ब्रेकिंग न्यूज़

Mokama Murder Case : 'हथियार जमा कराए...', मोकामा हत्याकांड के बाद एक्शन में चुनाव आयोग, कहा - लॉ एंड ऑडर पर सख्ती बरतें Bihar election update : दुलारचंद यादव हत्याकांड का बाढ़ और मोकामा चुनाव पर असर, अनंत सिंह पर एफआईआर; RO ने जारी किया नया फरमान Justice Suryakant: जस्टिस सूर्यकांत बने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश, इस दिन लेंगे शपथ Bihar News: अब बिहार से भी निकलेंगे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जलवा दिखाने वाले धावक, इस शहर में तैयार हुआ विशेष ट्रैक Dularchand Yadav case : मोकामा में दुलारचंद यादव हत्याकांड में चौथा FIR दर्ज ! अनंत सिंह और जन सुराज के पीयूष नामजद; पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद अब बदलेगा माहौल Bihar Election 2025: "NDA ही कर सकता है बिहार का विकास...", चुनाव से पहले CM नीतीश का दिखा नया अंदाज, सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर किया वोट अपील Bihar Election 2025: NDA ने तय किया विकसित बिहार का विजन, घोषणा पत्र पर पीएम मोदी ने की बड़ी बात Bihar News: बिहार के इस जिले में 213 अपराधी गिरफ्तार, भारी मात्रा में हथियार व नकदी जब्त Bihar News: बिहार से परदेश जा रहे लोगों की ट्रेनों में भारी भीड़, वोट के लिए नहीं रुकना चाहते मजदूर; क्या है वजह? Bihar News: भीषण सड़क हादसे में शिक्षिका की मौत, फरार चालक की तलाश में जुटी पुलिस

CJI B.R. Gavai: तीसरे नंबर पर था, फिर भी बना CJI... गवई ने छात्रों को दिया सफलता का मंत्र

CJI B.R. Gavai: भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने गोवा में एक कार्यक्रम के दौरान अपने कॉलेज के दिनों को याद किया और न्यायपालिका की स्वतंत्रता, कार्यपालिका की सीमाओं और कानूनी शिक्षा की गुणवत्ता पर खुलकर बात की।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 24 Aug 2025 10:06:27 AM IST

CJI BR Gavai

बी. आर. गवई - फ़ोटो GOOGLE

CJI B.R. Gavai: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी आर गवई ने शनिवार को गोवा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत की, जहां उन्होंने न केवल अपने कॉलेज के दिनों की यादें साझा कीं, बल्कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच संतुलन के महत्व पर भी गहराई से समझाया। उन्होंने संविधान में निहित 'सेपरेशन ऑफ पावर' (शक्तियों का पृथक्करण) के सिद्धांत को दोहराते हुए कहा कि कार्यपालिका को न्यायिक भूमिका निभाने की इजाजत देना, संविधान की आत्मा पर चोट के समान है।


CJI ने हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए कुछ अहम फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें गर्व है कि अदालत ने कार्यपालिका को जज नियुक्त करने से रोकने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि अगर कार्यपालिका को यह अधिकार दे दिया गया, तो यह न केवल संवैधानिक संतुलन को बिगाड़ेगा, बल्कि न्यायिक स्वतंत्रता को भी खतरे में डालेगा।


उन्होंने देश में हाल ही में बढ़े 'बुलडोजर एक्शन' पर भी टिप्पणी की और कहा कि ऐसे कार्रवाइयों को बिना कानूनी प्रक्रिया के अंजाम देना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब कई राज्यों में सरकारें अवैध निर्माण हटाने के नाम पर बुलडोजर का उपयोग कर रही हैं, जिसे लेकर अदालतों ने भी चिंता जताई है।


अपने संबोधन में क्रीमी लेयर और अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस फैसले की आलोचना उन्हीं की जाति समुदाय से हुई थी, लेकिन न्यायिक निर्णय हमेशा कानून और अंतरात्मा के आधार पर होते हैं, न कि सामाजिक या राजनीतिक दबाव में।


सीजेआई ने देश की कानूनी शिक्षा प्रणाली की स्थिति पर भी विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि आज देशभर में लाखों छात्र लॉ कॉलेजों में पढ़ रहे हैं, लेकिन उनमें से कई को आधारभूत ढांचे और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में पूरे देश में कानूनी शिक्षा को सुधारने और एकरूपता लाने की जरूरत है। उन्होंने छात्रों से कहा कि परीक्षा में रैंक से ज्यादा महत्व समर्पण, मेहनत और पेशे के प्रति प्रतिबद्धता का होता है।


अपने कॉलेज जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए बी आर गवई ने कहा, “मैं पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन अक्सर कक्षाएं छोड़ता था। जब मैं मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में पढ़ रहा था, तब कक्षाओं से ज्यादा समय कॉलेज की दीवार पर बैठने में बीतता था। मेरे दोस्त मेरी हाजिरी लगाते थे।” उन्होंने बताया कि अंतिम वर्ष में उन्हें अमरावती जाना पड़ा क्योंकि उनके पिता महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष थे। उन्होंने हंसते हुए कहा कि परीक्षा में तीसरा स्थान मैंने पाया, पहला स्थान प्राप्त करने वाला छात्र आपराधिक वकील बना, दूसरा हाईकोर्ट का जज बना और मैं – तीसरा स्थान पाने वाला – आज भारत का मुख्य न्यायाधीश हूं।


उन्होंने अपने भाषण में यह भी कहा कि जीवन में सफलता केवल शैक्षणिक उपलब्धियों से नहीं, बल्कि समर्पण और सेवा भाव से तय होती है। CJI गवई का यह संबोधन छात्रों, वकीलों और नीति-निर्माताओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गया है, जिसमें उन्होंने संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और न्यायिक आत्मनिर्भरता पर जोर दिया।