1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 18 Nov 2025 04:01:34 PM IST
- फ़ोटो
बिहार में नई सरकार के गठन की तैयारियां तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार गुरुवार को 10वीं बार शपथ लेने जा रहे हैं, लेकिन मंत्रिपरिषद का स्वरूप अभी तक पूरी तरह तय नहीं हो पाया है। जदयू और भाजपा दोनों ही अपने-अपने कोटे और विभागों को लेकर अंतिम रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। मंगलवार को दिल्ली में हुई अहम बैठक के बावजूद कई बिंदुओं पर सहमति नहीं बन सकी। अब बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पटना दौरे के दौरान कैबिनेट गठन का ब्लूप्रिंट अंतिम रूप लेगा।
दिल्ली में 3 घंटे की अहम बैठक, फिर भी कई मुद्दे अधर में
मंगलवार को जदयू के दो पावरफुल नेता—राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और संजय झा—दिल्ली में अमित शाह से मिले। करीब तीन घंटे चली इस बैठक में मंत्रियों की सूची, विभागों का बंटवारा और विधानसभा अध्यक्ष के पद को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार, जदयू तैयार लिस्ट और विभागों का विस्तृत प्रस्ताव लेकर पहुंचा था, लेकिन कुछ बड़े विभागों को लेकर दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बन सकी।
भाजपा चाहती है कि उसे शिक्षा,ग्रामीण कार्य और ग्रामीण विकास जैसे उच्च बजट वाले विभागों में हिस्सेदारी मिले। फिलहाल ये विभाग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास हैं। वहीं, भाजपा के पास वर्तमान में प्रमुख विभागों में स्वास्थ्य और पंचायती राज ही शामिल हैं। जदयू इन विभागों पर अपना नियंत्रण बनाए रखना चाहती है। इसी वजह से कई मुद्दों पर बातचीत आगे नहीं बढ़ सकी। अब अंतिम फैसला अमित शाह और नीतीश कुमार की बुधवार को होने वाली बैठक के बाद ही होगा।
2010 के बाद पहली बार दोनों दल बराबर की स्थिति में
इस बार भाजपा और जदयू की सीटें करीब-करीब बराबर हैं। जदयू ने 85 सीटें जीती हैं, जबकि भाजपा 89 सीटों के साथ उससे कुछ ही आगे है। यही वजह है कि दोनों दल अपने स्पीकर की मांग पर अड़े हुए हैं। 2010 तक स्पीकर का पद जदयू के पास था, वहीं 2020 के बाद से भाजपा इसे अपने पास रख रही है। दिल्ली की बैठक में इस पर सहमति बन गई है। लेकिन कुछ विभागों को लेकर सहमती नहीं बन पाई है जेडीयू का कहना है कि यदि विभाग में फेरबदल तभी संभव है जब आप भी अपने विभाग हमसे बदले। अब इसी फोर्मुले को सेट करने शाह पटना आ रहे हैं।
सभी जातियों को प्रतिनिधित्व देने की तैयारी
अमित शाह के साथ हुई चर्चाओं के बाद मिली जानकारी के अनुसार, नई कैबिनेट में सभी प्रमुख जातियों के निर्वाचित विधायकों को प्रतिनिधित्व देने का संकेत दिया गया है। बिहार विधानसभा में वर्तमान में जाति आधारित विधायकों की संख्या इस प्रकार है:
राजपूत – 32
यादव – 26
भूमिहार – 25
कोइरी – 24
कुर्मी – 14
ब्राह्मण – 13
मुस्लिम – 11
कायस्थ – 2
SC/ST – 40
बनिया – 28
अन्य EBC – 28
नीतीश कुमार सामाजिक संतुलन बनाने में पहले भी बेहद सक्रिय रहे हैं। इसलिए कैबिनेट में जातीय प्रतिनिधित्व एक अहम कारक बनने जा रहा है।
शपथ ग्रहण पर दो तरह की चर्चाएं
शपथ ग्रहण को लेकर दो तरह के विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।पहला विकल्प यह है कि मुख्यमंत्री और डिप्टी CM के साथ तय संख्या में मंत्री शपथ लें। इसमें जदयू और भाजपा के अलावा सहयोगी दल—एलजेपी (रामविलास), हम और आरएलएम—के मंत्रियों को भी शामिल किया जाए। इसके बाद फ्लोर टेस्ट में बहुमत सिद्ध करने के बाद कैबिनेट विस्तार किया जा सकता है।
दूसरा विकल्प नीतीश कुमार के पारंपरिक तरीक़े से जुड़ा है, जिसमें मुख्यमंत्री के साथ ही सभी मंत्री एक साथ शपथ लेते हैं। सरकार को मजबूत जनादेश मिला है, इसलिए इस मॉडल पर भी गंभीरता से विचार चल रहा है। इन दोनों में से कौन-सा विकल्प चुना जाएगा, इसका निर्णय बुधवार की बैठक में होगा।
JDU पुराने मंत्रियों पर ही भरोसा करेगी
\पिछली सरकार में जदयू कोटे से कुल 13 मंत्री थे, जिनमें से लगभग 10 को दोबारा मौका मिलने की संभावना है। पार्टी बड़े पैमाने पर फेरबदल के मूड में नहीं है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, जदयू ने अपनी सूची लगभग फाइनल कर ली है और उसे बुधवार को अंतिम मुहर मिल सकती है।
भाजपा डिप्टी CM से लेकर कई मंत्रियों को बदल सकती है
भाजपा कोटे से पिछली सरकार में 19 मंत्री थे। इस बार बड़े बदलाव की चर्चा है। डिप्टी CM विजय सिन्हा को बदला जा सकता है, साथ ही सम्राट चौधरी की भूमिका में भी बदलाव के संकेत हैं। अमित शाह की मंजूरी के बाद भाजपा अपने कोटे के मंत्रियों की सूची सार्वजनिक करेगी। बिहार के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान पहले से पटना में कैंप कर रहे हैं और संभावित मंत्रियों की सूची को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।
सहयोगी दलों से कौन बनेगा मंत्री?
सहयोगियों में सबसे पहले संतोष मांझी का नाम लगभग तय माना जा रहा है। इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता कुशवाहा को मंत्री बनाए जाने की चर्चा तेज है। एलजेपी (रामविलास) से प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। साथ ही संजय पासवान और संजय सिंह के नामों पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है।