। राज्य में चल रहे विधानसभा चुनाव के बीच तेजस्वी यादव का यह भावनात्मक संदेश बिहार के मतदाताओं के दिल को छू रहा है। उन्होंने कहा कि “अब बिहार का धैर्य जवाब दे चुका है, अब सिर्फ़ परिणाम चाहिए, सम्मान चाहिए और बिहार का पुनरुत्थान चाहिए।”


तेजस्वी ने अपने संदेश में सबसे पहले पहले चरण में रिकॉर्ड तोड़ मतदान करने वाले मतदाताओं का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने यह साफ कर दिया है कि अब झूठ और जुमलों का दौर खत्म हो चुका है, अब बदलाव का शंखनाद हो गया है। “बिहार अब केवल भाषण नहीं, विकास चाहता है। आपने विपक्षियों की हर चाल को नाकाम किया है और संगठित होकर यह संदेश दिया है कि बिहार अब दिशा बदलना चाहता है,” तेजस्वी ने कहा।


उन्होंने आगे कहा कि जनता ने इस चुनाव में “पढ़ाई, कमाई, दवाई, सिंचाई और सुनवाई” वाली तेजस्वी सरकार को चुनने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि ये पाँच स्तंभ बिहार के पुनर्निर्माण की बुनियाद होंगे — एक ऐसी व्यवस्था जहां शिक्षा हर गरीब के बच्चे तक पहुँचे, युवाओं को रोजगार मिले, किसानों को सिंचाई की सुविधा मिले और हर नागरिक की शिकायत पर सरकार संवेदनशीलता से सुनवाई करे।


तेजस्वी ने कहा कि आज बिहार का हर युवा, किसान, मजदूर और व्यापारी परिवर्तन चाहता है। “आपका और मेरा सपना एक है, आपका और मेरा दर्द एक है, और हमारा लक्ष्य भी एक है — एक ऐसा बिहार जो आत्मनिर्भर, शिक्षित और समृद्ध हो। इसे कोई बिहार के बाहर वाला नहीं समझ सकता,” उन्होंने कहा।


उन्होंने मौजूदा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बीते 20 सालों में बिहार को सिर्फ़ आश्वासन और जुमले मिले। “बीस साल में हम विकास नहीं कर पाए, सरकार युवाओं को रोजगार नहीं दे सकी, अपराध पर नियंत्रण नहीं कर सकी। शिक्षा व्यवस्था चरमराई, अस्पतालों की हालत बदतर रही, किसान बाढ़ और घाटे से नहीं उबर सके और हर घर महंगाई की मार झेल रहा है,” तेजस्वी ने कहा।


उन्होंने कहा कि जनता को अब ये समझ में आ गया है कि “जो मिला वो बस वादा था, जो चाहिए वो बदलाव है।” बिहार अब सिर्फ़ भाषण नहीं, बल्कि ठोस नीतियों और क्रियान्वयन की राजनीति चाहता है। उन्होंने कहा कि 17 महीने के अल्प कार्यकाल में उनकी सरकार ने यह साबित किया कि नीयत सही हो तो नीतियाँ सफल हो सकती हैं। “हमारी हर नीति लोकनीति है, लोकहित की नीति है। हमने हर वर्ग, हर जाति, हर समुदाय को ध्यान में रखकर योजनाएँ बनाई हैं,” उन्होंने कहा।


तेजस्वी ने आगे कहा कि असली आज़ादी बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार, महंगाई और अन्याय से मुक्ति में है। “जब तक बिहार के युवाओं को नौकरी नहीं मिलेगी, जब तक किसान को उसकी उपज का मूल्य नहीं मिलेगा, जब तक व्यापारी सुरक्षित महसूस नहीं करेगा और जब तक महिलाएँ सम्मान के साथ जी नहीं सकेंगी — तब तक आज़ादी अधूरी है,” उन्होंने जोड़ा।


उन्होंने कहा कि बिहार के गांवों को सशक्त बनाना ही राष्ट्र निर्माण की पहली शर्त है। “गांव का उत्थान होगा तभी राष्ट्र का उत्थान होगा। हमारी सोच है कि हर बिहारी आत्मनिर्भर बने, हर युवा अपने पैरों पर खड़ा हो और हर परिवार सम्मान से जीवन जी सके।”


तेजस्वी यादव का यह संदेश न केवल एक चुनावी अपील है, बल्कि एक सामाजिक प्रतिज्ञा भी है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब वक्त है “विकास के नए युग” की शुरुआत का — जहां शासन की प्राथमिकता जनता होगी, योजनाओं का लक्ष्य गांव-गांव तक पहुंचना होगा और सरकार की पहचान जनता के बीच ईमानदारी और जवाबदेही से होगी।


अंत में तेजस्वी ने कहा, “अब बिहार को Result चाहिए, Respect चाहिए और Rise चाहिए। यह सिर्फ़ एक नारा नहीं, बल्कि 13 करोड़ बिहारी दिलों की आवाज़ है। मैं आप सबके आशीर्वाद और विश्वास के साथ बिहार के नए अध्याय की शुरुआत करना चाहता हूँ — एक ऐसे बिहार की, जहाँ हर सपने को पूरा होने का अवसर मिले।”