Mokama election result : मोकामा विधानसभा सीट का आया रिजल्ट, फिर लौटे ‘छोटे सरकार’, अनंत सिंह ने रचा इतिहास

बिहार चुनाव 2025 में मोकामा सीट से JDU के अनंत सिंह ने जीत दर्ज की है। RJD उम्मीदवार वीणा सिंह को कड़ी टक्कर देते हुए ‘छोटे सरकार’ ने जेल में रहते हुए भी अपनी लोकप्रियता साबित की।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 14 Nov 2025 01:42:42 PM IST

 Mokama election result : मोकामा विधानसभा सीट का आया रिजल्ट, फिर लौटे ‘छोटे सरकार’, अनंत सिंह ने रचा इतिहास

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Mokama election result : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आने शुरू हो चुके हैं और इन शुरुआती नतीजों ने राज्य की राजनीतिक तस्वीर काफी हद तक साफ कर दी है। राजधानी पटना जिले की सबसे चर्चित सीटों में से एक—मोकामा—एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बाहुबली नेता अनंत सिंह ने जोरदार जीत दर्ज करते हुए चुनाव अपने नाम कर लिया है। उनकी सीधी टक्कर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की उम्मीदवार और बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा सिंह से थी। तीसरे स्थान पर जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी रहे, जिन्हें शुरुआती चरणों में कुछ वोट जरूर मिले, लेकिन मुकाबला पूरी तरह से JDU और RJD के बीच ही सीमित रहा।


नतीजों ने बदली राजनीतिक हवा, मोकामा में अनंत की वापसी

मोकामा सीट पर इस बार का चुनाव सिर्फ राजनीतिक मुकाबला नहीं, बल्कि दो बाहुबली परिवारों की ‘प्रतिष्ठा की लड़ाई’ के रूप में देखा जा रहा था। एक ओर थे JDU के अनंत सिंह, जिन्हें इलाके में ‘छोटे सरकार’ कहा जाता है, तो दूसरी ओर थीं RJD की वीणा सिंह, जो पूर्व बाहुबली और सांसद रह चुके सूरजभान सिंह की पत्नी हैं। दोनों ही परिवारों का इलाके में दबदबा और प्रभाव लंबे समय से कायम है।


चुनाव आयोग से मिले प्रारंभिक परिणामों के अनुसार, अनंत सिंह ने जीत का परचम लहराते हुए एक बार फिर साबित कर दिया है कि मोकामा की राजनीति में उनकी पकड़ अब भी मजबूत है। उनकी जीत को भाजपा-जदयू गठबंधन (NDA) की बढ़त के लिए भी सकारात्मक माना जा रहा है, क्योंकि शुरुआती रुझानों ने NDA को महागठबंधन से काफी आगे दिखाया है।


मोकामा: जहां बाहुबल और राजनीति का पुराना रिश्ता

मोकामा विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक यात्रा बेहद दिलचस्प रही है। 1952 से लेकर 1985 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा। उस समय यह क्षेत्र पारंपरिक राजनीति का केंद्र माना जाता था। लेकिन 90 के दशक में जैसे ही बिहार की राजनीति में बाहुबल का दौर शुरू हुआ, मोकामा भी इससे अछूता नहीं रहा।


1990 और 1995: बाहुबली दिलीप सिंह जनता दल के टिकट पर विधायक बने।


2000: बाहुबली सूरजभान सिंह ने दिलीप सिंह को हराकर निर्दलीय चुनाव जीता और इलाके में अपनी पकड़ मजबूत की।


2005 से 2020: इस दौरान मोकामा सीट लगभग ‘अनंत सिंह क्षेत्र’ बन गई। अनंत सिंह लगातार JDU से जीतते रहे और बाहुबल के साथ-साथ अपनी पब्लिक कनेक्ट की बदौलत उन्होंने इलाके में एक विशिष्ट पहचान बनाई।


2022: जब अनंत सिंह जेल गए, तो उनकी पत्नी नीलम देवी RJD के टिकट पर विधायक बनीं और पार्टी ने यहां अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।


मोकामा की वोटिंग पैटर्न की बात करें तो यहां पर भूमिहार वोटरों की संख्या अधिक है, और यह हमेशा से चुनावी समीकरण तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं। इस बार भी भूमिहार वोट बड़े पैमाने पर JDU के साथ जाते दिखे।


अनंत सिंह: विवादों, दबदबे और जनता के बीच लोकप्रियता का सफर

अनंत सिंह का राजनीतिक सफर जितना विवादों से भरा रहा है, उतना ही दिलचस्प भी है। लोग उन्हें ‘छोटे सरकार’ के नाम से बुलाते हैं—यह नाम उनके प्रभाव, उनके अंदाज और उनकी लोकप्रियता को दर्शाता है। वह बाहुबली दिलीप सिंह के भाई हैं और अपने भाई के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने राजनीति में मजबूत पकड़ बनाई।


उन पर हत्या, अपहरण सहित 38 से अधिक आपराधिक मामले चल रहे हैं। सिर्फ हत्या के 7 और अपहरण के 4 मामले दर्ज हैं। वह इस समय भी दुलारचंद यादव की हत्या के मामले में जेल में बंद हैं, लेकिन जनता के बीच उनकी लोकप्रियता इतनी मजबूत है कि जेल में रहते हुए भी उन्होंने चुनाव जीत लिया।


अनंत सिंह के राजनीतिक करियर की उपलब्धियाँ देखें तो:


JDU के टिकट पर 3 बार विधायक बने


RJD से 1 बार चुनाव जीते


2022 में जेल जाने के बाद उनकी विधायकी चली गई


अब 2025 में फिर जीतकर राजनीति में अपनी दमदार वापसी की है


उनकी कार्यशैली हमेशा से चर्चा में रही है—चाहे विकास कार्य हों, जनता से सीधा संवाद हो या उनका आक्रामक अंदाज। समर्थक उन्हें क्षेत्र का ‘रक्षक’ मानते हैं, जबकि विरोधी उन्हें ‘बाहुबली’ की श्रेणी में रखते हैं।


भीषण मुकाबला, वीणा सिंह ने दी कड़ी चुनौती

RJD की वीणा सिंह इस बार मुकाबले में मजबूती से उतरी थीं। सूरजभान सिंह के राजनीतिक अनुभव और RJD के मजबूत वोट बैंक के सहारे उन्होंने अनंत सिंह को चुनौती दी। उनके प्रचार ने कई जगहों पर असर भी दिखाया, लेकिन अनंत की ‘छोटे सरकार’ वाली छवि और क्षेत्र में लंबे समय से किए गए कामों ने अंततः वोटरों को उनकी ओर मोड़ दिया।


NDA की लहर और मोकामा का संदेश

बिहार के 2025 चुनाव में शुरुआती रुझानों के अनुसार NDA स्पष्ट बढ़त में है। मोकामा की जीत ने JDU के लिए उत्साह को और बढ़ा दिया है। यह नतीजा इस बात का संकेत भी है कि बाहुबली छवि के बावजूद अगर नेता जनता के दिल में जगह बना ले, तो कानूनी पेंच भी उनकी राह नहीं रोक पाते।


मोकामा विधानसभा सीट का 2025 का चुनाव सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि बिहार के सामाजिक और राजनीतिक परिवेश का आईना है। यहां बाहुबल, जातीय समीकरण, जनता का विश्वास और राजनीतिक रणनीति—सब कुछ एक साथ दिखाई दिया। अनंत सिंह की जीत ने साबित कर दिया कि मोकामा में ‘छोटे सरकार’ की पकड़ अब भी वैसी ही है जैसी पिछले दो दशकों में रही है।