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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 04 Aug 2025 11:53:42 AM IST
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DELHI: सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा भारतीय सेना और 2020 में चीन के साथ हुए गलवान घाटी संघर्ष को लेकर दिए गए बयानों पर कड़ी नाराज़गी जताई है। कोर्ट ने राहुल गांधी की टिप्पणियों को अनुचित ठहराते हुए तीखे सवाल पूछे. राहुल गांधी ने कहा था कि चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर लिया है. कोर्ट ने इस पर गहरी नाराजगी जताई.
सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी के बयान को लेकर दर्ज मुकदमे पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपांकर दत्ता ने राहुल गांधी के वकील से पूछा, "आपको यह कैसे पता चला कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है? क्या आप वहां मौजूद थे? आपके पास कोई विश्वसनीय सबूत है? आप इस तरह के बयान बिना किसी ठोस आधार के क्यों देते हैं? अगर आप सच्चे भारतीय होते, तो इस तरह की बातें नहीं कहते। जब सीमा पर संघर्ष होता है, तो दोनों पक्षों को नुकसान होना असामान्य नहीं है।"
सैनिकों के बलिदान का अपमान
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी राहुल गांधी के उस बयान को लेकर आई जिसमें उन्होंने कहा था कि चीन ने गलवान घाटी में 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के बयानों को गैर-जिम्मेदाराना करार दिया है और पूछा कि क्या इस तरह की टिप्पणी करना देश के सैनिकों के बलिदान का अपमान नहीं है?
फिलहाल दी राहत
हालांकि, कोर्ट ने इन टिप्पणियों को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि मामले की कार्यवाही पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी है। यानी फिलहाल राहुल गांधी को इस मामले में राहत मिल गई है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी उनके लिए एक स्पष्ट चेतावनी मानी जा रही है।
क्या है मामला?
2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुए संघर्ष में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद राहुल गांधी ने सरकार और सेना पर सवाल उठाते हुए कहा था कि चीन ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की है और काफी बड़े क्षेत्र पर कब्जा जमा लिया है। इसी बयान को लेकर उन पर आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के मायने
सुप्रीम कोर्ट की मौखिक टिप्पणी यह दर्शाती है कि नेताओं को सार्वजनिक मंचों पर बयान देते समय जिम्मेदारी का परिचय देना चाहिए, विशेषकर जब बात देश की सुरक्षा और सेना की हो। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि देशहित से जुड़े मुद्दों पर गलत या बिना प्रमाण के बयान देना राष्ट्रविरोधी भावना को बढ़ावा दे सकता है।