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Iran-Israel: ईरान-इजराइल टकराव के बीच एक्शन में पुतिन, 15 से ज्यादा देशों को दी अहम सलाह

Iran-Israel: ईरान-इजराइल युद्ध के बीच पुतिन ने ओपेक+ के देशों को तेल बाजार में हस्तक्षेप न करने की सलाह दे दी है। कीमतें 75 डॉलर/बैरल, बाजार फ़िलहाल संतुलित।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 21 Jun 2025 04:17:31 PM IST

Iran-Israel

प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Iran-Israel: ईरान और इजराइल के बीच चल रहे तनावपूर्ण युद्ध के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने शुक्रवार को सेंट पीटर्सबर्ग इकोनॉमिक फोरम में ओपेक+ के देशों को अहम सलाह दे दी है। उन्होंने कहा कि ईरान-इजराइल संघर्ष के कारण तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी अभी सहनशील है और तेल बाजार में तत्काल किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। पुतिन ने जोर देकर कहा कि बाजार अभी संतुलित है, और जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहिए।


पुतिन ने बताया कि तेल की कीमतें पहले 65 डॉलर प्रति बैरल थीं, जो अब 75 डॉलर तक पहुंच गई हैं। उनके मुताबिक, यह वृद्धि सामान्य है और ओपेक+ देशों को स्थिति का आकलन करने के लिए धैर्य रखना चाहिए। ओपेक+ समूह में अल्जीरिया, कांगो, इराक, कुवैत, नाइजीरिया, सऊदी अरब, यूएई, वेनेजुएला, मैक्सिको, ओमान, मलेशिया, ब्रुनेई, बहरीन, अजरबैजान, कजाखस्तान, दक्षिण सूडान, सूडान, गैबॉन, लीबिया और इक्वेटोरियल गिनी जैसे देश शामिल हैं, यह समूह वैश्विक तेल उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा नियंत्रित करता है। पुतिन ने कहा, “हम सब मिलकर देखेंगे कि हालात कैसे आगे बढ़ते हैं। अभी कोई तात्कालिक प्रतिक्रिया की जरूरत नहीं है।”


ईरान ओपेक का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है, फिलहाल वह इस युद्ध के कारण खतरे में है। इजराइल की ओर से ईरानी सैन्य और परमाणु ठिकानों पर लगातार हमले हो रहे हैं, जिससे तेल आपूर्ति बाधित होने का जोखिम बढ़ गया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि संघर्ष और बढ़ा, तो तेल की कीमतें 200-300 डॉलर प्रति बैरल तक भी पहुंच सकती हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर महंगाई की सुनामी आ सकती है। पुतिन ने ओपेक+ देशों से संयम बरतने और धीरे-धीरे उत्पादन बढ़ाकर बाजार को स्थिर करने की अपील की है।


एक ओर रूस ईरान का रणनीतिक साझेदार है और उसने इजराइल के हमलों की निंदा की है, वहीं वह इजराइल के साथ भी संबंध बनाए रखना चाहता है। पुतिन ने ईरान-इजराइल के बीच मध्यस्थता की पेशकश भी की है, लेकिन यूक्रेन युद्ध में उलझे होने के कारण रूस सैन्य हस्तक्षेप से बच रहा है। उनका यह बयान तेल बाजार को स्थिर रखने की कोशिश के साथ-साथ वैश्विक कूटनीति में रूस की भूमिका को रेखांकित करता है। क्या पुतिन की यह सलाह तेल की कीमतों को नियंत्रित रख पाएगी, या मध्य पूर्व का युद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर देगा? यह आने वाला समय ही बताएगा।