1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 17 Apr 2025 05:48:16 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर - फ़ोटो Google
Internet Misuse: बिहार की मिट्टी जिसने देश को राजनीति, साहित्य और शिक्षा में अनगिनत आइकॉन दिए हैं, आज सोशल मीडिया के बढ़ते दुष्प्रभाव से अछूती नहीं रही। एक नेगेटिव ट्रेंड सामने आ रहा है, जहां राज्य के छोटे शहरों और कस्बों तक के युवा और किशोर अश्लील डांस रील्स और भड़काऊ कंटेंट के ज़रिए सोशल मीडिया पर वायरल होने की होड़ में मर्यादा की सभी सीमाएं लांघ रहे है| ईएमएस e ऐसा
वायरल होने की चाह, व्यूज़, फॉलोअर्स और पैसे कमाने का लालच, यह वो ज़हरीला कॉम्बिनेशन बन चुका है, जिसने बिहार के युवाओं को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया है। इंस्टाग्राम, यूट्यूब और स्नैपचैट जैसे प्लेटफॉर्म्स पर हजारों ऐसे अकाउंट्स एक्टिव हैं, जहां महज कुछ लाइक्स और फॉलोअर्स के लिए युवा अश्लील गानों पर डांस करते नजर आते हैं।
खास बात ये है कि इस ट्रेंड की चपेट में अब नाबालिग लड़कियां भी आ रही हैं। कई मामलों में 12-15 साल की किशोरियां भी सोशल मीडिया पर वल्गर स्टेप्स करती दिखाई दे रही हैं, जिन्हें देखकर समझा जा सकता है कि ये केवल ‘ट्रेंड फॉलो’ नहीं, बल्कि एक गहरी सामाजिक गिरावट का संकेत है।
बिहार के गया, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय और आरा जैसे शहरों में कुछ महीनों में ऐसे कंटेंट वाले हजारों वीडियो अपलोड किए गए हैं। स्थानीय सोशल मीडिया एनालिस्ट्स का कहना है कि "सोशल मीडिया पर फेम और कमाई का सपना दिखाकर बच्चों को डिजिटल अंधेरे में धकेला जा रहा है।"
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
मनोवैज्ञानिक और समाजशास्त्रियों का मानना है कि यह ट्रेंड न केवल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, बल्कि बच्चों और किशोरों के मूल्यों और सोच पर भी नकारात्मक असर डाल रहा है। युवाओं में शॉर्टकट से सक्सेस पाने की लालसा इतनी बढ़ गई है कि मेहनत, शिक्षा और वास्तविक प्रतिभा को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
समाधान क्या है?
पेरेंट्स को चाहिए कि बच्चों की सोशल मीडिया गतिविधियों पर सतर्क नज़र रखें। शिक्षकों को स्कूलों में डिजिटल नैतिकता (Digital Ethics) पर चर्चा करनी चाहिए। सरकार को स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने होंगे, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों ये जरुरी है |
बिहार की युवा शक्ति अगर सही दिशा में जाए, तो वो सोशल मीडिया का इस्तेमाल भी सकारात्मक बदलाव के लिए कर सकती है। लेकिन अगर यह ट्रेंड यूं ही बढ़ता रहा, तो आने वाली पीढ़ी को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। अब समय आ गया है कि वायरल वीडियो की चमक के पीछे छिपे अंधेरे को पहचाना जाए और युवाओं को बताया जाए ,असली सफलता रील्स से नहीं, रियल मेहनत से मिलती है।