1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Mon, 01 Dec 2025 06:39:02 PM IST
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Parliament winter session: भारत के राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर संसद के शीतकालीन सत्र में विशेष चर्चा आयोजित की जाएगी। लोकसभा में यह चर्चा इसी सप्ताह गुरुवार या शुक्रवार को प्रस्तावित है, जिसके लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस विशेष बहस में हिस्सा लेंगे। चर्चा का उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरक गीत ‘वंदे मातरम’ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करना है।
इस प्रस्ताव पर सहमति 30 नवंबर को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा बुलाई गई ऑल-पार्टी मीटिंग और लोकसभा व राज्यसभा की बिज़नेस एडवाइजरी कमेटी की बैठकों में बनी। राज्यसभा में भी सत्ताधारी दलों के सदस्यों ने इस चर्चा की पुरज़ोर वकालत की। सरकार ने इसे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बताते हुए सभी दलों से इसमें भाग लेने की अपील की है। एनडीए के सदस्यों ने भी राज्यसभा में ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा की मांग को जोरदार समर्थन दिया।
‘वंदे मातरम’ को 1950 में भारत गणराज्य के राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया था। इसे 1870 के दशक में बंकिम चंद्र चटर्जी ने संस्कृतनिष्ठ बंगाली भाषा में रचा था। यह गीत उनके प्रसिद्ध उपन्यास आनंदमठ का हिस्सा है, जो पहली बार 1882 में प्रकाशित हुआ। यह गीत भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक प्रमुख प्रेरणा स्रोत रहा। गीत की 150वीं वर्षगांठ पर केंद्र सरकार ने विशेष स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किए थे। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘वंदे मातरम’ को स्वतंत्रता संग्राम की अमर धरोहर बताते हुए युवाओं से इसका गान करने की अपील की थी।
लोकसभा BAC की बैठक में कांग्रेस ने विशेष गहन संशोधन (SIR) और चुनावी सुधारों पर बहस की मांग की, लेकिन सरकार ने ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा को प्राथमिकता देने का फैसला किया। तृणमूल कांग्रेस ने भी लोकसभा में इस विशेष चर्चा का समर्थन किया। दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक सोमवार सुबह मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में इस मुद्दे पर अपनी रणनीति तय करेगा।
बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें कुल 15 बैठकें प्रस्तावित हैं। इस दौरान 10 नए विधेयक पेश किए जाएंगे, जिनमें परमाणु ऊर्जा, उच्च शिक्षा, राष्ट्रीय राजमार्ग और बीमा क्षेत्र से जुड़े सुधार शामिल हैं। इसके अलावा, वर्ष 2025-26 के लिए प्रथम अनुपूरक अनुदान मांगों पर भी चर्चा की जाएगी।