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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 10 Oct 2025 08:26:31 AM IST
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EC Action : बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों और नेताओं की सक्रियता भी चरम पर है। नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन इससे पहले ही बिहार की राजनीति में एक बड़ा बवाल मच गया है। निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव पर आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है।
दरअसल, सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें पप्पू यादव वैशाली में लोगों के बीच खुलेआम पैसे बांटते नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह वीडियो एक चुनावी सभा या जनसंपर्क कार्यक्रम का है, जहां वे मतदाताओं को पैसे देकर उन्हें प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे। यह वीडियो जैसे ही वायरल हुआ, चुनाव आयोग ने तुरंत मामले का संज्ञान लिया और संबंधित जिले के प्रशासन से रिपोर्ट तलब की।
जांच के बाद आयोग ने पाया कि मामला पहली नजर में आचार संहिता के उल्लंघन का है। इसके बाद प्रशासन नेपप्पू यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। एफआईआर में पप्पू यादव पर आचार संहिता के उल्लंघन, मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि पैसे बांटने की घटना कब और कहां हुई थी और क्या इस दौरान उनके साथ पार्टी कार्यकर्ता भी मौजूद थे।
इस पूरे मामले पर पप्पू यादव ने अपनी सफाई देते हुए कहा है कि यह उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश है। उन्होंने कहा कि “मैं जनता की सेवा के लिए हमेशा मैदान में रहता हूं। गरीबों की मदद करना अगर अपराध है, तो मैं यह अपराध बार-बार करूंगा।”उन्होंने वीडियो को “एडिटेड” बताया और कहा कि उनके खिलाफ विपक्षी दलों ने यह चाल चली है ताकि उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जा सके।
बिहार में इस बार चुनाव आयोग बेहद सख्ती से आचार संहिता के पालन पर नजर रख रहा है। आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी उम्मीदवार द्वारा मतदाताओं को लालच देने या उपहार बांटने जैसी हरकतों पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। पप्पू यादव पर दर्ज हुई यह एफआईआर इस बात का संकेत है कि आयोग इस बार किसी भी नेता के प्रभाव में नहीं आने वाला।
कानूनी रूप से केवल एफआईआर दर्ज होने से किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका नहीं जा सकता, जब तक कि अदालत से दोष सिद्ध न हो जाए। हालांकि, चुनाव आयोग के पास यह अधिकार है कि अगर किसी उम्मीदवार पर गंभीर आरोप हों और वह मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा हो, तो उसकी उम्मीदवारी पर आपत्ति दर्ज की जा सकती है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पप्पू यादव जैसे नेता पर एफआईआर दर्ज होना उनके लिए छवि के लिहाज से नुकसानदेह है। चुनावी माहौल में विरोधी दल इसे बड़ा मुद्दा बना सकते हैं और जनता के बीच उनकी छवि को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे।
बिहार की राजनीति में पप्पू यादव हमेशा विवादों में रहे हैं—कभी अपने बयानों को लेकर, तो कभी अपने तेवरों को लेकर। लेकिन इस बार मामला और गंभीर है क्योंकि यह सीधे चुनावी आचार संहिता से जुड़ा है। अब देखना यह होगा कि इस एफआईआर का आगे क्या असर होता है—क्या पप्पू यादव एक बार फिर खुद को निर्दोष साबित कर लेंगे या यह मामला उनके चुनावी सफर में रोड़ा बन जाएगा। एक बात तो तय है, इस विवाद ने चुनावी माहौल को और गर्म कर दिया है और सभी की निगाहें अब पप्पू यादव और चुनाव आयोग की अगली कार्रवाई पर टिक गई हैं।