Nitish Kumar : 10वीं बार बिहार के CM बनें नीतीश कुमार को कितना जानते हैं आप; पढ़िए अबतक का कैसा रहा है इनका राजनीतिक कैरियर

नीतीश कुमार ने 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर नया इतिहास रचा। वे देश में सबसे अधिक बार शपथ लेने वाले पहले सीएम बन गए हैं। उनका राजनीतिक सफर कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 20 Nov 2025 03:32:48 PM IST

Nitish Kumar : 10वीं बार बिहार के CM बनें नीतीश कुमार को कितना जानते हैं आप; पढ़िए अबतक का कैसा रहा है इनका राजनीतिक कैरियर

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Nitish Kumar : बिहार की राजनीति में एक नया इतिहास रचते हुए नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। इसी के साथ वे देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री बन गए हैं जिन्होंने दस बार सीएम पद की शपथ लेकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। हालांकि कार्यकाल की लंबाई के मामले में उनका रिकॉर्ड अभी दूसरे नेताओं से पीछे है। भारत में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड सिक्किम के पूर्व सीएम पवन कुमार चामलिंग के नाम है, जबकि दूसरे स्थान पर ओडिशा के नवीन पटनायक और तीसरे पर पश्चिम बंगाल के ज्योति बसु हैं। इस रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए नीतीश कुमार को अभी कम से कम छह साल और पद पर बने रहना होगा।


नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर हमेशा से एक साफ-सुथरी और विकासवादी राजनीति के प्रतीक के रूप में देखा गया है। बिहार को लालू यादव के दौर की राजनीति से निकालकर विकास की राह पर लाने का श्रेय अक्सर नीतीश कुमार को दिया जाता है। उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा आधार रही हैं बिहार की महिलाएँ। यही कारण है कि 2025 के चुनावों में भी महिलाओं के समर्थन ने उनकी सत्ता में वापसी को मजबूती दी।



बख्तियारपुर से दिल्ली तक: नीतीश कुमार का सफर

नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को पटना जिले के बख्तियारपुर में एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता राम लखन सिंह स्वतंत्रता सेनानी और आयुर्वेदिक वैद्य थे, जबकि माता परमेश्वरी देवी गृहिणी थीं। परिवार में उन्हें प्यार से "मुन्ना" कहा जाता था।


शिक्षा के क्षेत्र में भी नीतीश कुमार हमेशा अव्वल रहे। बख्तियारपुर में प्रारंभिक पढ़ाई के बाद उन्होंने साइंस कॉलेज, पटना से आगे की पढ़ाई की। 1972 में उन्होंने बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज (अब NIT पटना) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होते ही वे बीएसईबी में इंजीनियर बने, लेकिन नौकरी में मन न लगने के कारण उन्होंने जल्द ही राजनीति की ओर रुख कर लिया।


1974 का जेपी आंदोलन उनके राजनीतिक करियर की नींव बना, जिसमें सक्रिय भूमिका निभाने के कारण वे जेल भी गए। इसके बाद वे जयप्रकाश नारायण, लोहिया और वी.पी. सिंह जैसे दिग्गज नेताओं के संपर्क में आए।


विधानसभा से संसद और फिर मुख्यमंत्री तक का सफर

1985 में नीतीश पहली बार हरनौत से विधायक चुने गए। 1989 में वे बाढ़ लोकसभा सीट से सांसद बने और यहीं से उनकी राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री हुई। उन्होंने केंद्र में कृषि राज्यमंत्री, रेल मंत्री और भूतल परिवहन मंत्री जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभाईं।जॉर्ज फर्नांडिस के साथ मिलकर उन्होंने समता पार्टी की स्थापना भी की। 2000 में वे पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने लेकिन बहुमत न जुटा पाने के कारण सात दिन में ही इस्तीफा देना पड़ा।


इसके बाद 2005 में उन्होंने लालू प्रसाद यादव की 15 साल पुरानी सत्ता को उखाड़ फेंककर एनडीए सरकार के नेतृत्व में दोबारा सत्ता में कदम रखा। 2010 में भी उनकी मजबूत जीत ने उन्हें फिर से सीएम की कुर्सी दिलाई।


गठबंधन बदलने की राजनीति, लेकिन सीएम कुर्सी पर स्थायी पकड़

नीतीश कुमार के राजनैतिक सफर में गठबंधन बदलना एक बड़ी विशेषता रही। 2013 में उन्होंने एनडीए छोड़ा। 2015 में महागठबंधन के साथ चुनाव जीते और तीसरी बार सीएम बने। 2017 में फिर भाजपा के साथ आ गए। 2022 में दोबारा आरजेडी-कांग्रेस के साथ चले गए। 2023 में फिर भाजपा के साथ आकर 9वीं बार सीएम बने।


2025 के चुनाव में जेडीयू दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी और एनडीए की जीत के बाद नीतीश ने 10वीं बार शपथ ली। दिलचस्प बात यह है कि नीतीश पिछले तीस वर्षों से चुनाव नहीं लड़े हैं, लेकिन विधान परिषद की सदस्यता के आधार पर वे लगातार सीएम बने रहे।


व्यक्तिगत जीवन और संघर्ष

नीतीश कुमार के निजी जीवन की बात करें तो उनका विवाह मंजू सिन्हा से हुआ था, जो कायस्थ परिवार से थीं। यह एक इंटर-कास्ट शादी थी। नीतीश की उम्र उस समय 22 वर्ष थी और वे छात्र आंदोलन में सक्रिय थे। दोनों का एक बेटा है—निशांत—जो राजनीति से दूर रहते हैं। 2007 में पत्नी मंजू का निधन नीतीश के जीवन का सबसे बड़ा आघात था। वे अपनी पत्नी की अंतिम इच्छा पूरी नहीं कर पाए कि उनके अंतिम क्षणों में उनके पास रहें। इस घटना ने उन्हें गहरे भावनात्मक रूप से प्रभावित किया।


राजनीति में उतार-चढ़ाव भले कई आए, गठबंधन कई बार बदले, लेकिन बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार अपनी दृढ़ता, प्रशासनिक क्षमता और विकास की राजनीति के कारण हमेशा एक मजबूत स्तंभ बने रहे। यही वजह है कि उन्हें केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक दौर के रूप में याद किया जाएगा।