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Rajya Sabha nominations: आतंकी कसाब को फांसी दिलाने वाले वकील उज्ज्वल निकम को राज्यसभा में मिला स्थान, हर्ष श्रृंगला समेत 3 हस्तियां मनोनीत

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रविवार (13 जुलाई, 2025) को चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है. इनमें पूर्व राजनयिक हर्ष श्रृंगला, वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम, इतिहासकार मीनाक्षी जैन और सदानंदन मास्टर के नाम शामिल हैं.

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 13 Jul 2025 12:11:00 PM IST

Rajya Sabha nominations

राज्यसभा - फ़ोटो GOOGLE

Rajya Sabha nominations: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने रविवार, 13 जुलाई 2025 को चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। इनमें पूर्व विदेश सचिव और अनुभवी राजनयिक हर्ष श्रृंगला, वरिष्ठ आपराधिक वकील उज्ज्वल निकम, प्रख्यात इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन और समाजसेवी सदानंदन मास्टर शामिल हैं। संविधान के अनुच्छेद 80 के अंतर्गत राष्ट्रपति को राज्यसभा के लिए विशेष क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को मनोनीत करने का अधिकार है, और इन चारों का चयन इसी श्रेणी में किया गया है।


हर्ष श्रृंगला का नाम भारत की कूटनीतिक सेवाओं में एक प्रमुख स्थान रखता है। वे भारत के पूर्व विदेश सचिव रह चुके हैं और अमेरिका तथा बांग्लादेश जैसे महत्वपूर्ण देशों में भारत के राजदूत के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उनके कार्यकाल के दौरान भारत की विदेश नीति को वैश्विक मंचों पर नई दिशा मिली। अंतरराष्ट्रीय संबंधों, रणनीतिक मामलों और वैश्विक कूटनीति में उनका गहन अनुभव उन्हें इस भूमिका के लिए उपयुक्त बनाता है।


उज्ज्वल निकम देश के उन गिने-चुने वकीलों में हैं, जिन्होंने आतंकवाद, संगठित अपराध और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से जुड़े दर्जनों हाई-प्रोफाइल मामलों में प्रभावशाली भूमिका निभाई है। 1993 मुंबई बम धमाके, 26/11 मुंबई आतंकी हमला, और मकोका व टाडा जैसे विशेष अधिनियमों के तहत मामलों में उन्होंने अभियोजन पक्ष की मजबूत पैरवी की है। अजमल कसाब केस में उनकी भूमिका को देशभर में सराहा गया। उन्होंने अपने पेशेवर कौशल और सार्वजनिक संवाद के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया में जनता का विश्वास बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य किया।


डॉ. मीनाक्षी जैन एक जानी-मानी इतिहासकार हैं, जिनकी विशेषज्ञता मध्यकालीन और औपनिवेशिक भारत के सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विकास में है। उन्होंने कई ऐसी पुस्तकें लिखी हैं जो ऐतिहासिक दृष्टिकोण से राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बनीं। "राम और अयोध्या", "राम के लिए युद्ध", और "सती: इंजीलवादी विमर्श" जैसी पुस्तकों ने इतिहास को जन-आधारित दृष्टिकोण से देखने का नया नजरिया दिया। साल 2020 में उन्हें उनके ऐतिहासिक शोध और लेखन के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था।


सदानंदन मास्टर एक समर्पित समाजसेवी हैं जिन्होंने दशकों से शिक्षा और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में काम किया है। विशेष रूप से अनुसूचित जाति, जनजाति और वंचित वर्गों के बीच उन्होंने शिक्षा को एक आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाया। उनका फोकस जमीनी स्तर पर काम कर सामाजिक जागरूकता और समावेशी विकास को बढ़ावा देने पर रहा है।


चारों नामों की यह सूची न केवल विविध क्षेत्रों में भारत की प्रगति को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि कैसे विशेषज्ञता, अनुभव और सामाजिक प्रतिबद्धता को लोकतांत्रिक संस्थाओं में प्रतिनिधित्व के रूप में मान्यता दी जा रही है। यह मनोनयन भारतीय संसद में विशेषज्ञ विचारों और नीतिगत विमर्श को और अधिक समृद्ध करेगा।