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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 19 Oct 2025 09:27:59 AM IST
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bihar chunav 2025 : केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं। अरवल जिले में आयोजित एक चुनावी सभा में उन्होंने मुस्लिम समुदाय को लेकर विवादित बयान दिया, जिसे लेकर सियासत गर्म हो गई है। उन्होंने सभा में मुसलमानों को ‘नमक हराम’ कहा और कहा कि मुस्लिम समाज बीजेपी को वोट नहीं देता।
गिरिराज सिंह ने सभा में कहा कि मोदी सरकार समाज के हर वर्ग के लिए काम कर रही है, लेकिन मुस्लिम समाज उसका लाभ मानने के बावजूद बीजेपी को वोट नहीं देता। उन्होंने एक मौलवी के साथ हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि जब उन्होंने आयुष्मान कार्ड के बारे में पूछा तो मौलवी ने कहा कि उन्हें कार्ड मिला है, लेकिन वोट नहीं दिया। इस पर गिरिराज सिंह ने स्पष्ट किया कि जो व्यक्ति किसी के उपकार को नहीं मानता, उसे 'नमक हराम' कहा जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों का वोट उन्हें नहीं चाहिए।
गिरिराज सिंह ने कहा कि मोदी सरकार समाज के हर वर्ग के लिए काम करती है लेकिन मुस्लिम बीजेपी को वोट नहीं देते हैं। एक मौलवी के साथ हुई बातचीत का जिक्र करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा, 'मैंने उनसे पूछा कि आयुष्मान कार्ड मिला तो उन्होंने कहा कि हां मिला। मैंने पूछा कि हिंदू-मुसलमान हुआ तो उन्होंने कहा कि नहीं हुआ। मैंने कहा बहुत अच्छा। मैंने पूछा कि आपने हमको वोट दिया तो उन्होंने कहा कि हां दिया था। हमने कहा कि यह बात खुदा का नाम लेकर बोलिए तो।
तब उन्होंने कहा कि नहीं दिया था। हमने कहा कि नरेंद्र मोदी ने गाली दिया था। तो उन्होंने कहा कि नहीं। हमने गाली दी थी तो उन्होंने कहा कि नहीं। मैंने कहा कि तो मेरी गलती क्या थी? जो किसी के उपकार को ना माने उसको 'नमक हराम'बोलते हैं। मैंने कहा कि मौलवी साहब इन 'नमक हरामों' का वोट नहीं चाहिए।
गिरिराज सिंह ने अरवल में महागठबंधन पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि महागठबंधन का वजूद इस चुनाव में खत्म हो गया है। इस बार लगभग चार दर्जन सीटों पर महागठबंधन के घटक दल एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। गिरिराज सिंह ने इसे बिना दूल्हा के बाराती की तरह बताया, जिसका कोई सार नहीं। उन्होंने कहा कि एनडीए में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नेतृत्व कर रहे हैं।
अपने संबोधन में उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि आज देश की जीडीपी 80000 तक पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए काम कर रही है। इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य योजनाओं के लाभों का भी जिक्र किया, जो मुस्लिम समाज तक पहुंचे हैं।
गिरिराज सिंह ने तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी RJD पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव हर घर को सरकारी नौकरी देने का झूठा वादा कर रहे हैं, जबकि वास्तविकता कुछ और है। उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार के आने के बाद लोगों की जीवन शैली में सुधार आया है। पहले लोग शाम 5 बजे तक घर नहीं लौटते थे, जिससे परिवार में चिंता होती थी, लेकिन अब महिलाएं भी रात में निश्चिंत होकर घर में आ-जा सकती हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि गिरिराज सिंह का यह बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा है। उनका उद्देश्य मुस्लिम मतदाताओं को बीजेपी से दूर करना नहीं बल्कि अपने वोट बैंक को सक्रिय करना है। हालांकि, इस बयान से बिहार में communal polarisation की आशंका भी जताई जा रही है।
अरवल जिले की जनता इस विवादित बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दे रही है। कुछ लोग इसे सही ठहरा रहे हैं तो कुछ इसे अनुचित बता रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार चुनाव में धार्मिक मुद्दे मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन यह तय करना मुश्किल है कि इसका वास्तविक असर चुनाव परिणाम पर कितना पड़ेगा।
गिरिराज सिंह ने यह भी कहा कि एनडीए की सरकार ने राज्य में कानून व्यवस्था मजबूत की है। महिलाओं और आम नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने दावा किया कि एनडीए सरकार ने ग्रामीण विकास, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सुधार किया है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन के पास कोई ठोस योजना नहीं है, और उनकी घोषणाएं केवल वोट बैंक के लिए हैं।
इस बयान के बाद बिहार की सियासत और चुनावी माहौल और गर्म हो गया है। राजनीतिक पार्टियों के लिए यह चुनौती बन गई है कि वे इस विवाद का चुनावी लाभ कैसे उठाते हैं। गिरिराज सिंह का यह बयान सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहा है और राजनीतिक बहस का केंद्र बना हुआ है।
गिरिराज सिंह के बयान ने स्पष्ट कर दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजनीतिक बयानबाजी और विवादों का कोई अंत नहीं है। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही दल पूरी ताकत से चुनावी मैदान में हैं। बीजेपी इस बयान के जरिए अपने वोट बैंक को सक्रिय करने की कोशिश कर रही है, वहीं विपक्ष इसे भड़काने वाला कदम मान रहा है।