Sanskrit Course: भारत के दुश्मन देश में शुरू हुआ संस्कृत का कोर्स, पढाई जाएगी गीता और महाभारत

पाकिस्तान के लाहौर विश्वविद्यालय में पहली बार संस्कृत का कोर्स शुरू किया गया। आने वाले समय में महाभारत और भगवद्गीता के कोर्स भी शुरू करने की योजना है। यह पहल क्षेत्रीय संस्कृति और भाषा सेतु बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sat, 13 Dec 2025 03:55:54 PM IST

Sanskrit Course

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Sanskrit Course: भारत और पाकिस्तान भले ही कभी एक ही थे, लेकिन आज दोनों देशों के बीच राजनीतिक दूरियां इतनी बढ़ गई हैं कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर वे एक-दूसरे के विरोधी माने जाते हैं। फिर भी, संस्कृति और भाषा के क्षेत्र में दोनों देशों में गहरा संबंध है, जिसे बंटवारे के बाद भी मिटाया नहीं जा सकता।


पाकिस्तान के विश्वविद्यालयों में पहली बार संस्कृति का कोर्स शुरू किया गया है। लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज ने पारंपरिक भाषाओं के चार क्रेडिट कोर्स शुरू किए हैं, जिनमें संस्कृत भी शामिल है। इस पहल के पीछे फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज के समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शाहिद रशीद का योगदान है। डॉ. रशीद स्वयं संस्कृत के विद्वान हैं।


द ट्रिब्यून से बातचीत में डॉ. रशीद ने बताया कि पारंपरिक भाषाओं में असीम ज्ञान का भंडार है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अरबी और फारसी पढ़ने के बाद संस्कृत में दाखिला लिया। संस्कृत का व्याकरण समझने में उन्हें एक साल लगा, और अब भी वे इसे सीखने और समझने में लगे हुए हैं।


तीन महीने की वीकेंड वर्कशॉप के बाद छात्रों में संस्कृत और संस्कृति के प्रति रुचि बढ़ी। LUMS में गुरमानी सेंटर के डायरेक्टर डॉ. अली उस्मान कासिम ने बताया कि पाकिस्तान में संस्कृत पर पहले भी काम हुआ है। पंजाब यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में संस्कृत की दुर्लभ पुस्तकें, ग्रंथ और पत्र मौजूद हैं, जिनका अध्ययन मुख्यतः विदेशी शोधकर्ता करते हैं।


डॉ. रशीद ने कहा कि बहुत से लोग सोचते हैं कि संस्कृत केवल हिंदू धर्मग्रंथों के लिए है, लेकिन यह पूरे क्षेत्र की भाषा है। संस्कृत के व्याकरणकार पाणिनि का गांव भी यहीं हुआ करता था और सिंधु सभ्यता के दौरान यहां बहुत लेखन हुआ। उन्होंने कहा कि संस्कृत में एक विशाल ज्ञान का खजाना छिपा है, जो किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है।


डॉ. रशीद ने यह भी कहा कि अगर सीमा के दोनों ओर संस्कृत पर काम होगा, तो भारत के हिंदू और सिख अरबी और फारसी सीखेंगे, और पाकिस्तान के मुसलमान संस्कृत सीखेंगे। इससे दक्षिण एशिया में भाषा सेतु का निर्माण होगा। डॉ. कासिम ने बताया कि विश्वविद्यालय का लक्ष्य महाभारत और भगवद्गीता के कोर्स भी शुरू करना है। उनका मानना है कि आने वाले 10-15 सालों में पाकिस्तान से भी गीता और महाभारत के विद्वान उभर सकते हैं।