1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 21 Nov 2025 01:39:37 PM IST
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Chirag Paswan : केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार की राजनीति में एक नई सक्रियता का संकेत दे दिया है। शुक्रवार को पटना स्थित पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने अगले साल की शुरुआत में खरमास खत्म होने के बाद पूरे बिहार में "धन्यवाद यात्रा" निकालने की घोषणा की। इस यात्रा का उद्देश्य बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत के लिए जनता के प्रति आभार जताना और भविष्य की योजनाओं पर संवाद स्थापित करना होगा।
मकर संक्रांति के बाद निकलेगी ‘धन्यवाद यात्रा’
चिराग पासवान ने बताया कि मकर संक्रांति पर होने वाले परंपरागत दही-चूड़ा भोज के तुरंत बाद यह यात्रा शुरू की जाएगी। लोजपा-आर इस यात्रा के माध्यम से जनता से सीधा संवाद करेगी और राज्य में विकास, सामाजिक न्याय और राजनीतिक प्रतिनिधित्व जैसे मुद्दों पर चर्चा को आगे बढ़ाएगी। चिराग ने कहा कि बिहार की जनता ने एनडीए को जिस तरह समर्थन दिया है, उसके लिए वह व्यक्तिगत रूप से भी आभार व्यक्त करना चाहते हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यात्रा राज्य के लगभग सभी जिलों से गुजरेगी और पार्टी इसे एक बड़े जनसंपर्क अभियान के रूप में संचालित करेगी। युवा, किसान, दलित समाज और महिलाओं से विशेष बातचीत इस यात्रा के एजेंडे में शामिल होगी।
नई दलित सेना का गठन—अरुण भारती को मिली जिम्मेदारी
प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिराग पासवान ने अपने पिता दिवंगत रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि लोजपा के गठन से पहले रामविलास पासवान ने दलित समाज को संगठित करने के लिए “दलित सेना” का गठन किया था। वर्षों तक यह संगठन वंचित वर्गों की आवाज उठाने के लिए कार्य करता रहा।
चिराग ने अपने चाचा और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने न सिर्फ पार्टी पर कब्जा करने की कोशिश की, बल्कि दलित सेना को भी हड़प लिया। इस कारण लोजपा (रामविलास) ने फैसला किया है कि दलित सेना को नए सिरे से पुनर्गठित किया जाएगा।
इसके लिए बड़ी जिम्मेदारी उनके जीजा और जमुई के सांसद अरुण भारती को दी गई है। अरुण भारती संगठन को जमीनी स्तर पर पुनर्स्थापित करने और दलित समाज में पार्टी की पकड़ मजबूत करने का कार्य संभालेंगे।
इसके साथ ही लोजपा की दलित सेना के लंबे समय तक प्रदेश अध्यक्ष रहे संजय पासवान भी इस प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। चिराग ने कहा कि दलित सेना का उद्देश्य सामाजिक न्याय की लड़ाई को और मजबूत करना, युवाओं को जोड़ना और राजनीतिक जागरूकता बढ़ाना है।
पारस गुट पर निशाना—“पार्टी और दलित सेना दोनों हड़पी गई थीं”
चिराग पासवान ने प्रेस वार्ता के दौरान अपने राजनीतिक विरोधियों पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि उनके चाचा पशुपति पारस ने पार्टी को विभाजित करने की कोशिश की, जिससे लोजपा की मूल संरचना को नुकसान हुआ।
चिराग ने दावा किया कि जनता ने चुनाव में यह दिखा दिया कि असली लोजपा कौन है और किसके नेतृत्व पर उन्हें भरोसा है। उन्होंने कहा कि नई दलित सेना के गठन के बाद संगठन पहले से ज्यादा मजबूत और सक्रिय रूप में सामने आएगा।
28 नवंबर को लोजपा की स्थापना दिवस—बड़े आयोजन की तैयारी
चिराग पासवान ने बताया कि आगामी 28 नवंबर को लोक जनशक्ति पार्टी का स्थापना दिवस मनाया जाएगा। यह दिन पार्टी के लिए ऐतिहासिक इसलिए है क्योंकि 28 नवंबर 2000 को ही रामविलास पासवान ने लोजपा की स्थापना की थी। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर पटना में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी चल रही है। इस आयोजन में पार्टी के वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता और बड़ी संख्या में समर्थक शामिल होंगे। जल्द ही कार्यक्रम का विस्तृत विवरण साझा किया जाएगा।
एनडीए सरकार में चिराग की बढ़ती भूमिका
चुनाव के बाद चिराग पासवान की भूमिका राष्ट्रीय राजनीति में और भी मजबूत हुई है। केंद्र में मंत्री बनने के बाद उनका राजनीतिक दायरा बढ़ा है और बिहार में उनकी सक्रियता लगातार दिखाई दे रही है। पार्टी का मानना है कि चिराग की नेतृत्व क्षमता और युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता का लाभ आगामी राजनीतिक समीकरणों में मिलेगा।
धन्यवाद यात्रा और दलित सेना के पुनर्गठन जैसे कदमों को पार्टी के भीतर संगठनात्मक मजबूती और नए राजनीतिक विस्तार के रूप में देखा जा रहा है। एनडीए के भीतर लोजपा-आर की बढ़ती ताकत और चिराग का आक्रामक राजनीतिक अंदाज बिहार की राजनीति में नए समीकरण पैदा कर सकता है।