1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 16 Nov 2025 11:25:06 AM IST
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Bihar Politics : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार झेलने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अब आत्ममंथन मोड में पहुंच चुका है। संगठन से लेकर नेतृत्व तक सभी स्तरों पर सवाल उठ रहे हैं। इसी सिलसिले में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सोमवार को अपने सरकारी आवास—एक पोलो रोड—पर पार्टी के सभी हारे हुए उम्मीदवारों के साथ अहम समीक्षा बैठक करने जा रहे हैं। बैठक सुबह 11 बजे के आसपास शुरू होने की संभावना है।
हार के कारणों पर गहन चर्चा आज
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में तेजस्वी यादव उन सभी प्रत्याशियों से अलग-अलग फीडबैक लेंगे जिन्होंने चुनाव में हार का सामना किया। खास तौर पर यह समझने की कोशिश की जाएगी कि किन कारणों से RJD का पारंपरिक वोट बैंक खिसका, ग्राउंड लेवल पर क्या चूकें हुईं और संगठन कहाँ कमजोर पड़ा।
उम्मीदवारों के इनपुट के साथ तेजस्वी यादव अपनी टीम को यह भी मूल्यांकन करने के लिए कहेंगे कि टिकट वितरण में क्या गलतियां हुईं, क्या गलत चेहरे सामने आए या क्या स्थानीय स्तर पर असंतोष की वजह से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा।
पार्टी की चुनावी रणनीति, सोशल मीडिया कैंपेन, सहयोगी दलों के साथ तालमेल और सीट शेयरिंग के समीकरण पर भी चर्चा होने की पूरी संभावना है। खासकर यह बात महत्वपूर्ण है कि महागठबंधन के अंदरूनी भ्रम, सीट बंटवारे को लेकर नाराजगी और राज्यस्तरीय मुद्दों को राष्ट्रीय नैरेटिव में फिट न कर पाने जैसी चुनौतियाँ आखिर क्यों काबू नहीं की जा सकीं।
लालू परिवार में बढ़ा तनाव, रोहिणी आचार्या का बड़ा कदम
चुनाव नतीजों के बाद RJD के भीतर उथल-पुथल केवल संगठन तक ही सीमित नहीं रही है। लालू परिवार में भी गहरा तनाव सामने आया है। शनिवार रात लालू प्रसाद यादव को किडनी दान कर चर्चा में आईं उनकी सबसे सक्रिय बेटी रोहिणी आचार्या ने अचानक राबड़ी देवी आवास छोड़ दिया।
रोहिणी आचार्या ने सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव, उनके सलाहकार संजय यादव और रमीज नेमत पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया है कि उन्हें मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है और परिवार को तोड़ने की कोशिश की जा रही है।
रोहिणी का यह कदम और उनके आरोप लालू परिवार की राजनीति में एक बड़े भूचाल जैसे माने जा रहे हैं, क्योंकि वह हमेशा से तेजस्वी यादव की मजबूत समर्थक रही हैं। उनका अचानक परिवार और राजनीति से दूरी बनाना RJD के भीतर नए संकट का संकेत देता है।
RJD में मनोबल टूटा, नेतृत्व पर बढ़ा दबाव
RJD की करारी पराजय ने पार्टी का मनोबल बुरी तरह गिरा दिया है। 2020 के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद RJD को उम्मीद थी कि 2025 में वह सत्ता हासिल करने के लिए मजबूत दावेदारी पेश करेगी। लेकिन नतीजे उसके बिलकुल उलट आए और RJD सीटों के मामले में बहुत पीछे रह गई।
पार्टी में अब यह चर्चा तेज है कि युवा नेतृत्व की रणनीति कहाँ कमजोर रही, क्या तेजस्वी यादव जनता से जुड़ने में पिछड़ गए, क्या माइक्रो मैनेजमेंट और जमीनी स्तर पर संगठनात्मक प्रयास कमजोर पड़ गए या फिर NDA की आक्रामक रणनीति और मोदी-नीतीश फैक्टर ने महागठबंधन को पूरी तरह पछाड़ दिया।
तेजस्वी के सामने दोहरी चुनौती है जिसमें संगठन को संभालना और पार्टी को फिर से खड़ा करना परिवार की कलह को शांत करना और रोहिणी आचार्या के आरोपों का समाधान निकालना राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि RJD इतिहास में बहुत कम बार ऐसा हुआ है जब लालू परिवार खुद दो हिस्सों में बंटता दिखे। रोहिणी का खुलकर विरोध जताना और आरोप लगाना पार्टी की अंदरूनी छवि को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
आज की बैठक से क्या निकल कर आएगा?
तेजस्वी यादव आज की बैठक से वैकल्पिक रास्ते तलाशना चाहेंगे। यह भी संभव है कि बैठक के बाद संगठनात्मक फेरबदल या बड़े बदलावों की ओर संकेत दिए जाएं। तेजस्वी यादव पहले ही कह चुके हैं कि वह “नए सिरे से पार्टी को खड़ा करने” के लिए हर जरूरी कदम उठाएंगे।
लेकिन पार्टी के भीतर ही जब मतभेद बढ़ रहे हों और परिवार में लगातार विवाद उभर रहे हों, तो तेजस्वी यादव का रास्ता आसान नहीं है। आज की समीक्षा बैठक इस दिशा में पहला बड़ा कदम माना जा रहा है। बिहार चुनाव में हार ने RJD को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है। पार्टी की राजनीतिक दिशा और संगठनात्मक भविष्य काफी हद तक तेजस्वी यादव के आज के फैसलों और आगामी कदमों पर निर्भर करेगा। साथ ही, परिवारिक विवादों को शांत करने और रोहिणी आचार्या के आरोपों पर समाधान ढूंढना भी उनके लिए कम चुनौतीपूर्ण नहीं है।
तेजस्वी यादव यदि पार्टी को एकजुट रखने और रणनीतिक बदलाव करने में सफल होते हैं, तो RJD फिर से अपने खोए जनाधार को वापस पाने की कोशिश कर सकती है। फिलहाल सबकी निगाहें आज की बैठक और उसके बाद सामने आने वाले राजनीतिक संकेतों पर टिकी हैं।