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S-500: S-400 को झेल न सके पाकिस्तानी, अब S-500 पर भारत की नजर

S-500: भारत S-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के लिए रूस के साथ संयुक्त उत्पादन की ओर बढ़ रहा है। S-400 की सफलता के बाद आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उसका बड़ा भाई कैसी तबाही मचाएगा...

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 12 May 2025 03:13:32 PM IST

S-500

S-500 भारत-रूस - फ़ोटो Google

S-500: भारत अपनी हवाई रक्षा प्रणाली को और मजबूत करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। S-400 ट्रायम्फ, जिसे भारत में सुदर्शन चक्र के नाम से जाना जाता है, हाल ही में इसने पाकिस्तान और PoK से आए ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम कर अपनी ताकत अच्छे से साबित की। अब भारत की नजर S-500 प्रोमेथियस, रूस की अगली पीढ़ी की वायु रक्षा प्रणाली, पर है। जुलाई 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉस्को यात्रा के दौरान रूस ने S-500 के संयुक्त उत्पादन का प्रस्ताव दोबारा रखा था। अब वर्तमान स्थिति को देख ऐसा लगता है कि यह समझौता जल्द ही हो जाएगा।


S-400 

ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने 15 भारतीय शहरों पर ड्रोन और मिसाइल हमले की कोशिश की। लेकिन S-400 और एकीकृत काउंटर UAS सिस्टम ने सभी खतरों को निष्क्रिय कर दिया था।


S-400 की ताकत

400 किमी रेंज: विमान, ड्रोन, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक और नष्ट करने की क्षमता।

36 लक्ष्य एक साथ: 300 हवाई लक्ष्यों को ट्रैक कर 36 को एक साथ निशाना बना सकता है।

5 मिनट में तैनाती: तेजी से तैनात होने की सुविधा।

4 तरह की मिसाइलें: 40N6E (400 किमी), 48N6E3 (250 किमी), 9M96E2 (120 किमी), और 9M96E (40 किमी)।

भारत ने 2018 में 5.43 अरब डॉलर में पांच S-400 रेजिमेंट खरीदे थे। जिनमें से अब तक तीन रेजिमेंट मिल चुके हैं, और बाकी दो 2026 तक आने की उम्मीद है।


S-500

S-500 प्रोमेथियस, जिसे 55R6M ट्रायम्फेटर-M भी कहा जाता है, S-400 का उन्नत संस्करण है। यह हाइपरसोनिक मिसाइलों, लो-ऑर्बिट सैटेलाइट्स, और स्टेल्थ विमानों को निशाना बनाने में सक्षम है। 


S-500 की ताकत

600 किमी रेंज: बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए, और 400 किमी हवाई लक्ष्यों के लिए।

200 किमी ऊंचाई: निचली कक्षा के सैटेलाइट्स को भी नष्ट कर सकता है।

10 हाइपरसोनिक लक्ष्य: एक साथ ट्रैक और नष्ट करने की क्षमता।

3-4 सेकंड रिस्पॉन्स टाइम: S-400 के 9-10 सेकंड से कहीं तेज।

77N6-N/N1 मिसाइलें: हाइपरसोनिक और बैलिस्टिक लक्ष्यों के लिए काइनैटिकली इंटरसेप्ट।

रूस ने मई 2021 में S-500 को अपनी सेना में शामिल किया और 2024 में बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया था। 2025 तक इसे क्राइमियन ब्रिज की सुरक्षा के लिए तैनात करने की योजना है।


ब्रह्मोस की तरह S-500?

रूस का S-500 संयुक्त उत्पादन प्रस्ताव ब्रह्मोस मिसाइल परियोजना की सफलता से प्रेरित है। ब्रह्मोस, DRDO और रूस की NPO Mashinostroyeniya का संयुक्त उद्यम, आज 450-800 किमी रेंज के साथ दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। फिलीपींस सहित 17 देश इसे खरीदने में रुचि तक दिखा चुके हैं।


राह का रोड़ा

आपको याद होगा कि अमेरिका ने भारत के S-400 सौदे पर प्रतिबंधों की चेतावनी दी थी। S-500 सौदा भी ऐसी ही जांच के दायरे में आ सकता है। इस बात में कोई शक नहीं कि S-500 का संयुक्त उत्पादन भारत को हाइपरसोनिक युग में हवाई रक्षा का नेतृत्व प्रदान कर सकता है। S-400 की तरह, जो पाकिस्तान के हमलों को नाकाम करने में अजेय रहा, S-500 भारत को चीन और अन्य उभरते खतरों के खिलाफ भी अभेद्य बना सकता है। यह सौदा भारत-रूस रक्षा साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और मेक इन इंडिया को वैश्विक मंच पर स्थापित करेगा। हालांकि, पश्चिमी प्रतिबंध और तकनीकी चुनौतियां इसकी राह में रोड़े हैं। मोदी जी इससे कैसे पार पाते हैं यह देखना दिलचस्प होगा।