1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 12 Sep 2025 08:52:51 AM IST
नेपाल राजनीतिक संकट और गहरा - फ़ोटो GOOGLE
Nepal Political Crisis: नेपाल में चल रहा राजनीतिक संकट और गहरा हो गया है। Gen-Z युवाओं के व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद केपी शर्मा ओली की सरकार गिर चुकी है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि देश की कमान किसके हाथ में जाएगी। प्रधानमंत्री पद के लिए संभावित चेहरों में कई बदलावों के बाद अब नेपाल की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की एक बार फिर अंतरिम प्रधानमंत्री पद की रेस में सबसे आगे बताई जा रही हैं।
नेपाल की अंतरिम सरकार के गठन को लेकर बीती रात एक गोपनीय बैठक हुई, जिसने सियासी समीकरणों को पूरी तरह से बदल दिया। यह बैठक राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में हुई, जिसमें नेपाल के आर्मी चीफ अशोक राज सिग्देल, पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की, स्पीकर, राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष नारायण दहल और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रकाश सिंह राउत भी शामिल थे। बैठक में संवैधानिक विशेषज्ञों से भी विचार-विमर्श किया गया और अंततः सहमति बनी कि सुशीला कार्की को ही अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया जाए।
नेपाल के 2015 के संविधान में राजनीतिक अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए स्पष्ट प्रावधान नहीं है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल एक अध्यादेश जारी कर सकते हैं, जिससे संवैधानिक बाधा को पार किया जा सके। इस योजना के तहत पहले कार्की को संसद के उच्च सदन में नामित किया जाएगा, और फिर उन्हें अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि यह आधिकारिक घोषणा आज कभी भी की जा सकती है।
गुरुवार को दिन में ऐसी खबरें आई थीं कि सुशीला कार्की ने प्रधानमंत्री की दौड़ से खुद को अलग कर लिया है। इसके बाद Gen-Z आंदोलन की ओर से कुलमन घिसिंग का नाम सामने लाया गया, लेकिन उनके नाम पर आम सहमति नहीं बन सकी। सूत्रों के मुताबिक, आर्मी चीफ ने सुशीला कार्की को करीब 15 घंटे तक मनाया, जिसके बाद उन्होंने फिर से प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
राष्ट्रपति पौडेल ने देश से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा है कि उनका उद्देश्य संविधान के दायरे में रहते हुए संकट का समाधान करना है। अगर सुशीला कार्की अंतरिम प्रधानमंत्री बनती हैं, तो उनकी सबसे अहम जिम्मेदारी अगले छह महीनों में नेपाल में आम चुनाव कराना होगा। यह कार्य एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया होगी, खासकर उस समय में जब देश में राजनीतिक अस्थिरता और जन आंदोलन चरम पर हैं।
Gen-Z द्वारा शुरू किए गए आंदोलन ने नेपाल की राजनीति में नई ऊर्जा और दबाव पैदा किया है। इस आंदोलन ने परंपरागत राजनीतिक नेतृत्व को चुनौती दी है और पारदर्शिता, जवाबदेही और युवाओं की भागीदारी की माँग को प्रमुखता से उठाया है। ओली सरकार का पतन और अब नई नेतृत्व की तलाश इसी जन दबाव का परिणाम मानी जा रही है।
नेपाल की राजनीति में यह समय बेहद संवेदनशील और निर्णायक है। सुशीला कार्की का अंतरिम प्रधानमंत्री बनना न केवल एक संवैधानिक प्रयोग होगा, बल्कि नेपाल के लोकतांत्रिक भविष्य को दिशा देने वाला भी साबित हो सकता है। आज की संभावित घोषणा पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं।