1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 12 Oct 2025 08:41:34 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Taliban Counterattack: अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच ड्यूरंड लाइन पर तनाव चरम पर पहुंच गया है। तालिबान सेना ने शनिवार रात पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर हमला बोल दिया, जिसमें कम से कम 5 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और 2 घायल हो गए हैं। अफगान रक्षा मंत्रालय के अनुसार कुनार और हेलमंद प्रांतों में एक-एक चौकी नष्ट कर दी गई और कई अन्य पर कब्जा कर लिया गया है।
ये हमला 9 अक्टूबर को पाकिस्तान द्वारा काबुल, खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका में किए गए एयरस्ट्राइक्स का जवाब माना जा रहा है, जिसमें तालिबान ने पाकिस्तान पर संप्रभुता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। संघर्ष नांगरहार, कुनार, पक्तिया, हेलमंद और खोस्त प्रांतों तक फैल गया है, जहां स्पिना शागा, गीवी, मणि जाभा जैसे इलाकों में भारी हथियारों का इस्तेमाल हो रहा है।
तालिबान सरकार ने पाकिस्तान को साफ चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी के खिलाफ नहीं होगा और पाक की हरकतें शांति को बर्बाद कर रही हैं। विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने भारत दौरे के दौरान कहा, "अफगानों के साहस की परीक्षा न लो। अगर कोई ऐसा करना चाहता है तो ब्रिटिश, सोवियत, अमेरिका या नाटो से पूछ लो।" ये बयान काबुल के अब्दुल हक स्क्वायर में गुरुवार रात हुए विस्फोटों के बाद आया, जिन्हें तालिबान ने पाकिस्तानी हवाई हमला बताया है।
हालांकि, तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने इसे दुर्घटना कहा था, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने पाक को जिम्मेदार ठहराया। पाकिस्तान ने हमलों की पुष्टि या खंडन नहीं किया, लेकिन सुरक्षा अधिकारियों ने सीमा पर 5 से ज्यादा जगहों पर झड़पों की पुष्टि की और जवाबी कार्रवाई का दावा किया।
ये तनाव पाकिस्तान के टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के खिलाफ एयरस्ट्राइक्स से भड़का है। पाकिस्तान का कहना है कि अफगान मिट्टी से टीटीपी हमले कर रहा, जबकि तालिबान इसे पाक का बहाना बताता है। रॉयटर्स के अनुसार, पाकिस्तान ने काबुल में टीटीपी चीफ नूर वाली मेहसूद को निशाना बनाया था। अफगानिस्तान ने इसे "अभूतपूर्व और जघन्य" करार दिया। ड्यूरंड लाइन 1893 में ब्रिटिश काल में खींची गई थी, अब दोनों देशों के बीच विवाद का केंद्र बन गई है, अफगानिस्तान इसे मान्यता नहीं देता। इस सीमा पर पहले भी झड़पें हुई हैं, लेकिन अब 2025 में ये सबसे गंभीर हो चुकी है।
मुत्तकी की भारत यात्रा इस बीच और महत्वपूर्ण हो गई है। नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के बाद मुत्तकी ने कहा कि काबुल जल्द राजनयिक भेजेगा और चाबहार पोर्ट पर सहयोग बढ़ेगा। भारत ने काबुल में अपने तकनीकी मिशन को पूर्ण दूतावास का दर्जा दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ये संघर्ष दक्षिण एशिया में अस्थिरता बढ़ा सकता है। उम्मीद है कि कूटनीति से आने वाले समय में तनाव कम होगा वरना सीमा पर हिंसा और भी भड़क सकती है।