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Post-Partition Cinema: जब देश आजाद हुआ, तब सिनेमाघरों में गूंजी 'शहनाई'; जानें... पूरी कहानी

Post-Partition Cinema: भारत को आज़ाद हुए आज 78 साल पूरे हो गए हैं। 15 अगस्त 1947 का दिन जहां एक ओर राजनीतिक और सामाजिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण था, वहीं इस दिन हिंदी सिनेमा ने भी एक ऐतिहासिक कदम उठाया।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 15 Aug 2025 03:26:45 PM IST

Post-Partition Cinema

- फ़ोटो GOOGLE

Post-Partition Cinema: भारत को आज़ाद हुए आज 78 साल पूरे हो गए हैं। 15 अगस्त 1947 का दिन जहां एक ओर राजनीतिक और सामाजिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण था, वहीं इस दिन हिंदी सिनेमा ने भी एक ऐतिहासिक क़दम उठाया। इसी दिन रिलीज़ हुई फिल्म 'शहनाई' आज़ाद भारत की पहली सुपरहिट फिल्म बनी, जिसने बंटवारे की त्रासदी और उस दौर की उथल-पुथल के बीच भी सिनेमाघरों में लोगों की भीड़ खींच ली।


‘शहनाई’ एक मुस्लिम पारिवारिक ड्रामा थी, जिसे जाने-माने निर्देशक पी. एल. संतोषी ने निर्देशित किया था। फिल्म की कहानी एक संघर्षरत कलाकार की है जो मनोरंजन की दुनिया से जुड़ा है। उसकी पत्नी को यह डर सताता है कि उनके पेशे के कारण समाज में उन्हें बदनामी का सामना करना पड़ेगा। इस कहानी में एक सामाजिक संदेश भी छुपा था कलाकारों और उनके पेशे को लेकर समाज की सोच पर एक संवेदनशील दृष्टिकोण।


फिल्म के मुख्य कलाकार नासिर खान (दिलीप कुमार के छोटे भाई), रेहाना (जिन्हें सिर्फ उनके पहले नाम से जाना जाता है) इंदुमती, और अन्य सहायक कलाकार सिनेमाघरों में भीड़, दंगों के बावजूद बनी ब्लॉकबस्टर थे। 


जब ‘शहनाई’ रिलीज़ हुई, तब देश में आज़ादी की खुशी के साथ-साथ बंटवारे का दर्द भी अपने चरम पर था। कई इलाकों में दंगे हो रहे थे, लोग विस्थापित हो रहे थे। इसके बावजूद फिल्म को ज़बरदस्त प्रतिक्रिया मिली। थिएटरों के बाहर लंबी-लंबी कतारें लगीं। फिल्म 1947 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक बनी। हालांकि, उस समय का आधिकारिक बॉक्स ऑफिस डेटा आज के जैसे रिकॉर्ड नहीं होता था, इसलिए इसकी कुल कमाई के सही आंकड़े मौजूद नहीं हैं।


इस फिल्म की सबसे खास बातों में से एक थी युवा गायक किशोर कुमार की कैमियो उपस्थिति। महज 18 साल की उम्र में किशोर ने इसमें एक पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका निभाई थी। यह उनके अभिनय करियर की शुरुआत थी, जो बाद में एक लंबी और कामयाब संगीत यात्रा में तब्दील हो गई। इसके अलावा हास्य अभिनेता वी.एच. देसाई और कॉमिक एक्टर महमूद के पिता मुमताज़ अली ने भी फिल्म में अहम किरदार निभाए।


'शहनाई' ने अभिनेत्री रेहाना को रातोंरात स्टार बना दिया। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया और 1950 के दशक की प्रमुख अभिनेत्रियों में शुमार हो गईं। लेकिन फिल्म के मुख्य अभिनेता नासिर खान को वह मुकाम नहीं मिल सका जिसकी उम्मीद थी। उनके भाई दिलीप कुमार जहां सुपरस्टार बन चुके थे, वहीं नासिर का करियर संघर्षपूर्ण रहा। ‘शहनाई’ के संगीतकार सी. रामचंद्र थे, जिन्होंने फिल्म के गानों को अपनी खास शैली में सजाया। गीतों को लिखा था पी.एल. संतोषी ने। संगीत में नयापन और मेलोडी ने दर्शकों को खूब आकर्षित किया।


'शहनाई' केवल एक फिल्म नहीं थी, यह उस दौर का प्रतिबिंब थी जब भारत एक नए युग में प्रवेश कर रहा था। ऐसे कठिन समय में इस फिल्म का सुपरहिट होना, सिनेमा की ताकत और लोगों की भावनात्मक जुड़ाव का प्रमाण है। 15 अगस्त 1947 को रिलीज़ हुई ‘शहनाई’ ने यह साबित किया कि कला कभी रुकती नहीं, चाहे हालात जैसे भी हों।