1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 18 Nov 2025 06:47:23 AM IST
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Lalu family feud : राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार में मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद से ही राजद की अंदरूनी कलह सार्वजनिक होती चली गई और अब यह विवाद खुलेआम सोशल मीडिया पर दिखाई दे रहा है। परिवार से पहले ही निष्कासित किए जा चुके लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव लगातार अपनी बहन रोहिणी आचार्या के समर्थन में मुखर हैं। रोहिणी के साथ हुई कथित बदसलूकी के बाद तेजप्रताप ने पहले भी “जयचंदों को जमीन में गाड़ देने” जैसी कठोर टिप्पणी की थी। अब उन्होंने एक बार फिर एक्स पर पोस्ट कर चेतावनी देते हुए कहा है कि “जयचंदों को इसका अंजाम भुगतना ही होगा।”
तेजप्रताप यादव ने अपने हालिया पोस्ट में लिखा—“हम किसी भी हालत में अपनी बहन का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे, जयचंदों को इस दुर्व्यवहार का परिणाम जरूर चुकाना पड़ेगा।” उन्होंने आगे लिखा कि “हमारी रोहिणी दीदी के साथ जो दुर्व्यवहार जयचंदों द्वारा किया गया, इस घटना ने दिल को भीतर तक झकझोर दिया है। मेरे साथ जो हुआ, वह मैं सह गया, लेकिन मेरी बहन के साथ हुआ अपमान किसी भी हाल में असहनीय है। सुन लो जयचंदों, परिवार पर वार करोगे तो बिहार की जनता तुम्हें कभी माफ नहीं करेगी।”
तेजप्रताप के इन बयानों से यह स्पष्ट हो गया है कि यादव परिवार के भीतर चल रही कलह का अंत अभी दूर है। खास बात यह है कि मुख्य विवाद दो गुटों के बीच लगातार बढ़ रहे तनाव को लेकर है—एक तरफ लालू की बेटी रोहिणी आचार्या और तेजप्रताप यादव हैं, दूसरी ओर तेजस्वी यादव के करीबी सहयोगी।
रोहिणी ने लगाए गंभीर आरोप
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की छोटी बेटी और तेजस्वी यादव की बहन रोहिणी आचार्या ने रविवार को सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट करते हुए आरोप लगाया कि किडनी दान करने के बाद उन्हें “गंदा किडनी” कह कर अपमानित किया गया। गौरतलब है कि 2022 में रोहिणी ने अपने पिता लालू यादव को किडनी दान की थी।
रोहिणी ने दावा किया कि किडनी दान के एवज में उन्हें पैसे और लोकसभा टिकट का लालच दिए जाने की बात कहकर उनका अपमान किया गया। उन्होंने लिखा कि उन्हें “अनाथ बना दिया गया” और विवाहित महिलाओं को सलाह दी कि “अगर पिता का बेटा हो तो पिता को बचाने की गलती न करें।”रोहिणी के ये बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुए, जिसके बाद तेजप्रताप मैदान में उतर आए और बहन के समर्थन में तीखे हमले शुरू कर दिए।
एक दिन पहले, शनिवार को, रोहिणी आचार्या ने एक और पोस्ट के जरिये राजनीति और परिवार, दोनों से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया था। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर तेजस्वी यादव के दो करीबी सहयोगियों हरियाणा से आने वाले राजद सांसद संजय यादव और उत्तर प्रदेश के एक राजनीतिक परिवार से जुड़े रमीज पर चुनावी हार का ठीकरा फोड़ा था। रोहिणी का दावा था कि दोनों सलाहकार ही तेजस्वी को गलत दिशा में ले जा रहे हैं और इनकी वजह से ही परिवार में कलह पैदा हुई है।
राजद परिवार में उठे इस विवाद पर विपक्ष ने भी प्रतिक्रिया देने में देर नहीं लगाई। सोमवार को एनडीए नेताओं ने तेजस्वी यादव को निशाने पर लेते हुए कहा कि जो नेता अपने ही परिवार की महिलाओं का सम्मान नहीं रख सके, वे बिहार के भविष्य की बात कैसे कर सकते हैं?
भाजपा और जदयू के कई नेताओं ने कहा कि चुनावी हार के बाद राजद में मचा बवाल यह साबित करता है कि संगठनात्मक और पारिवारिक स्तर पर तेजस्वी स्थिति को नियंत्रित करने में नाकाम रहे हैं। विपक्ष ने इसे “राजद के अंतर्गत गहरी टूट” का संकेत बताया है।
सूत्रों के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव में राजद की करारी हार के बाद ही यह पूरा विवाद सतह पर आया। तेजस्वी यादव की कार्यशैली, सलाहकारों का हस्तक्षेप और टिकट वितरण को लेकर कई तरह की मतभेद की बातें सामने आईं। रोहिणी ने तो यहां तक कह दिया था कि तेजस्वी के आसपास मौजूद “बाहरी लोग” परिवार को तोड़ने का काम कर रहे हैं और उनकी वजह से ही राजद का राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ गया है। इस घटना ने राजद के अंदरूनी मतभेद को सार्वजनिक कर दिया है। परिवार के सभी सदस्य सोशल मीडिया पर खुलकर बोल रहे हैं और बयानबाजी का सिलसिला जारी है।
लालू परिवार बिहार की राजनीति में दशकों से एक सशक्त और प्रभावशाली शक्ति रहा है। मगर इस बार विवाद की गहराई कुछ अधिक ही दिखाई दे रही है। तेजप्रताप यादव और रोहिणी आचार्या की नाराजगी केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि पारिवारिक ताने-बाने को भी झकझोर रही है। लालू प्रसाद यादव लंबे समय से इस विवाद पर चुप हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि परिवार में मध्यस्थता की कोशिशें जारी हैं। हालांकि तेजप्रताप और रोहिणी के लगातार आक्रामक तेवर यह संकेत दे रहे हैं कि विवाद जल्दी समाप्त होने की संभावना कम है।
राजद की अंदरूनी कलह अब पूरे राज्य में राजनीतिक चर्चा का विषय बन चुकी है। चुनावी हार के बाद पार्टी पहले ही मनोबल से कमजोर है और अब पारिवारिक विवाद ने नेतृत्व क्षमताओं पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिनों में पार्टी किस दिशा में जाएगी, यह बहुत हद तक इस पारिवारिक विवाद के समाधान पर निर्भर करेगा।