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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 28 Oct 2025 09:36:26 AM IST
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IRCTC scam case : दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में चल रहे बहुचर्चित IRCTC घोटाला मामले में बिहार की सियासत के सबसे बड़े परिवार—लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव—की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। अदालत में चल रही सुनवाई अब ऐसे समय में आ गई है, जब बिहार में विधानसभा चुनाव का माहौल चरम पर है। इस बीच लालू परिवार ने अदालत से अपील की है कि रोजाना चलने वाली ट्रायल प्रक्रिया (Day-to-Day Hearing) को कुछ समय के लिए स्थगित किया जाए, क्योंकि वे इस समय चुनाव प्रचार और अन्य लंबित मामलों में व्यस्त हैं।
राउज एवेन्यू कोर्ट में लालू परिवार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने अदालत को बताया कि यादव परिवार के खिलाफ पहले से ही चार आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें अदालत ने रोजाना सुनवाई का आदेश दिया हुआ है। ऐसे में सभी मामलों की एक साथ कानूनी तैयारी करना बेहद कठिन हो गया है।
वकील ने बताया कि अदालत ने करीब 18 हजार पन्नों की चार्जशीट और 250 पन्नों का आदेश बचाव पक्ष को दिया है, जिसे पढ़ने और समझने में पर्याप्त समय लगेगा। उन्होंने कहा कि यह आदेश अदालत को तैयार करने में करीब चार महीने लगे, तो बचाव पक्ष को भी इसे समझने के लिए कुछ हफ्ते का समय मिलना चाहिए।
मनिंदर सिंह ने अदालत से आग्रह किया कि लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव इन दिनों बिहार विधानसभा चुनाव में व्यस्त हैं। वे राज्य के विभिन्न जिलों में लगातार जनसभाएं और रैलियां कर रहे हैं, इसलिए फिलहाल रोजाना अदालत में पेश होना संभव नहीं है। उन्होंने अदालत से चार हफ्तों की मोहलत देने की मांग की ताकि बचाव पक्ष पूरे दस्तावेजों, गवाहियों और चार्जशीट का अध्ययन कर सके और उचित दलीलें तैयार कर सके।
लालू परिवार की इस याचिका का सीबीआई ने कड़ा विरोध किया। एजेंसी की ओर से कहा गया कि सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने त्वरित सुनवाई (फास्ट ट्रैक ट्रायल) का आदेश दिया हुआ है। ऐसे में किसी भी बहाने से ट्रायल को टालना या धीमा करना सुप्रीम कोर्ट की भावना के खिलाफ होगा।
सीबीआई की ओर से अदालत में दलील दी गई कि यह मामला पहले ही लंबे समय से चल रहा है और अब आरोप तय किए जा चुके हैं, इसलिए सुनवाई को आगे बढ़ाना उचित नहीं है। एजेंसी ने कहा कि अदालत को सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए रोजाना सुनवाई जारी रखनी चाहिए ताकि मामला जल्द निपट सके।
सीबीआई के विरोध के बाद स्पेशल जज विशाल गोगने ने लालू परिवार की अर्जी पर सीबीआई से औपचारिक लिखित जवाब मांगा है। अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में ट्रायल कोर्ट्स को सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों में रोजाना सुनवाई शुरू करने का निर्देश दिया है। ऐसे में किसी भी प्रकार की राहत पर विचार करने से पहले सीबीआई का पक्ष सुनना जरूरी है। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि वह दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ही तय करेगी कि ट्रायल रोजाना चलेगा या बचाव पक्ष को कुछ राहत दी जाएगी।
यह मामला साल 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव देश के रेलमंत्री थे। सीबीआई के अनुसार, इस अवधि में IRCTC के रांची और पुरी स्थित दो होटल निजी कंपनी सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को बेहद अनुचित शर्तों पर लीज पर दिए गए। बदले में लालू यादव और उनके परिवार को कीमती जमीन और शेयर औने-पौने दामों में दिए गए।
सीबीआई का आरोप है कि यह सौदा सीधी रिश्वतखोरी का मामला है और इसमें लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव सहित कई अन्य लोग आरोपी हैं। वहीं, लालू परिवार ने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश बताते हुए कहा है कि भाजपा के इशारे पर यह केस चलाया जा रहा है ताकि चुनावी माहौल में उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर किया जा सके।
13 अक्टूबर को राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर धोखाधड़ी, साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप तय किए थे। इसके बाद अदालत ने रोजाना सुनवाई का आदेश दिया था। अब लालू परिवार की याचिका पर अदालत का अगला कदम यह तय करेगा कि यह सुनवाई चुनाव प्रचार के बीच जारी रहेगी या कुछ समय के लिए स्थगित की जाएगी। फिलहाल अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए सीबीआई को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस केस का फैसला आने वाले दिनों में न सिर्फ कानूनी बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम साबित हो सकता है।