1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 21 Nov 2025 11:34:09 AM IST
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ED raid : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को झारखंड और पश्चिम बंगाल में फैले कोयला माफिया नेटवर्क पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत दोनों राज्यों में एक साथ 40 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है। यह कार्रवाई न केवल कोयला चोरी और तस्करी के नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि ईडी इस रैकेट की जड़ों तक पहुंचने के लिए बेहद आक्रामक रुख अपनाए हुए है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, झारखंड में लगभग 18 स्थानों पर ईडी की टीमें तलाशी अभियान चला रही हैं। ये सभी स्थान कोयला चोरी, अवैध खनन और तस्करी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के दायरे में आते हैं। ईडी के रडार पर इस समय कई कंपनियां और कारोबारी हैं जिनका नाम इस रैकेट से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। इनमें अनिल गोयल, संजय उद्योग, एल बी सिंह और अमर मंडल से जुड़ी कंपनियां और उनके कारोबार से संबंधित विभिन्न ठिकाने शामिल हैं। माना जा रहा है कि ये सभी कारोबारी बड़े पैमाने पर अवैध कोयला कारोबारी नेटवर्क को समर्थन देते थे और अवैध कमाई को वैध दिखाने के लिए जटिल वित्तीय लेनदेन का सहारा लेते थे।
अधिकारियों के मुताबिक, इस पूरे नेटवर्क के जरिए सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है। बड़े पैमाने पर कोयले की चोरी कर उसे स्थानीय और बाहरी बाजारों में सप्लाई किया जाता था। यह पूरा रैकेट कई वर्षों से सक्रिय था, जिसके तहत अवैध माइनिंग, ट्रांसपोर्टेशन और भंडारण का बड़ा जाल तैयार किया गया था। ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि इस नेटवर्क को स्थानीय अधिकारियों और कुछ प्रभावशाली कारोबारियों का संरक्षण मिल रहा था, जिसके चलते लंबे समय तक कार्रवाई नहीं हो सकी।
वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में भी ईडी की टीमों ने 24 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की है। दुर्गापुर, पुरुलिया, हावड़ा और कोलकाता जिलों में दबिश दी जा रही है। यहां भी कोयले की अवैध माइनिंग, परिवहन और भंडारण से जुड़े ठिकानों की तलाशी चल रही है। अधिकारियों को संदेह है कि बंगाल और झारखंड में संचालित कोयला माफिया नेटवर्क आपस में जुड़ा हुआ है और एक ही बड़े रैकेट के तहत संचालित हो रहा था। दोनों राज्यों से निकलने वाले कोयले के रास्ते, नकदी के स्रोत और अवैध व्यापार में शामिल लोगों के बीच कड़ी का पता लगाने के लिए ईडी लगातार वित्तीय लेनदेन का विश्लेषण कर रही है।
एजेंसी को यह भी जानकारी मिली है कि पूरे नेटवर्क में फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया गया, जिनके माध्यम से अवैध कमाई को वैध दिखाया जाता था। इन कंपनियों का कोई वास्तविक कारोबारी अस्तित्व नहीं था, लेकिन इनके जरिए करोड़ों रुपये का लेनदेन दिखाया गया, ताकि अवैध कोयले की बिक्री से होने वाली कमाई को सफेद धन के रूप में दर्शाया जा सके। इस पूरे मामले में ईडी की नजर उन राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारियों पर भी है, जिनकी भूमिका संदिग्ध प्रतीत हो रही है।
ईडी की यह बड़ी कार्रवाई कोयला माफिया पर निर्णायक प्रहार की तरह देखी जा रही है। जांच एजेंसी का कहना है कि आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते हैं और कई बड़े नाम इस जांच के दायरे में आएंगे। यह छापेमारी अभियान अभी जारी है और ईडी की टीमें लगातार वित्तीय दस्तावेजों, डिजिटल रिकॉर्ड्स और संदिग्ध लेनदेन के सबूत जुटा रही हैं।
कोयला चोरी और तस्करी के इस व्यापक नेटवर्क को उजागर करने से जहां सरकारी खजाने को भारी नुकसान से बचाने में मदद मिलेगी, वहीं प्रदेशों में फैल चुके अवैध कारोबार के खिलाफ सख्त संदेश भी जाएगा। ईडी की कार्रवाई के बाद उम्मीद है कि इस रैकेट में शामिल कई चेहरे सामने आएंगे और पूरे सिस्टम के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई का रास्ता साफ होगा।