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DD Lapang: पूर्व सीएम डीडी लपांग का 93 वर्ष की उम्र में निधन, मेघालय की राजनीति में एक युग का अंत

DD Lapang: मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री डीडी लपांग का 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनका जीवन एक साधारण मजदूर से मुख्यमंत्री बनने तक की प्रेरणादायक यात्रा रहा। पूरे राजकीय सम्मान के साथ सोमवार को अंतिम विदाई दी जाएगी।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sat, 13 Sep 2025 01:51:21 PM IST

DD Lapang

- फ़ोटो Google

DD Lapang: मेघालय की राजनीति में एक युग का अंत हो गया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. डीडी लपांग ने 93 वर्ष की आयु में शिलांग स्थित बेथनी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से पूरे राज्य और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्हें सोमवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।


डीडी लपांग का जीवन एक साधारण मजदूर से राज्य के शीर्ष पद तक पहुंचने की प्रेरणादायक कहानी है। उनका जन्म 1934 में शिलांग में हुआ था। गरीबी में पले-बढ़े लपांग ने दिन में मजदूरी कर रात में इवनिंग कॉलेज से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने पांच वर्षों तक शिक्षक के रूप में कार्य किया। इसके अलावा वे टाइपिस्ट और स्कूल निरीक्षक जैसे पदों पर भी रहे। वर्ष 1972 से वे सक्रिय राजनीति में कदम रख चुके थे।


लपांग ने 1972 में नोंगपोह सीट से पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसी वर्ष मेघालय को असम से अलग कर एक स्वतंत्र राज्य बनाया गया था। इसके बाद वे 1992 से 2008 तक चार बार राज्य के मुख्यमंत्री बने और अनेक बार मंत्री पदों पर रहते हुए प्रदेश और देश की सेवा की। उन्हें मेघालय के सबसे स्थायी और प्रभावशाली राजनेताओं में गिना जाता है। उनके योगदान को मान्यता देते हुए 2024 में री-भोई जिले में उनकी एक प्रतिमा का अनावरण भी किया गया।


मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने डीडी लपांग के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “मैं पूर्व मुख्यमंत्री डीडी लपांग के निधन से अत्यंत दुखी हूं। वे एक सच्चे जननेता थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन राज्य की सेवा, कल्याण और प्रगति के लिए समर्पित कर दिया। री-भोई जिले के निर्माण में उनकी भूमिका अविस्मरणीय है और वहां के लोग उन्हें अपना अभिन्न अंग मानते हैं। राज्य के लोगों, उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मैं अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं।”


डीडी लपांग की जीवनी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि कड़ी मेहनत, ईमानदारी और समर्पण से कोई भी व्यक्ति असाधारण ऊंचाइयों को छू सकता है। मेघालय और देश उनके योगदान को कभी नहीं भूल पाएगा।