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IAS Divya mittal: DM और मां होने की दोहरी जिम्मेदारी...संघर्ष, समर्पण और सफलता की कहानी

IAS Divya mittal: अधिकारी दिव्या मित्तल ने अपने मातृत्व संघर्ष के बारे में खुलकर बात की, बताते हुए कि दो बेटियों की परवरिश करना उनके करियर की चुनौतियों से भी कठिन है

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 09 Mar 2025 01:51:21 PM IST

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Divya mittal file picture - फ़ोटो Google

IAS Divya mittal :अधिकारी दिव्या मित्तल ने हाल ही में अपने निजी जीवन के संघर्षों को लेकर भावनात्मक अनुभव साझा की हैं । उन्होंने बताया कि मां होने की जिम्मेदारियों को निर्बहन  करना उनके लिए अब तक का सबसे कठिन काम है, जो उनकी प्रतिष्ठित शैक्षणिक पृष्ठभूमि और प्रशासनिक परीक्षा पास करने से भी कठिन है।

अपनी भावनाओं को साझा करते हुए (IAS) मित्तल ने स्वीकार किया कि कई बार वे अपने काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच बेहद थकान और तनाव जैसा  महसूस करती हैं। उन्होंने लिखा,"कई रातें ऐसी होती हैं जब मैं रो पड़ती हूं — थकी हुई,निराश  हताश महसूस करती हूँ। लेकिन फिर मेरी बेटी मुझे गले लगाकर कहती है, ‘आप मेरी हीरो हो।’ बच्चे हमें देखते हैं, हमारी असफलताओं से सीखते हैं। उन्हें दिखाएं कि गिरकर उठना भी जीवन का एक अहम हिस्सा  है।"

IIT दिल्ली और IIM बैंगलोर से पढ़ाई करने वाली दिव्या मित्तल ने बताया कि अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष से उन्होंने IAS बनने का मुकाम हासिल  किया, लेकिन उनका मानना है कि इन सारी चुनौतियों की तुलना में अपने दो बच्चों की परवरिश करना कहीं अधिक कठिन और चुनौतीपूर्ण रहा है। उन्होंने साझा करते हुए कहा की एक IAS अधिकारी हूं। मैंने IIT और IIM में पढ़ाई की है। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए मैंने काफी मेहनत किया है, लेकिन अपने दो छोटी बेटियों की परवरिश करना इससे भी बड़ा कठिन और संघर्ष से भरा रहा है।"


उन्होंने बताया कि उनकी बड़ी बेटी आठ साल की है और इतनी छोटी उम्र में ही समाज उसके विचारों को दबाने की कोशिश करता है। मित्तल का कहना है कि एक मां के रूप में उनका कर्तव्य है कि वे अपनी बेटियों को यह सिखाएं कि उनकी आवाज मायने रखती है, भले ही लोग उनके विचारों का विरोध करें।मित्तल ने यह भी बताया कि एक अधिकारी के रूप में उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण बात  यही सीखा कि माता-पिता को अपने बच्चों को गलतियां करने से रोकना नही चाहिए ताकि वे उनसे कुछ सीख सकें। उन्होंने लिखा," बेटी के लिए सपोर्ट सिस्टम  बनिए, उनका  सहारा मत बनिए। उसे गिरने दीजिए और खुद उठने दीजिए। बस इतना भरोसा दिलाइए कि आप हमेशा उसके साथ और आसपास  खड़े रहेंगे।"


मां बनने के दौरान आने वाले अपराधबोध को स्वीकार करते हुए मित्तल ने माताओं को खुद को माफ करने की सलाह दी। उन्होंने कहा,अपने आप को माफ कर दीजिए। आप पर्याप्त हैं।मित्तल ने कहा कि जब माता-पिता के पास एक से अधिक बच्चे होते हैं, तो प्यार के साथ-साथ न्याय और निष्पक्षता का भी महत्व अधिक  बढ़ जाता है। उन्होंने सलाह दी कि माता-पिता को अपने फैसलों के पीछे के कारण बच्चों को समझाना चाहिए, ताकि इससे उनका दुनिया को देखने और समझने का नजरिया और   बेहतर बन सके।


बेटियों के पालन-पोषण पर विशेष जोर देते हुए मित्तल ने कहा कि उन्हें यह सिखाना चाहिए कि सफलता पाने के लिए उन्हें किसी पुरुष की तरह बनने की जरूरत नहीं है। उन्होंने लिखा,उसे सिखाएं कि महान बनने के लिए उसे पुरुष बनने की जरूरत नहीं है। उसे यह सिखाएं कि उसकी भावनाएं उसकी ताकत हैं। सहानुभूति, प्रेम और दया के जरिए वह दुनिया को और बेहतर बना सकती है।