Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी से पहले सामने आई 'लालबाग के राजा' की पहली झलक, अद्भुत रूप देख भाव-विभोर हुए भक्त

Ganesh Chaturthi 2025: लालबाग के राजा की पहली झलक गणेश चतुर्थी 2025 से एक दिन पहले सामने आई। हर साल की तरह इस बार भी गणपति बाप्पा का भव्य स्वरूप भक्तों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 26 Aug 2025 12:25:06 PM IST

Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी से पहले सामने आई 'लालबाग के राजा' की पहली झलक, अद्भुत रूप देख भाव-विभोर हुए भक्त

- फ़ोटो GOOGLE

Ganesh Chaturthi 2025: मुंबई में गणेश चतुर्थी के महापर्व से ठीक एक दिन पहले, 'लालबाग के राजा' की पहली झलक सामने आ गई है। हर साल की तरह इस बार भी बप्पा का स्वरूप बेहद भव्य, दिव्य और आकर्षक है, जो देशभर से आने वाले भक्तों के दिलों को छू जाता है। गणेश चतुर्थी के शुभारंभ से पहले ही महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने लगी है, जो 'लालबागचा राजा' के दर्शन के लिए लंबी कतारों में खड़ी नजर आती है।


लालबाग में स्थित यह पंडाल न केवल मुंबई का, बल्कि पूरे देश का सबसे प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध गणपति पंडाल माना जाता है। 'लालबाग के राजा' के नाम से प्रसिद्ध यह गणेश प्रतिमा हर साल भक्तों के लिए विशेष आस्था और आकर्षण का केंद्र रहती है। भगवान गणेश की यह विशाल मूर्ति लगभग 20 फीट ऊंची होती है और इसकी मूर्ति निर्माण की प्रक्रिया भगवान के चरणों से शुरू की जाती है, जिसे बहुत शुभ और आध्यात्मिक माना जाता है।


लालबागचा राजा का इतिहास भी बेहद रोचक और श्रद्धा से भरा है। इस गणेश प्रतिमा की स्थापना की परंपरा 1934 से चली आ रही है और तब से अब तक यह मुंबई के गणेश उत्सव का सबसे बड़ा और श्रद्धा से भरपूर केंद्र बन चुका है। लाखों भक्त इस पंडाल में यह विश्वास लेकर पहुंचते हैं कि यहां की गई प्रार्थनाएं अवश्य पूरी होती हैं।


गणेश चतुर्थी इस बार 27 अगस्त 2025 (कल) से आरंभ होगी और यह उत्सव 6 सितंबर 2025 को अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ संपन्न होगा। दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व में पूरे मुंबई में उत्सव का माहौल रहता है। सड़कों पर झांकियां, ढोल-ताशों की गूंज और भक्तों की आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।


देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु 'लालबाग के राजा' के दर्शन के लिए मुंबई आते हैं। हर साल की तरह इस बार भी पंडाल की सजावट, सुरक्षा व्यवस्था और भक्तों की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। भक्तों की लंबी कतारों और श्रद्धा को देखते हुए यह स्पष्ट है कि 'लालबाग के राजा' न केवल आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि यह पर्व देश की सांस्कृतिक एकता और उत्सवधर्मिता का भी जीवंत उदाहरण है।