1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 22 Nov 2025 12:46:26 PM IST
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Bihar political news : पटना में एक सनसनीखेज और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे राजनीतिक माहौल को हिला कर रख दिया है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के निजी सचिव रणवीर बरियार के नाम का दुरुपयोग कर बिहार विधान परिषद के सदस्य एमएलसी नीरज कुमार को एक धमकी भरा और अभद्र टिप्पणी वाला पत्र भेजा गया है।
यह पत्र न केवल आपत्तिजनक था, बल्कि इसे ऐसी तरीके से भेजा गया कि इसके पीछे किसी बड़े षड्यंत्र की आशंका साफ झलकती है। सबसे अहम बात यह है कि यह पत्र सामान्य डाक से नहीं, बल्कि स्पीड पोस्ट के माध्यम से भेजा गया था, ताकि इसे पूरी विश्वसनीयता के साथ MLC तक पहुंचाया जा सके। जांच में पता चला है कि स्पीड पोस्ट कर्नाटक के मैसूर से किया गया था, जो इस पूरे मामले को और भी गंभीर और पेचीदा बनाता है।
कैसे सामने आया मामला?
जब पत्र एमएलसी नीरज कुमार को पहुंचा और उसकी सामग्री पढ़ी गई, तो उसमें निजी सचिव रणवीर बरियार का नाम व पदनाम देखकर उन्होंने तुरंत इसकी जानकारी अधिकारियों को दी। पत्र में अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया था और राजनीतिक धमकी जैसी बातें लिखी थीं। जाहिर था कि यह पत्र न तो रणवीर बरियार ने लिखा था और न ही उनके कार्यालय से इसे भेजा गया था।
इसकी सूचना मिलने पर निजी सचिव रणवीर बरियार तुरंत हरकत में आए और सचिवालय थाना पहुंचकर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ FIR दर्ज करा दी। यह FIR न सिर्फ धमकी देने, बल्कि किसी उच्च पदस्थ अधिकारी के नाम का दुरुपयोग कर राजनीतिक भ्रम और तनाव फैलाने के गंभीर आरोपों पर आधारित है।
पुलिस की जांच तेज
FIR दर्ज होते ही सचिवालय थाना पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। पुलिस अब स्पीड पोस्ट की रसीद, ट्रैकिंग नंबर और मैसूर पोस्ट ऑफिस से भेजे गए दस्तावेजों की जानकारी खंगाल रही है। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि पत्र भेजने वाला व्यक्ति या तो किसी राजनीतिक रंजिश में शामिल है या फिर जानबूझकर उपमुख्यमंत्री कार्यालय और एमएलसी के बीच विवाद की स्थिति पैदा करना चाहता है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक स्पीड पोस्ट विवरण के आधार पर भेजने वाले की पहचान संभव है। इसके साथ ही मैसूर से भेजे गए पत्र की सीसीटीवी फुटेज भी जांच में अहम साबित हो सकती है। पत्र में उपयोग की गई भाषा और हस्तलेख की फोरेंसिक जांच भी कराई जा सकती है।
यह मामला केवल एक धमकी भरा पत्र का नहीं है, बल्कि बिहार के राजनीतिक और प्रशासनिक तंत्र पर सीधा प्रहार है। किसी सरकारी अधिकारी के नाम का गलत इस्तेमाल कर एक विधान पार्षद को डराने का प्रयास अपने आप में एक बड़ा अपराध है। यह घटना सामने आने के बाद पटना के राजनीतिक गलियारों में चर्चा गर्म है कि आखिर इस काम के पीछे कौन हो सकता है?
रणवीर बरियार की ओर से तुरंत FIR दर्ज कराना इस बात का संकेत है कि मामला कितना संवेदनशील है। उन्होंने न केवल अपनी पद-प्रतिष्ठा की रक्षा की, बल्कि इस तरह के कृत्य को कठोरता से रोकने की पहल भी की है। उनका कहना है कि यह सिर्फ व्यक्तिगत बदनाम करने का प्रयास नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं और संवैधानिक पदों पर हमला है, जिसकी गहन जांच आवश्यक है।
पुलिस मैसूर पोस्ट ऑफिस के जरिए भेजने वाले की पहचान जल्द कर सकती है। पत्र भेजने वाले के खिलाफ IPC की कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज हो सकता है। फोरेंसिक, डिजिटल और पोस्टल डिपार्टमेंट की रिपोर्ट इस मामले को पूरी तरह उजागर करेगी। इस घटना ने बिहार की राजनीति को एक बार फिर हिला कर रख दिया है। आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में जाता है, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा। फिलहाल पुलिस और प्रशासन के लिए यह एक हाई-प्रोफाइल जांच बन चुकी है और हर पहलू पर बारीकी से काम किया जा रहा है।