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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 02 May 2025 10:20:50 AM IST
मोदी और नीतीश - फ़ोटो Google
Caste Census: केंद्र सरकार के जातीय जनगणना के ऐलान ने बिहार समेत पूरे देश में सियासी हलचल मचा दी है। यह पहला मौका है, जब स्वतंत्र भारत में राष्ट्रीय जनगणना में जाति आधारित आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। जहां विपक्ष इस फैसले का स्वागत कर रहा है, वहीं कांग्रेस ने इसकी टाइमिंग पर सवाल उठाकर इसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 और पहलगाम आतंकी हमले से जोड़ दिया है।
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दावा किया है कि BJP ने यह फैसला अपने सियासी फायदे के लिए लिया, ताकि पहलगाम हमले जैसे गंभीर मुद्दे से ध्यान भटकाया जा सके। इस ऐलान ने बिहार की सियासत को और गर्म कर दिया है, जहां जातिगत समीकरण चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभाते हैं। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग कर रही है, क्योंकि यह देश के सभी वर्गों के समावेशी विकास के लिए जरूरी है। लेकिन BJP ने हमेशा इसका विरोध किया।
अल्वी ने यह सवाल उठाया है कि जब पूरा देश 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद सरकार से सख्त कार्रवाई की उम्मीद कर रहा था, तब अचानक जातीय जनगणना का ऐलान क्यों? उन्होंने इसे सरकार की ओर से ध्यान भटकाने की रणनीति करार दिया। अल्वी ने कहा कि पहलगाम हमले का बदला लेना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्र का फोकस बिहार चुनाव पर है।
केवल यही नहीं अल्वी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि विदेश दौरे से लौटने के बाद देश को उनसे कठोर कदमों की उम्मीद थी, लेकिन वह बिहार में चुनावी सभाएं करते नजर आए। उन्होंने BJP कार्यकर्ताओं द्वारा जातीय जनगणना के ऐलान पर मिठाई बांटने को भी अनुचित ठहराया, जब देश के 26 परिवार शोक में डूबे हैं। अल्वी ने कहा कि यह फैसला पहलगाम हमले की गंभीरता को कम करने की कोशिश है।
इधर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी इस मुद्दे पर BJP को घेरा। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र ने यह फैसला लिया है, क्योंकि बिहार में OBC और EBC आबादी 63% से ज्यादा है। सिद्धारमैया ने दावा किया कि BJP का मकसद सामाजिक न्याय नहीं, बल्कि वोट बैंक की राजनीति है।