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Bihar Election: अब न सिर्फ सीट बल्कि कैंडिडेट भी तय करेंगे जिलाअध्यक्ष, इंदिरा कार्यकाल की तरफ लौट रही कांग्रेस ?

Bihar Election: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में जिस प्रकार चुनाव टिकट निर्धारण और बंटवारे में जिलाध्यक्षों से भी राय-मशविरा होता था, वह व्यवस्था एक बार फिर प्रभावी होगी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 05 Apr 2025 07:06:21 AM IST

Bihar Congress

Bihar Congress - फ़ोटो FILE PHOTO

Bihar Election: बिहार में इसी साल विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में इस चुनाव को लेकर राज्य की छोटी-बड़ी सभी तरह की राजनीतिक पार्टी एक्टिव मोड में आ गई है। ऐसे में देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी बिहार में अपनी खोई हुई वजूद को वापस लाने के प्रयास में कोई कमी नहीं रखना चाहती है। यही वजह है कि पार्टी एक से बढ़कर एक सख्त कदम उठा रही है। इसी कड़ी में अब पार्टी ने जिलाध्यक्षों के हाथों में बड़ा पावर दिया है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या है ख़ास 


दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस का निर्णय है कि अब  सीट और टिकट बंटवारे में कांग्रेस के जिलाध्यक्षों से भी उनकी राय जानी जाएगी। इस बाबत प्रदेश स्तर पर होने वाली बैठक में जिलाध्यक्षों को भी शामिल किया जाएगा और उनकी सलाह को प्रमुखता दी जाएगी। इतना ही नहीं प्रत्याशी के हार के लिए भी जिम्मेदारी तय होगी। इस प्रस्ताव को अहमदाबाद में 8-9 अप्रैल को आयोजित कांग्रेस महाधिवेशन में पारित कराया जाएगा।


जानकारी के मुताबिक, दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में कांग्रेस हाईकमान और जिलाध्यक्षों की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि अब सीट बंटवारा से लेकर कैंडिडेट चयन करने तक में जिलाध्यक्षों को भी शामिल किया जाएगा। इस  बैठक को राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने संबोधित किया।


वहीं, जिलाध्यक्षों को जिम्मा दिया कि गया कि वे अपने क्षेत्र में महीने में कम से कम एक बैठक करें। जिसमें विधायक, पूर्व विधायक, सांसद, विधान पार्षद की भी उपस्थिति सुनिश्चित करें। जिसकी रिपोर्ट प्रदेश मुख्यालय और हाईकमान को भी भेजे। इसके अलावा जिलाध्यक्षों को प्रखंड, बूथ और वार्ड कमेटी गठन का जिम्मा भी सौंपा गया। जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, उन्हें इस कार्य के लिए छह महीने का समय दिया गया है। ऐसा नहीं होने पर जिलाध्यक्ष कार्य से मुक्त किए जाएंगे। 


इधर, बिहार के जिलाध्यक्षों का यह टास्क भी मिला कि वे अभी से बूथ प्रबंधन, मतदाता सूची सत्यापन में जुट जाएं। अपने जिले में अधिक से अधिक लोगों से संवाद करें और उन्हें कांग्रेस शासनकाल के दौरान हुए कार्यों और इसकी नीतियों से लोगों को अवगत कराएं।