1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 14 Oct 2025 12:07:58 PM IST
आईपीएस अधिकारी ओपी सिंह - फ़ोटो GOOGLE
OP Singh Acting DGP: हरियाणा पुलिस में एक बड़े विवाद ने जन्म ले लिया है। आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन सिंह की कथित आत्महत्या के बाद राज्य के डीजीपी शत्रुजीत कपूर को रातोंरात छुट्टी पर भेज दिया गया है। उनकी जगह एडीजीपी रैंक के सीनियर आईपीएस अधिकारी ओपी सिंह को कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया गया है। ओपी सिंह पहले हरियाणा पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन और एफएसएल मधुबन के निदेशक के रूप में कार्यरत थे। ओपी सिंह दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के जीजा हैं। उन्हें अब अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
इस मामले में पुलिस ने डीजीपी समेत उन सभी वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है जिनके नाम वाई. पूरन सिंह के सुसाइड नोट में लिखे गए थे। वाई. पूरन सिंह 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी थे और रोहतक के पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में इंस्पेक्टर जनरल (IG) के पद पर तैनात थे। 7 अक्टूबर को उन्होंने कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। उनके आठ पन्नों के सुसाइड नोट में 13 वरिष्ठ अधिकारियों के नाम शामिल थे, जिन पर उन्होंने उत्पीड़न और करियर को नुकसान पहुंचाने के गंभीर आरोप लगाए थे। इन आरोपों में सबसे प्रमुख नाम डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक एसपी का था।
इस मामले में पूर्व रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया को शनिवार को पद से हटा दिया गया था। उनकी जगह सुरिंदर सिंह भोरिया को रोहतक का नया SP नियुक्त किया गया है। फिलहाल बिजारनिया को कोई नया पद नहीं दिया गया है। डीजीपी शत्रुजीत कपूर को जांच पूरी होने तक छुट्टी पर रखा गया है। साथ ही, चंडीगढ़ पुलिस ने वाई. पूरन कुमार की पत्नी से उनका लैपटॉप जांच के लिए मांग लिया है।
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए परिवार ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार किया है। वाई. पूरन कुमार का पोस्टमार्टम अब तक नहीं हो पाया है। उनका शव अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहा है। उनकी पत्नी आईएएस अमनीत पी कुमार का कहना है कि वाई. पूरन कुमार ने खुदकुशी नहीं की, बल्कि यह साजिशन की गई हत्या है। उनका कहना है कि जब तक डीजीपी शत्रुजीत सिंह और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती, वह पोस्टमार्टम के लिए तैयार नहीं हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला हरियाणा पुलिस में उच्चस्तरीय भ्रष्टाचार और उत्पीड़न के आरोप को उजागर करता है। इस घटना ने राज्य पुलिस में विश्वास और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है। वहीं राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर इस मामले की जांच को तुरंत निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने की मांग उठ रही है।
इसके अलावा, राज्य सरकार ने आईपीएस अधिकारियों के मानसिक स्वास्थ्य और कार्यस्थल सुरक्षा पर पुनर्विचार करने का संकेत दिया है। पुलिस विभाग ने भी कहा है कि जांच पूरी होने तक सभी संवेदनशील दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों की सुरक्षित जांच की जाएगी।