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Bihar election 2025 : सुपौल में मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव के खिलाफ फूटा जनता का गुस्सा,कहा — रोड नहीं तो वोट नहीं, अब सब्र का बांध टूट गया

Bihar election 2025 : बिहार के सुपौल में मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों ने ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’ के नारे लगाते हुए गांव से बाहर का रास्ता दिखाया।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 30 Oct 2025 07:27:23 AM IST

Bihar election 2025 : सुपौल में मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव के खिलाफ फूटा जनता का गुस्सा,कहा — रोड नहीं तो वोट नहीं, अब सब्र का बांध टूट गया

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Bihar election 2025 :  बिहार सरकार के कद्दावर मंत्री और जेडीयू के वरिष्ठ नेता बिजेंद्र प्रसाद यादव को बुधवार को जनता के तीखे विरोध का सामना करना पड़ा। चुनावी माहौल के बीच मरौना प्रखंड के कमरेल गांव में ग्रामीणों ने मंत्री का बहिष्कार कर दिया और उन्हें गांव से बाहर का रास्ता दिखा दिया। यह घटना उस समय हुई जब मंत्री आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार के सिलसिले में क्षेत्र का दौरा कर रहे थे।


घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है, जिसमें दर्जनों ग्रामीण ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’ और ‘विकास के झूठे वादे अब नहीं चलेंगे’ जैसे नारे लगाते नजर आ रहे हैं। कई स्थानीय लोगों ने खुलेआम कहा कि वर्षों से वादा किया जा रहा है कि गांव में सड़क बनेगी, लेकिन आज तक केवल आश्वासन ही मिला है।


ग्रामीणों का आक्रोश फूटा

ग्रामीणों का कहना है कि मंत्री बिजेंद्र यादव हर बार चुनाव से पहले गांव पहुंचकर वादे करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद विकास योजनाएं हवा हो जाती हैं। कमरेल गांव के निवासी मनोज कुमार ने कहा, “हम लोगों ने हर बार भरोसा किया, लेकिन अब सब्र का बांध टूट गया है। हमारे बच्चे अब भी कीचड़ और धूल में चलकर स्कूल जाते हैं। बिजली और सड़क का सपना अब मज़ाक बन चुका है।”


दूसरे ग्रामीण ललन विश्वकर्मा ने बताया कि मंत्री के आने की खबर मिलते ही गांव में बैठक हुई, और सभी ने तय किया कि इस बार बिना काम के वोट नहीं दिया जाएगा। “अब हमें भाषण नहीं चाहिए, केवल काम चाहिए। हमारे गांव की सड़क दशकों से टूटी है, बारिश में हालात और बदतर हो जाते हैं,” उन्होंने कहा।


मंत्री का काफिला लौटा

सूत्रों के अनुसार, जब मंत्री का काफिला कमरेल गांव में पहुंचा, तो ग्रामीणों ने पहले उन्हें काले झंडे दिखाए। इसके बाद नारेबाजी शुरू हो गई। “रोड नहीं तो वोट नहीं”, “विकास चाहिए, वादा नहीं” जैसे नारों के बीच माहौल तनावपूर्ण हो गया। विरोध प्रदर्शन बढ़ता देख मंत्री ने कार्यक्रम को रद्द कर दिया और अपना काफिला गांव से वापस लौटा लिया। स्थानीय सूत्रों ने बताया कि प्रशासन को जैसे ही इस विरोध की जानकारी मिली, पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई। हालांकि स्थिति नियंत्रण में रही और किसी तरह की हिंसा की सूचना नहीं मिली।


सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

इस विरोध का वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया है। फेसबुक और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर सैकड़ों लोगों ने इसे शेयर करते हुए कहा कि यह “जनता की वास्तविक नाराज़गी” का नज़ारा है। कई लोगों ने लिखा कि “विकास के नाम पर केवल घोषणाएं करने वाले नेताओं को अब जनता जवाब दे रही है।”वहीं जेडीयू समर्थक कुछ यूजर्स ने दावा किया कि यह विरोध विपक्षी दलों द्वारा प्रायोजित था। पार्टी के स्थानीय नेताओं का कहना है कि मंत्री ने क्षेत्र में कई विकास कार्य कराए हैं और कुछ योजनाएं अभी प्रक्रिया में हैं।


मंत्री के नजदीकी बोले — “राजनीतिक साज़िश”

मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव के करीबी सूत्रों ने इस पूरे मामले को राजनीतिक साज़िश बताया है। उनका कहना है कि विपक्षी दल जनता को भड़का रहे हैं ताकि मंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके। एक सहयोगी ने कहा, “बिजेंद्र यादव जी ने हमेशा विकास को प्राथमिकता दी है। मरौना और आस-पास के इलाकों में कई योजनाएं चल रही हैं। लेकिन कुछ असंतुष्ट लोग जानबूझकर विरोध का माहौल बना रहे हैं।”


हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर योजनाएं सचमुच चल रही होतीं, तो गांव की हालत इतनी खराब नहीं होती। “यहां आज भी बारिश में सड़क तालाब बन जाती है, बच्चों को स्कूल जाने में मुश्किल होती है, और स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचना एक चुनौती है,” एक महिला ग्रामीण ने बताया।


चुनावी समीकरण पर असर

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विरोध बिहार के चुनावी परिदृश्य में बड़ा संकेत है। सुपौल क्षेत्र में बिजेंद्र प्रसाद यादव को विश्वकर्मा समुदाय का प्रभावशाली नेता माना जाता है। ऐसे में जनता के इस रुख से जेडीयू को स्थानीय स्तर पर झटका लग सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि “ग्राउंड पर नाराज़गी का असर वोटिंग पैटर्न पर ज़रूर दिखेगा। जनता अब सिर्फ वादों से नहीं, काम से प्रभावित होती है।”


प्रशासन ने दी सफाई

इस बीच जिला प्रशासन ने कहा है कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। अधिकारियों ने बताया कि “घटना की जांच की जा रही है। किसी तरह की गड़बड़ी या हिंसक गतिविधि नहीं हुई है।” हालांकि, विरोध के इस घटनाक्रम ने सत्ता पक्ष की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आगामी चुनावी माहौल में यह प्रकरण विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा दे सकता है। फिलहाल, “रोड नहीं तो वोट नहीं” की यह गूंज पूरे सुपौल जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है।