ब्रेकिंग न्यूज़

Mokama Murder Case : 'हथियार जमा कराए...', मोकामा हत्याकांड के बाद एक्शन में चुनाव आयोग, कहा - लॉ एंड ऑडर पर सख्ती बरतें Bihar election update : दुलारचंद यादव हत्याकांड का बाढ़ और मोकामा चुनाव पर असर, अनंत सिंह पर एफआईआर; RO ने जारी किया नया फरमान Justice Suryakant: जस्टिस सूर्यकांत बने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश, इस दिन लेंगे शपथ Bihar News: अब बिहार से भी निकलेंगे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जलवा दिखाने वाले धावक, इस शहर में तैयार हुआ विशेष ट्रैक Dularchand Yadav case : मोकामा में दुलारचंद यादव हत्याकांड में चौथा FIR दर्ज ! अनंत सिंह और जन सुराज के पीयूष नामजद; पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद अब बदलेगा माहौल Bihar Election 2025: "NDA ही कर सकता है बिहार का विकास...", चुनाव से पहले CM नीतीश का दिखा नया अंदाज, सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर किया वोट अपील Bihar Election 2025: NDA ने तय किया विकसित बिहार का विजन, घोषणा पत्र पर पीएम मोदी ने की बड़ी बात Bihar News: बिहार के इस जिले में 213 अपराधी गिरफ्तार, भारी मात्रा में हथियार व नकदी जब्त Bihar News: बिहार से परदेश जा रहे लोगों की ट्रेनों में भारी भीड़, वोट के लिए नहीं रुकना चाहते मजदूर; क्या है वजह? Bihar News: भीषण सड़क हादसे में शिक्षिका की मौत, फरार चालक की तलाश में जुटी पुलिस

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: पति-पत्नी की गुप्त बातचीत कोर्ट में सबूत के रूप में मान्य

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि पति-पत्नी एक-दूसरे पर नजर रख रहे हैं, तो यह वैवाहिक संबंधों में दरार का संकेत है। ऐसे में रिकॉर्ड की गई बातचीत को कोर्ट में सबूत के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 14 Jul 2025 03:48:24 PM IST

DELHI

SC का अहम फैसला - फ़ोटो GOOGLE

DELHI:भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए निचली अदालत के आदेश को बहाल रखा और यह कहा कि वैवाहिक विवादों की कार्यवाही के दौरान रिकॉर्ड की गई बातचीत को संज्ञान में लिया जा सकता है। पीठ ने फैमिली कोर्ट से कहा कि वह रिकॉर्ड की गई बातचीत का न्यायिक संज्ञान लेने के बाद मामले को आगे बढ़ाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी द्वारा एक-दूसरे की बातचीत रिकॉर्ड करना अपने आप में इस बात का सबूत है कि उनकी शादी मजबूती से नहीं चल रही है और इसलिए इसका इस्तेमाल न्यायिक कार्यवाही में किया जा सकता है।


वैवाहिक विवादों में सबूतों की स्वीकार्यता को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है,जो भविष्य में पारिवारिक मुकदमों पर व्यापक असर डाल सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पति-पत्नी के बीच आपसी बातचीत की गुप्त रूप से की गई रिकॉर्डिंग को विशेष परिस्थिति में सबूत के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। यह फैसला न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सुनाया।जिसने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें कहा गया था कि वैवाहिक जीवन में की गई बातचीत गोपनीय मानी जाएगी और इसे साक्ष्य के तौर पर न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।


क्या था मामला?

यह मामला बठिंडा की एक फैमिली कोर्ट से जुड़ा था,जहां एक पति ने अपनी पत्नी के साथ हुई फोन कॉल की बातचीत की रिकॉर्डिंग (एक सीडी में ) कोर्ट में प्रस्तुत की थी। पति ने यह रिकॉर्डिंग क्रूरता के आरोपों को प्रमाणित करने के लिए सबूत के रूप में दी थी। पत्नी ने इस पर आपत्ति जताई और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि यह रिकॉर्डिंग उसकी जानकारी और सहमति के बिना की गई है,जो उसके गोपनीयता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। हाईकोर्ट ने पत्नी की दलील को मानते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया और कहा कि यह साक्ष्य भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 122 का उल्लंघन है, जो पति-पत्नी के बीच संवाद को गोपनीय मानती है।


सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस निर्णय को पलटते हुए कहा कि यदि पति और पत्नी एक-दूसरे की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं और बातचीत रिकॉर्ड कर रहे हैं,तो यह इस बात का संकेत है कि उनकी शादी सामान्य नहीं चल रही है। ऐसे मामलों में गुप्त रिकॉर्डिंग अपने आप में यह दिखाती है कि रिश्ते में विश्वास की कमी है और वैवाहिक जीवन टूटने की कगार पर है। जब मामला न्यायालय में है और दोनों पक्ष एक-दूसरे के विरुद्ध आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं, तब उस बातचीत की रिकॉर्डिंग का उपयोग न्यायिक प्रक्रिया में सच्चाई उजागर करने के लिए किया जा सकता है।


 सुप्रीम कोर्ट ने यह दलील कि ऐसी रिकॉर्डिंग से घरेलू सौहार्द बिगड़ता है। न्यायिक रूप से मान्य नहीं है क्योंकि यदि सौहार्द पहले ही समाप्त हो चुका है,तो न्याय की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। धारा 122 कहती है कि वैवाहिक जीवन के दौरान पति-पत्नी के बीच हुए संवाद को किसी भी न्यायिक प्रक्रिया में बिना उनकी सहमति के उजागर नहीं किया जा सकता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जब मामला कोर्ट में पहले से चल रहा हो और रिश्ते में दरार पहले ही आ चुकी हो,तो ऐसे साक्ष्य को नकारना न्याय को बाधित कर सकता है। यह फैसला उन मामलों के लिए एक नज़ीर बन सकता है, जिनमें पति-पत्नी के बीच गंभीर मतभेद हैं और एक पक्ष के पास ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग में ऐसा कोई साक्ष्य है जो कोर्ट में सच्चाई सामने लाने में सहायक हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब निचली अदालतें ऐसे मामलों में बातचीत की रिकॉर्डिंग को नजरअंदाज नहीं कर सकेंगी,बशर्ते मामला वैवाहिक विवाद और न्यायिक प्रक्रिया में हो।